इधर शराब बंद, उधर केमिकल सूंघ रहे नशेड़ी- शराब के बाद अब नशेड़ियों का ध्यान व्हाइटनर और सॉल्यूशन पर- तेजी से हो रहा इन दोनों नशे का इस्तेमाल- स्वास्थ्य विभाग ने नहीं बनायी आज तक कोई टीम, नहीं हुई है कार्रवाई- प्रतिबंध के बावजूद भी बिक रहा कोरेस कंपनी का व्हाइटनरसंवाददाता4पटनाप्रदेश में शराब बंद होने के बाद अब नशेड़ी अब अजीबोगरीब और उससे भी खतरनाक विकल्पों को आजमा रहे हैं. इन विकल्पों में सॉल्यूशन (पंचर जोड़ने वाला लाल ट्यूब) और व्हाइटनर (स्याही से लिखा मिटाने वाला केमिकल) भी शामिल है. नशेड़ी इन्हें सूंघ कर नशे में धुत हो रहे हैं.यह स्थिति पहले भिखारियों व गरीब तबके के लोगों में देखने को मिलती था, लेकिन जब से पूर्ण शराब बंदी हुई है तब से मध्यम वर्ग के कुछ लोग भी ऐसे नशे की ओर जाते दिख रहे हैं. हैरान करनेवाली बात यह है कि इस तरह के नशे को रोकने के लिए न तो औषधि विभाग कोई कार्रवाई कर रहा और न ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई टीम बनायी गयी है. प्रतिबंध के बावजूद मिल रहा कोरस का व्हाइटनर नशा करने वालों के बीच पिछले कुछ समय से व्हाइटनर काफी प्रचलित हुआ है. मजे की बात तो यह है कि लोग कोरेस कंपनी के व्हाइटनर का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह स्थिति तब है जब कि ऑफिस कार्यों में उपयोग के लिये बनायी गयी इस कंपनी के व्हाइटनर को प्रतिबंधित किया गया है. बावजूद, कुछ ऐसे कारोबारी हैं जो प्रतिबंधित व्हाइटनर अब भी बेच रहे हैं. छापेमारी से बचने के लिये करोबारी पेन के आकार में बना कर इसे मॉर्केट में सप्लाइ कर रहे हैं.न बनी टीम, नहीं हो रही छापेमारी नशीले सॉल्यूशन और व्हाइटनर पर रोक लगाने को लेकर आज तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से कार्रवाई नहीं की गयी है. न तो पुलिस विभाग ही इस दिशा में कोई ठोस कदम उठा रहा है. यही वजह है कि कारोबारी अपनी स्टेशनरी दुकान में नशीले व्हाइटनर रख कर इसे धड़ल्ले से बेच रहे हैं. ऐसे में शराब बंद होने के बाद नशेड़ियों का ध्यान सॉल्यूशन व व्हाइटनर पर जा रहा है. छापेमारी नहीं होने की वजह से इनके हौसले बुलंद हो गये हैं. व्हाइटनर कर देता है आधा पागल कोरस नामक लाल डब्बे में जो व्हाइटनर मिटाने के लिए प्रयोग होता है, उसका उपयोग युवा वर्ग नशेे के लिए करते हैं. यह व्हाइटनर इसका सेवन करनेवालों को अर्धपागल कर देता है. इसके शिकार पीड़ित उत्पात मचाते हैं और अपराध करते हैं. इसके खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम चलाना चाहिये.डॉ सुनील सिंह, उपाध्यक्ष आइएमए.क्या कहते हैं डॉक्टर शराब की तरह सॉल्यूशन और व्हाइटरन भी नशा देता है. इन दोनों में केमिकल, स्पिरिट के अलावा हाइड्रोकॉर्बन का मिश्रण होता है. जो सीधे व्यक्ति दिमाग में असर डालता है. यही वजह है कि लोग अर्धपागल की हालात में पहुंच जाते हैं. नशेड़ी लोग इसको रुमाल में रख कर नाक से सूंघते हैं. इससे नशा आता है. यह शराब से भी खतरनाक नशा होता है.डॉ संतोष कुमार, नशा मुक्ति केंद्र एनएमसीएच
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इधर शराब बंद, उधर केमिकल सूंघ रहे नशेड़ी
इधर शराब बंद, उधर केमिकल सूंघ रहे नशेड़ी- शराब के बाद अब नशेड़ियों का ध्यान व्हाइटनर और सॉल्यूशन पर- तेजी से हो रहा इन दोनों नशे का इस्तेमाल- स्वास्थ्य विभाग ने नहीं बनायी आज तक कोई टीम, नहीं हुई है कार्रवाई- प्रतिबंध के बावजूद भी बिक रहा कोरेस कंपनी का व्हाइटनरसंवाददाता4पटनाप्रदेश में शराब बंद होने […]
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