सामान ढ़ोेनेवाले ऑटो में स्कूल जाते है बच्चे

सामान ढ़ाेेनेवाले ऑटो में स्कूल जाते है बच्चे ताक पर नियम : दीघा स्थित सरस्वती एकेडमी का हालअन्य स्कूलों में भी है बुरी स्थित, ऑटो और वैन में ठूंस दिये जाते हैं बच्चे संवाददाता4पटनापटना के निजी स्कूल नियम तोड़ने में काफी आगे रहते हैं. भले ही बच्चों की जान जोखिम में पड़ जाये, लेकिन अतिरिक्त […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 6, 2016 10:34 PM

सामान ढ़ाेेनेवाले ऑटो में स्कूल जाते है बच्चे ताक पर नियम : दीघा स्थित सरस्वती एकेडमी का हालअन्य स्कूलों में भी है बुरी स्थित, ऑटो और वैन में ठूंस दिये जाते हैं बच्चे संवाददाता4पटनापटना के निजी स्कूल नियम तोड़ने में काफी आगे रहते हैं. भले ही बच्चों की जान जोखिम में पड़ जाये, लेकिन अतिरिक्त कमाई के लिए ये स्कूल किसी भी स्तर तक जाने से गुरेज नहीं करते हैं. ताजा मामला दीघा स्थित सरस्वती एकेडमी, बाघ कोठी का है. यहां पढ़नेवाले बच्चे सामान ढोनेवाले ऑटो से स्कूल आते-जाते हैं. खुले ऑटो में बीच में एक तखत रखा होता है, जिस पर बच्चे बैठे रहते हैं. एक छात्र आदित्य ने बताया कि वह और उसके साथी हर दिन ऐसे ही स्कूल जाते हैं. – तीन की जगह छह बैठाते है ऑटो में अन्य स्कूल के ऑटो में भी स्थिति काफी दयनीय है. छोटे ऑटो में तीन और बड़े ऑटो में छह बच्चे को बिठाया जाना है. लेकिन छोटे ऑटाे में तीन की जगह पांच (तीन पीछे और दो आगे ड्राइवर के बगल में) बच्चे को ऑटो वाले बैठाते हैं. वहीं बड़े ऑटो में छह की जगह 12 बच्चे बैठे हुए नजर आते हैं. छह बच्चे बीच में और पीछे तीन या चार बच्चे को बिठाया जाता है. वहीं ड्राइवर के बगल में तीन बच्चे बैठे होते हैं. कई आॅटो में तो इससे भी अधिक बच्चे बैठे रहते हैं. – कभी भी हो सकता है हादसा ऑटो में इस तरह बच्चों को ठूंस कर बिठाये जाने से हर दिन हादसे का खतरा बना रहता है. लेकिन इसकी चिंता न तो स्कूल प्रशासन को है और न ही अभिभावकों को. कई बार ट्रैफिक पुलिस की ओर से कुछ नियम बनाये भी गये तो उसे फाॅलो नहीं किया जा रहा है. कई ऑटो में तो बच्चे लटके हुए भी नजर आते हैं. – भाड़ा बढ़ाते हैं, जगह नहीं देतेऑटो के अलावा बस में भी स्टूडेंट्स खड़े हो कर घर आते-जाते हैं. कई स्कूल बसों में सीटों की संख्या से ज्यादा बच्चों को लाया जाता है. हालांकि भाड़ा बढ़ाने में कभी कोताही नहीं बरती जाती है. प्रशासन जब सख्ती करता है तो कुछ दिनों तक मामला ठीक किया जाता है, लेकिन, बाद में फिर सब ढाक के तीन पात ही रहता है.

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