पटना : जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के एक दिन बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि 2019 के पूर्व भाजपा विरोधी दलों की व्यापक एकता के लिए उनका प्रयास जारी रहेगा. प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा, मैं प्रधानमंत्री पद का दावेदार नहीं हूं. हम यहां काम कर रहे हैं. राष्ट्रहित में काम कर रहे हैं.
पटना के एक अणे मार्ग में जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से नीतीश ने कहा कि 2019 के पूर्व भाजपा विरोधी दलों की व्यापक एकता के लिए उनका प्रयास जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के पश्चात निरंतर भाजपा के सिद्धांत और नीतियों के विरोधी दलों को गोलबंद करने का प्रयास में शामिल रहे. कभी सफलता मिलती है और कभी सीमित सफलता मिलती है, वह अलग बात है.
सीएमनीतीश ने कहा कि छह दलों (पुरानी जनता पार्टी से अलग हुए दलों) के विलय का प्रयास चल रहा था, पर वह संभव नहीं हो पाया. लेकिन बिहार में महागठबंधन (जदयू-राजद-कांग्रेस) बना और भाजपा की राजनीति को नापसंद करने वालों का जिस प्रकार का समर्थन मिला उससे देश में लोगों का मनोबल ऊंचा हुआ.
नीतीश ने कहा कि ऐसा माहौल बना दिया गया था कि भाजपा अब सत्ता से बाहर नहीं जाएगी, लेकिन ऐसे में बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम ने लोगों को एक आशा की किरण दिखायी दी. उन्होंने कहा कि हमलोग व्यापक एकता के हिमायती हैं और उसके लिए प्रयत्न करते रहे हैं और यह किसी भी प्रकार से होगा. कुछ दलों का आपस में मिल सकते हैं. कई दलों का आपस में मोर्चा और गठबंधन भी बन सकता है. कोई एक संभावना नहीं है इस प्रकार की कई संभावनाएं हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोगों का इसके लिए निरंतर प्रयास जारी है और अन्य लोगों के मन में भी यह बात है कि एक व्यापक एकता होनी चाहिए ताकि लोगों को यह दिखे कि यह शक्ति भाजपा को पराजित कर सकती है.
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री पद के योग्य उम्मीदवार को लेकर प्रश्न खड़ा किया था और क्या उसके लायक वह स्वयं को मानते हैं, इस पर उन्होंने कहा कि वह एक विशेष संदर्भ में कही गयी बात थी और वह प्रश्नकर्ता को दी गयी उनकी प्रतिक्रिया थी. उन्होंने कहा ‘मैं उस सीट का कोई दावेदार नहीं हूं. स्पष्ट तौर पर समझना चाहिए कि उस सीट के लिए मेरी कोई दावेदारी नहीं है.
नीतीश कुमार ने कहा कि हम बिहार में जो काम कर रहे हैं उसे जारी रखेंगे, लेकिन राष्ट्रीय स्तर के अहम मुद्दों पर अपनी राय रखना हमारा नैतिक और राजनीतिक कर्तव्य है. उन्होंने कहा, इस पद के लायक स्वयं को समझने का प्रश्न है तो कोई स्वयं अपने बारे में क्या बोलेगा. इस लायक तो दूसरे लोग समझेंगे. आज बिहार के प्रति जो जिम्मेदारी है और यहां के लोगों ने जितना जबरदस्त जनादेश दिया है उसे वे साधारण बात नहीं मानते. लगातार तीसरी बार जनादेश मिलना अपने आप में मायने रखता है. मैं कोई ऐसा कार्य नहीं करूंगा, जिससे लोगों का भरोसा टूटे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके सामने कोई भी राष्ट्रीय मुद्दा आता है तो उन्होंने हमेशा अपनी स्पष्ट राय रखी है. वे गांधी, लोहिया, जयप्रकाश नारायण द्वारा दिखाये गये रास्ते पर चलने वाले हैं, उनकी नीति और राय उसी पर आधारित है.