कामुक प्रेम का फूहड़ प्रदर्शन: लव गेम्स

कामुक प्रेम का फूहड़ प्रदर्शन: लव गेम्सआजकल भट्ट कैंप के खेमे से निकली लगभग हर फिल्म का आधार सामाजिक वजर्नाओं के पिटारे में बंद मुद्दे ही होते हैं और कहानी मानवीय रिश्ते से शुरू होकर काम और वासना के गलियारों में कुंलाचें भरने लगती है. मकसद फिल्म के जरिये बस हिंदी सिनेमा के उस दर्शक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2016 12:00 AM

कामुक प्रेम का फूहड़ प्रदर्शन: लव गेम्सआजकल भट्ट कैंप के खेमे से निकली लगभग हर फिल्म का आधार सामाजिक वजर्नाओं के पिटारे में बंद मुद्दे ही होते हैं और कहानी मानवीय रिश्ते से शुरू होकर काम और वासना के गलियारों में कुंलाचें भरने लगती है. मकसद फिल्म के जरिये बस हिंदी सिनेमा के उस दर्शक वर्ग को साधना है, जो यौन कुंठित समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं. लव गेम्स उसी कड़ी की फिल्म है. विक्रम भट्ट ने प्यार और वासना के चक्रव्यूह में उलझे समाज के उस वर्ग को कहानी के केंद्र में रखा है, जो खोखले प्यार से जिस्मानी स्वार्थ की पूर्ति हेतु भारतीय संस्कृति व मूल्यों को ताक पर रखने से भी परहेज नहीं करता. कुछ ऐसा ही नजरिया है रमोना रायचंद (पत्रलेखा) और सैम सक्सेना (गौरव अरोड़ा) का. दोनों की जिंदगी में प्यार के लिए कोई जगह नहीं. जिस्मानी रिश्तों में खुशियों की तलाश दोनों को एक-दूसरे के करीब लाती है. रमोना पति की मौत के बाद तन्हा जीवन बिता रही है वहीं दूसरी ओर रईस पिता की संतान सैम अपनी मां की मौत के बाद खुद को अकेला महसूस करता है. दोनों मिलकर प्यार की कुंठित लिप्सा की पूर्ति हेतु एक गेम प्लान करते हैं. पेज थ्री पार्टीज में शिरकत करने वाले रईसों को वाइफ स्वैपिंग के जाल में फांसकर वे उनसे जिस्मानी संबंध बनाने लगते हैं. कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब एक पार्टी के दौरान सैम अलीशा (तारा अलीशा बेरी) से मिलता है और उसे अलीशा से सच्चा प्यार हो जाता है. रमोना को ये बात पसंद नहीं आती और फिर शुरू होती है प्यार को हासिल करने और बदला लेने की जंग. पहले हाफ में वजर्नाओं के बाड़ तोड़ती फिल्म हाफ के बाद अचानक थ्रिलर जोन में प्रवेश कर जाती है. पर खींज तो तब होती है जब रिश्तों के अंतस की अकुलाहट और सामाजिक मूल्यों के बीच हिचकोले खाती फिल्म खत्म हो जाने के बाद भी अपना उद्देश्य बयां करने में पूरी तरह विफल रहती है. पत्रलेखा की मेहनत के अलावे अभिनय की कसौटी पर भी अन्य कलाकार विफल ही नजर आते हैं.क्यों देखें- विक्रम भट्ट और भट्ट कैंप की फिल्मी मसालों के मूरीद हों तो.क्यों न देखें- शुद्ध मनोरंजन की तलाश हो तो कोई और ऑप्शन तलाशें.

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