बच्चों पर स्कूल और गरमी का टॉर्चर
बच्चों पर स्कूल और गरमी का टाॅर्चर- भीषण गरमी और पटना की ट्रैफिक में स्कूल से घर तक का सफर-प्रभात लाइव- संवाददाता4पटना प्रत्यक्षा और उन्नति, माउंट कार्मेल स्कूल में पढ़ती हैं और आपस में गहरी दोस्त भी हैं. अपना टिफिन शेयर करना, साथ में खेलना अौर घर परिवार की ढेर सारी गप्प करना दोनों का […]
बच्चों पर स्कूल और गरमी का टाॅर्चर- भीषण गरमी और पटना की ट्रैफिक में स्कूल से घर तक का सफर-प्रभात लाइव- संवाददाता4पटना प्रत्यक्षा और उन्नति, माउंट कार्मेल स्कूल में पढ़ती हैं और आपस में गहरी दोस्त भी हैं. अपना टिफिन शेयर करना, साथ में खेलना अौर घर परिवार की ढेर सारी गप्प करना दोनों का खास शगल है. दोनों की उम्र सात-आठ साल के आसपास है, पटेल नगर में रहती हैं और एक ही बस से स्कूल में पढ़ाई के लिए आना-जाना करती हैं. इन दिनों इन मासूमों पर स्कूलों की असुविधाओं के साथ-साथ गरमी का टॉर्चर भी चल रहा है.सूरज सुबह से ही आग बरसा रहा है और स्कूल की ट्रांसपोर्ट सेवा के साथ ही शहर में ट्रैफिक के बदतर हालात बच्चों को परेशान कर रहे हैं. आलम ऐसा है कि बच्चे स्कूल में कुछ और सीखें या न सीखें संघर्ष करना जरूर सीख जाते हैं. प्रभात खबर संवाददाता ने इसी स्कूल की छुट्टी के बाद प्रत्यक्षा और उन्नति के घर तक का सफर किया. पेश है लाइव रिपोर्ट: दिन के 12 बजेदिन के 12 बजे स्कूल में छुट्टी की घंटी बजती है. मेन गेट पर गाड़ियों की भीड़ लगी है. बच्चों के इंतजार में उनके अभिभावकगण वहीं बस स्टाॅप पर खड़े हैं. मोटरसाइकिलों की कतार भी लगी हुई है और ऑटो की भीड़ भी है. दोनों बच्चियां स्कूल के गेट से निकलते ही जाम में फंसती हैं. भीड़ और गरमी से जूझते हुए वे अपनी बस की तलाश में वीमेंस कॉलेज गेट से आगे पहुंचती हैं और बस पर सवार होती हैं.दिन 12:20 बजे इस तरह 12 बजकर बीस मिनट हो जाते हैं. बस पर चढ़ते हुए बच्चों की भीड़ के बीच उन्हें कंडक्टर सीट पर बिठाता है. दोनों की एक ही सीट. गर्मी काफी होती है तो दोनों कंडक्टर अंकल से खिड़की खोलने का अनुरोध करती है. खिड़की खुलने के बाद भी जब तापमान नॉर्मल नहीं होता तो दोनों अपने बोतल से पानी पीती हैं. प्रत्यक्षा कहती है कि काफी गर्मी है अंकल, रोज परेशानी हो रही है. वहीं उन्नति पूछती है कि स्कूल कब से बंद होगा? दिन 12:30 बजेदिन के 12 बजकर 30 मिनट पर गाड़ी हड़ताली मोड़ के रेड लाइट पर रुकती है. गाड़ियों की लंबी कतारें, धूल, धुआं और प्रदूषण की मार. बस एसी नहीं है और खिड़की बंद नहीं कर सकते. यहां चार मिनट गाड़ी रेड लाइट पर ही खड़ी है. 40 डिग्री के ऊपर के टेंपरेचर में बस की छत जो पहले से काफी गरम थी, अब पसीने से तर-बतर करने को मजबूर कर देती हैं. ग्रीन सिगनल होने पर गाड़ी आगे बढ़ती है. दिन 12:38 बजे 12 बजकर 38 मिनट हुए हैं और विकास भवन रेड लाइट पर बस फिर से रुक जाती है. चंद मिनटों के सफर में दूसरी बार जाम. इस बार दो मिनट बस ठहरी रही. दोनों बच्चियों के चेहरे पर अभी से थकावट और भूख देखी जा सकती है. दिन 12:50 बजेपूर्वी पटेल नगर में उनकी बस रुकती है. यहां वे एक और स्कूल से बच्चे को बिठाते हैं और गंतव्य की ओर रवाना होते हैं. इस बीच कई बच्चे अपने घरों के लिए उतरते रहते हैं. दस मिनट के बाद बस पश्चिमी पटेल नगर पहुंच जाती है. दोनों बच्चियों का स्टॉपेज यही है. थक कर चूर होने के बावजूद बस से उतरने के बाद उनके चेहरे से यह झलकता है कि मानों किसी बड़ी जंग में जीत मिली हो. प्रत्यक्षा और उन्नति कहती हैं कि रोज हम घर पहुंचने पर सुकून का अहसास करते हैं.