केंद्रीय संस्थानों को जमीन देने में राज्य सरकार विफल : मोदी

पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगानेवाली बिहार सरकार केंद्र के पिछले दो साल से लगातार प्रयास के बावजूद बिहार में प्रस्तावित पटना के अलावा एक दूसरा एम्स, ट्रिपल आइटी और भागलपुर के विक्रमशिला में स्थापित होने वाले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2016 7:44 AM
पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगानेवाली बिहार सरकार केंद्र के पिछले दो साल से लगातार प्रयास के बावजूद बिहार में प्रस्तावित पटना के अलावा एक दूसरा एम्स, ट्रिपल आइटी और भागलपुर के विक्रमशिला में स्थापित होने वाले तीसरे केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए जमीन उपलब्ध कराने में अब तक विफल रही है. ये तीनों राष्ट्रीय महत्व के संस्थान हैं.
केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों द्वारा बार–बार पत्र लिखे जाने के बावजूद बिहार सरकार जमीन उपलब्ध कराने की दिशा में न तो कोई प्रयास कर रही है और न ही केंद्र सरकार के पत्रों का जवाब ही दे रही है. मोदी ने कहा कि 2015–16 के आम बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पटना के अलावा बिहार में एक और एम्स के निर्माण की घोषणा की थी.
एम्स के निर्माण के लिए केंद्र सरकार बिहार के मुख्यमंत्री को आधे दर्जन बार पत्र लिख कर जमीन उपलब्ध कराने की मांग कर चुकी है, मगर राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है ट्रिपल आइटी को लेकर भी बिहार सरकार उदासीन बनी हुई है.
14 अगस्त, 2014 को संसद में बिहार में एक ट्रिपल आइटी खोलने का आश्वासन मोदी सरकार ने दिया था. ट्रिपल आइटी के लिए जमीन उपलब्ध कराने की मांग करते हुए केंद्र सरकार ने राज्य को अनेक पत्र लिखा. राज्य सरकार ने जब कोई रूचि नहीं दिखायी तो हाल ही में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी ने एक पत्र लिख कर पूछा है कि बिहार सरकार बताएं कि वह ट्रिपल आइटी खोलना चाहती या नहीं.
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भागलपुर के विक्रमशिला में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1.65 लाख करोड़ के बिहार पैकेज में 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
केंद्र सरकार के लगातार प्रयास के बावजूद बिहार सरकार केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए भी अब तक जमीन उपलब्ध कराने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की है़ केंद्र सरकार पर अक्सर दोषारोपण करने वाली बिहार सरकार को बताना चाहिए कि क्या उसकी उदासीनता की वजह से ही राष्ट्रीय महत्व के तीन–तीन संस्थान केंद्र के अनवरत प्रयास के बावजूद अधर में नहीं लटका है.

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