पटना : जनता दल यूनाइटेड के नव निर्वाचित अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि उनकाजदयू अध्यक्ष चुना जाना पार्टी का अंदरूनी मामला है और इसका कोई दूसरा अर्थ नहीं निकाला जाये. नीतीश कुमार ने कहा कि शरद यादव खुद अब अध्यक्ष नहीं रहना चाहते थे और उनकी इच्छा थी कि मैं पार्टी अध्यक्ष बनूं. उनकी इच्छा से ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने मुझे यह जिम्मेवारी सौंपी है, जिसका अनुमोदन 23 अप्रैल को पटना में पार्टी की होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक में होना है. नीतीश कुमार आज यहां आयोजित जनता दरबार के बाद प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे.
नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक कदमों पर पूछे गये सवाल के जवाब में कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा विरोधी राजनीतिक ताकतों को हम सबने गोलंबद करने का प्रयास किया. इसके तहत पहले छह दलों के विलय का प्रयास किया गया, फिर बिहार में तीन पार्टियों का महागंठबंधन बना, जो काफी सफल हुआ.नीतीश कुमार ने कहा कि कभी सफलता मिलती हैऔर कभी नहीं. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में विभिन्न पार्टियों का विलय, मोर्चा या गंठबंधन बन सकता है.
नीतीश कुमार ने कहा कि मैं पार्टी का काम हमेशा से करता रहा हूं, लेकिन उस तरह से पद पर नहीं रहा हूं. कर्पूरी ठाकुर ने मुझे युवा लोकदल का अध्यक्ष बनाया था, बाद में मुझे उसका राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया. उन्होंने कहा कि जनता दल का मैं महासचिव व सांसद के रूप में उपनेता भी रहा. समता पार्टी का कुछ समय प्रदेश अध्यक्ष भी रहा.
बिहार मेरी प्राथमिकता, पार्टी को भी समय दूंगा
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के लोगों ने हमें जबरदस्त जनादेश दिया है. इस नाते बिहार मेरी पहली प्राथमिकता है. लेकिन, मैं संगठन व राज्य से बाहर भी समय दूंगा. उन्होंने कहा कि बिहार के काम में कोई बाधा नहीं आयेगी. नीतीश कुमार ने कहा कि पहले भी मैं राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी राय रखता रहा हूं और अब भी रखूंगा. यह हमारा राजनीतिक व नैतिक कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि गांधी, लोहिया व जेपी के रासते पर चलते हुए हम विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं.