उधार के “100 से कारोबार अब हैं लाखों की मालकिन

मछली मंडी में पांच रुपये रोज पर मक्खी भगाने का काम मिला, जिसके बाद उसने 100 रुपये उधार लेकर मंडी में कारोबार शुरू किया. मछली के कारोबार के साथ राजनीति में भी उपस्थिति दर्ज करायी और वार्ड पार्षद का चुनाव जीता. महिला होने के कारण मछली के व्यवसाय में होनेवाली परेशानी को देखते हुए महिलाओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 17, 2016 7:02 AM
मछली मंडी में पांच रुपये रोज पर मक्खी भगाने का काम मिला, जिसके बाद उसने 100 रुपये उधार लेकर मंडी में कारोबार शुरू किया. मछली के कारोबार के साथ राजनीति में भी उपस्थिति दर्ज करायी और वार्ड पार्षद का चुनाव जीता. महिला होने के कारण मछली के व्यवसाय में होनेवाली परेशानी को देखते हुए महिलाओं की मददगार बनी. बेरोजगार महिलाओं का समूह बनाया और उन्हें व्यवसाय से जोड़ा.
गोपाल मिश्रा
आरा : उधार के 100 रुपये से मछली के व्यवसाय की शुरुआत करनेवाली चंदा देवी का कारोबार आज लाखों में है. यही नहीं कई बेसहारा और कमजोर महिलाओं को इस रोजगार से जोड़ कर उनकी भी जिंदगी में खुशहाली ला रही है. 35 वर्षों से लगातार चंदा देवी यह व्यवसाय को कर रही हैं.
चंदा देवी बताती हैं कि जिस वक्त इस कारोबार की शुरुआत की थी उस वक्त मैं इस मंडी की अकेली महिला थी. लोग तरह-तरह की बात भी किया करते थे. मैं किसी की भी बात की परवाह किये बिना अपना ध्यान सिर्फ मछली बेचने पर देती थी. कड़ी मेहनत रंग लायी और कारोबार बढ़ता गया. जहां दूसरे से खरीद कर मछली मंडी में मछली बेचती थी. वहीं अब गांव के आहर-पोखर खरीद कर मछली का कारोबार करती हूं.
चंदा देवी को लोग इस इलाके में मछलीवाली दीदी के नाम से जानते हैं.
10 साल से पार्षद हैं चंदा देवी : चंदा देवी का सफर सिर्फ मछली के कारोबार तक नहीं रुका. उसने अपनी मेहनत से राजनीति में कदम रखा़ चंदा देवी 10 साल यानी दो टर्म से लगातार वार्ड नं. पांच की पार्षद हैं. महिलाओं के उत्थान के लिए कुछ करने का जज्बा रखनेवाली चंदा ने बेरोजगार महिलाओं का एक समूह बना कर मछली व्यवसाय से जोड़ा है. इसके कारण आमदनी बढ़ने लगी है़ आहर व पोखर लेने के लिए लाखों रुपये की आवश्यकता होती है. ऐसे में समूह से काम आसान हो जाता है.
काश, काफी पहले हो जाती शराबबंदी
चंदा देवी हमेशा खुश रहनेवाली महिला है. इस कर्मवीर महिला के जीवन में सबसे बड़ी घटना वर्ष 2015 में घटित हुई जब इनके बड़े बेटे की शराब पीने से मौत हो गयी. इसके बाद चंदा ने ठान ली कि शराब से वह अब किसी मां की कोख नहीं उजडने देगी . इसके खिलाफ भी उसने अपने समूह की महिलाओं के साथ मिल अभियान चलाया. चंदा बताती हैं काश शासन द्वारा शराबबंदी का फैसला काफी पहले होता, तो ज्यादा सुकून मिलता.
मक्खी भगाने के काम से मंडी में प्रवेश
चंदा देवी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. घर से पास ही मछली मंडी है. इनका मछली मंडी में प्रवेश भी रोचक तरीके से हुआ. एक कारोबारी ने मछली पर से मक्खी भगाने का काम दिया़ इसके लिए चंदा को एक दिन की मजदूरी के रूप में पांच रुपये मिलते थे़ मंडी में इस काम को उसने प्रशिक्षण के रूप में लिया और काम सीखने के बाद अपना कारोबार शुरू कर दिया.
पढ़ी-लिखी नहीं, पर हिसाब की पक्की
चंदा देवी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं है. लेकिन, किसी पढ़े-लिखे लोग से कम भी नहीं है. लाखों का कारोबार सब उनके जुबान पर याद रहता है. पूरे एक-एक पाई का हिसाब रखती हैं.

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