पीयू को कहीं फिर से न लौटानी पड़े यूजीसी को राशि
पीयू को कहीं फिर से न लौटानी पड़े यूजीसी को राशिफंड : 12वीं पंचवर्षीय योजना की राशि नहीं हो पा रही खर्च- पांच साल में 12 करोड़ की राशि करना था खर्च, पर तीन करोड़ ही हुए- विकास की धीमी रफ्तार से विवि के छात्रों को हो रहा है नुकसान लाइफ रिपोर्टर, पटना पटना विश्वविद्यालय […]
पीयू को कहीं फिर से न लौटानी पड़े यूजीसी को राशिफंड : 12वीं पंचवर्षीय योजना की राशि नहीं हो पा रही खर्च- पांच साल में 12 करोड़ की राशि करना था खर्च, पर तीन करोड़ ही हुए- विकास की धीमी रफ्तार से विवि के छात्रों को हो रहा है नुकसान लाइफ रिपोर्टर, पटना पटना विश्वविद्यालय में यूजीसी फंड को खर्च करने की रफ्तार फिर से धीमी है. 12वीं पंचवर्षीय योजना की राशि को मिले अब दो वर्ष से अधिक हो गये हैं, पर जो राशि सैंक्शन हुई थी, उसका एक तिहाई भी खर्च नहीं हो पाया है. विवि के लिए 12 करोड़ रुपये की राशि यूजीसी द्वारा सैंक्शन हुआ था, जिसमें फर्स्ट फेज में 5 करोड़ मिले थे, पर अब तक इस राशि का करीब तीन करोड़ रुपये ही विवि खर्च कर पाई है, बाकी राशि ऐसे ही पड़ी है. इससे साफ प्रतीत होता है कि विवि में विकास की गति क्या है. पिछले पंचवर्षीय योजना की भी करीब तीन करोड़ की राशि विवि द्वारा खर्च नहीं की जा सकी थी. अभी और लेने हैं सात करोड़ की राशिपटना विश्वविद्यालय को पांच करोड़ की राशि तो मिल चुकी है, लेकिन उसके खर्च नहीं होने व उसका यूटिलाइजेशन रिपोर्ट नहीं भेजे जाने की वजह से आगे की राशि भी यूजीसी से मांगी नहीं जा सकती है. जब तक जो राशि पूर्व में मिली है, उसका पूरा यूटिलाइजेशन नहीं भेजा जायेगा, तब तक आगे की राशि का मिलना संभव नहीं हैं. जब इतने पैसे का कोई लेखा-जोखा है ही नहीं ताे बाकी के सात करोड़ कैसे ले पायेगी यूनिवर्सिटी.विभागों से भी नहीं भेजे जा रहे यूटिलाइजेशन मिली जानकारी के अनुसार यूनिवर्सिटी को जो पैसा मिला था, उसमें से कंस्ट्रक्शन वर्क की कुछ राशि अभी बची है, जिसमें विभिन्न योजनाओं का काम चल रहा है. वहीं विभागों को जो राशि दी गई थी, उसका उन्होंने अब तक कोई यूटिलाइजेशन नहीं भेजा है. जब तक विभाग यूटिलाइजेशन रिपोर्ट नहीं भेजेंगे, तब तक यूनिवर्सिटी भी यूजीसी को यूटिलाइजेशन रिपोर्ट नहीं भेज सकती, क्योंकि विभागों के यूटिलाइजेशन रिपोर्ट को मिला कर ही विवि यूजीसी को रिपोर्ट भेजेगी. एक साल के एक्सटेंशन के बाद भी जस का तस11वीं पंचवर्षीय योजना की करीब दो करोड़ से अधिक की राशि खर्च नहीं होने की वजह से यूजीसी को लौटाना है और विवि लगातार दो वर्षों से उसका एक्सटेंशन कराने का प्रयास कर रही है, पर नहीं हो पा रहा है. एक साल के लिए एक्सटेंशन मिला भी था, तो विवि उक्त राशि को खर्च नहीं कर पाई थी. इस वजह से कई ऐसे कार्य जो इस राशि से हो सकते थे, नहीं हुए. सीधा नुकसान छात्रों को ही हो रहाविवि द्वारा राशि खर्च नहीं किये जाने का सीधा नुकसान छात्रों को ही होता है. छात्र जहां छोटी-छोटी सुविधाओं के लिए विवि में तरसते रहते हैं, लंबे व पेचीदा कार्य व्यवस्था की वजह से विवि को दी गयी राशि भी विवि ठीक प्रकार से समय पर खर्च नहीं कर पाती है, बाद में यह राशि व्यर्थ चली जाती है, जिससे विकास के कई सारे कार्य किये जा सकते थे. आगे से बिना नैक ग्रेड के नहीं मिलेगी राशि पंचवर्षीय योजना की राशि विवि को इसी बार के लिए मिली है. इसके बाद अगर विवि को राशि चाहिए, तो उसे नैक ग्रेड प्राप्तकर्ता होना होगा. अगर विवि इसमें असफल रहती है, तो आगे तब तक राशि नहीं मिलेगी, जब तक कि विवि नैक की मान्यता प्राप्त नहीं कर ले. इसके अतिरिक्त राशि कितनी मिलेगी, वह भी विवि के अच्छे नैक ग्रेड के आधार पर ही तय होगा. उधर, पीयू के विकास पदाधिकारी ही रजिस्ट्रार के प्रभार में भी हैं. उनके दोहरे प्रभार में होने से भी दिक्कतें आ रही हैं. विवि में रजिस्ट्रार का पद काफी व्यस्ततम माना जाता है. वहीं विकास पदाधिकारी का पद भी महत्वपूर्ण है. इससे भी कामकाज में प्रॉब्लम हो रही है. यूजीसी द्वारा मिली राशि को विभागों में बांट दिया गया है. विकास से जुड़े काम उसी राशि से हो रहे हैं. इसके अतिरिक्त भी कई काम चल रहा है. विभागों से यूटिलाइजेशन रिपोर्ट आते ही यूजीसी को रिपोर्ट भेज दी जायेगी. इसके बाद जल्द ही बाकी बची राशि को भी विवि में लाने का प्रयास किया जायेगा. संजय कुमार सिन्हा, रजिस्ट्रार सह विकास पदाधिकारी, पीयू