पहला काम मास्टर प्लान को मंजूरी दिलाना

महानगर योजना समिति. 12 ग्रामीण प्रतिनिधियों के चयन के साथ ही 30 सदस्यीय कमेटी गठित समिति बनने के बाद नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव अब बुलायेंगे बैठकपटना पटना : महानगर योजना समिति की 30 सदस्यीय कमेटी का सोमवार को औपचारिक गठन हो गया है. बिहार महानगर योजना समिति अधिनियम 2008 बनने के लंबे इंतजार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 19, 2016 7:38 AM
महानगर योजना समिति. 12 ग्रामीण प्रतिनिधियों के चयन के साथ ही 30 सदस्यीय कमेटी गठित
समिति बनने के बाद नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव अब बुलायेंगे बैठकपटना
पटना : महानगर योजना समिति की 30 सदस्यीय कमेटी का सोमवार को औपचारिक गठन हो गया है. बिहार महानगर योजना समिति अधिनियम 2008 बनने के लंबे इंतजार के बाद बनी यह कमेटी पटना के मास्टर प्लान को लेकर काम करेगी. यह समिति मास्टर प्लान को लेकर विकास के लक्ष्यों, उद्देश्यों, नीतियों और प्राथमिकताओं को अमल में लायेगी.
पटना महानगर में कुल आठ नगर पालिका क्षेत्र और 13 प्रखंडों के 141 नगर पंचायत शामिल हैं. समिति इस ग्रेटर पटना के लिए 20 से 25 वर्षों के संपूर्ण विकास के मुद्दे परियोजनाएं बनायेगी और उसका क्रियान्वयन करेगी. समिति हर साल के लिए बजट तैयार करेगी और राज्य सरकार को भेजेगी. तीन महीने में इस समिति की एक बैठक अनिवार्य है.
नगरपालिका या पंचायत करेगी कार्यान्वयन : जो योजनाएं बनायी जायेंगी उनका कार्यान्वयन संबंधित नगरपालिका या पंचायत करेगी. नगर विकास मंत्री की अध्यक्षता और नगर विकास विभाग के संयोजक पद युक्त इस समिति में मतदान द्वारा चुने गये 30 प्रतिनिधि उपाध्यक्ष होंगे. सभी महत्वपूर्ण विभागों जैसे वित्त, योजना, उद्योग, वाणिज्य, पंचायती राज, पथ निर्माण, पीएचइडी, ऊर्जा, परिवहन के साथ पर्यावरण व वन विभाग के सचिव के साथ ही डीएम, नगर आयुक्त सचिव के तौर पर शामिल रहेंगे.
पटना महानगर योजना समिति में 12 मुखिया सोमवार को सदस्य के रूप में निर्वाचित हो गये. अनुसूचित जाति महिला और पिछड़ा वर्ग महिला के रूप दो सदस्य निर्विरोध चुने गये, जबकि शेष 10 के लिए चुनाव हुआ. शनिवार को महानगर योजना समिति के 18 शहरी सदस्यों को चुन लिये जाने के बाद बाकी बचे 12 ग्रामीण प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए सोमवार को मतदान हुआ. गांधी मैदान के पास एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में आयोजित चुनाव में कुल 19 सदस्यों ने नामांकन किया, जिसमें 12 को निर्वाचित किया गया.
इसके लिए अनारक्षित पद से कुल सात कैंडिडेटों ने परचे भरे तो अनारक्षित महिला के लिए पांच उम्मीदवार, पिछड़ा वर्ग अन्य के लिए तीन और अनुसूचित जाति अन्य के लिए दो सदस्यों ने नामांकन दाखिल किया. निर्वाची पदाधिकारी सह डीएम संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि अब सभी सदस्यों के निर्वाचन की सूचना राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दी जायेगी जिसके बाद सरकार के स्तर से यह कमेटी अागे पटना के मास्टर प्लान को लेकर काम करेगी. उसके बाद समिति को शहर के विकास में भी अहम योगदान निभाना है.
दो माह के टर्म के कारण 77 मुखिया ही पहुंचे
चुनाव में नगर निकायों के प्रतिनिधियों की तुलना में ग्रामीण पंचायतों के प्रतिनिधियों की उदासीनता देखने को मिली. चुनाव में कुल 77 मुखिया प्रतिनिधियों ने ही हिस्सा लिया, जबकि 13 प्रखंड के कुल 141 मुखिया को इसके लिए वोट देना था. सभी को जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से निर्वाची पदाधिकारी ने वोट देने के लिए शामिल कराया था, लेकिन उन्हें महज दो महीने के लिए ही सदस्य चुने जाने की शर्त शायद रास नहीं आयी. इसके कारण 64 मुखिया वोट देने के लिए नहीं पहुंचे.
इसी ऊहापोह के कारण चुनाव के दौरान मुखिया डीएम से इस विषय में सवाल जवाब करते नजर आये कि क्या उनकी नियुक्ति चुनाव के बाद भी जारी रहेगी? चुनाव के दौरान इसकी लगातार घोषणा होती रही कि उम्मीदवारों का कार्यकाल खत्म होते ही इसमें सदस्यता स्वत: खत्म हो जायेगी.

Next Article

Exit mobile version