गरमी की शुरुआत में ही बिहार के हालात खराब

गरमी की शुरुआत में ही बिहार के हालात खराबमवेशियों के साथ पानी की तलाश में चले आये 100 किलोमीटरसंवाददाता , सरायरंजन (समस्तीपुर) पानी की तलाश में लखीसराय से लगभग सौ किलोमीटर का रास्ता तय करके समस्तीपुर के सरायरंज पहुंचे, लेकिन यहां भी पानी नहीं मिला, तो आगे बढ़ गये. 10-12 पशुपालक अपने लगभग एक हजार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 6, 2016 11:09 PM

गरमी की शुरुआत में ही बिहार के हालात खराबमवेशियों के साथ पानी की तलाश में चले आये 100 किलोमीटरसंवाददाता , सरायरंजन (समस्तीपुर) पानी की तलाश में लखीसराय से लगभग सौ किलोमीटर का रास्ता तय करके समस्तीपुर के सरायरंज पहुंचे, लेकिन यहां भी पानी नहीं मिला, तो आगे बढ़ गये. 10-12 पशुपालक अपने लगभग एक हजार मवेशियों के साथ पानी की तलाश में भटक रहे हैं, लेकिन जल स्तर नीचे जाने की वजह से ताल-तलैया सब सूख गये हैं. इन्हें पानी नहीं मिल रहा है. दिनोंदिन पानी की तलाश में आगे बढ़ रहे हैं. घर से इनकी दूरी बढ़ रही है. इसके साथ पानी खोजने का दायरा भी. लखीसराय से सरायरंजन पहुंच पशुपालकों ने बताया कि उनके यहां की स्थिति काफी खराब हो गयी है. पानी की समस्या हो गयी, जिससे इन लोगों को घर-परिवार छोड़ मवेशियों के साथ पानी की खोज में निकलना पड़ा. सरायरंजन आये, तो यहां भी इन लोगों को पानी नहीं मिला. यहां भी पानी की समस्या विकराल रूप ले रही है. जल स्तर नीचे जाने की वजह से बोरिंग, चापाकल, कुआं, तालाब सूख चुके हैं. पानी की मार से पशुपालक किसान पानी की खोज में दूसरे जिलों में जा रहे हैं, जहां उनको पानी मिलेगा, अपने मवेशियों के साथ अपना डेरा-डंडा गाड़ देंगे. समस्तीपुर के लगमा, चंद्रहासा गांव जहां पानी बारहों महीने नदी, नाले, तालाब में रहा करता था, वहां दूसरे जिलों के पशुपालक अपने मवेशियों के साथ डेरा-डंडा गाड़ देते थे. आज वहां पानी की ऐसा स्थिति है कि वहां के लोग पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं. पानी की समस्याओं को दूर करने के लिए लोग तरह-तरह की तरकीब लगा रहे हैं, लेकिन वो भी विफल हो जा रही हैं. यहां तक कि खेतिहर किसान भी पानी की मार डोल रहे हैं. खेत में लगी फसल पानी के अभाव में सूख रही है. लोगों का कहना है कि शुरुआती गरमी में यह हाल है, तो भीषण गरमी में पानी की स्थिति और भी भयावह हो जायेगी. वहीं क्षेत्र में जितने भी सरकारी चापाकल हैं, उनमें एक-दो ही पानी दे रहे हैं, बाकी बंद हैं. लेकिन, सरकारी स्तर से पानी की किसी तरह की व्यवस्था नहीं की जा रही है.

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