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ताड़ी पीने से लोगों के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा : पासवान

पटना : केंद्रीय खाद्य एवं जनवितरण मंत्री रामविलास पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘संघ मुक्त’ भारत का आह्वान करने और बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू को लेकर देश के अन्य भागों में छेड़े जाने वाले नागरिक अभियान में भाग लेने की घोषणा पर उन पर प्रहार किया और कहा कि उनके जैसा ‘कलाकार’ तो […]

पटना : केंद्रीय खाद्य एवं जनवितरण मंत्री रामविलास पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘संघ मुक्त’ भारत का आह्वान करने और बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू को लेकर देश के अन्य भागों में छेड़े जाने वाले नागरिक अभियान में भाग लेने की घोषणा पर उन पर प्रहार किया और कहा कि उनके जैसा ‘कलाकार’ तो उन्होंने दुनिया में देखा ही, कलाकारी कोई सीखे तो उनसे सीखे. यहां आज संवाददाताओं से पासवान ने आरोप लगाया कि कलाकारी कोई सीखे तो नीतीश कुमार से सीखे. उनके जैसा कलाकार दुनिया में नहीं मिलेगा. गजब की बुद्धि है. 17 साल तक भाजपा और आरएसएस के गोद में रहे और अब कहते हैं कि ‘संघ मुक्त’ भारत बनायेंगे और उसके विकल्प में अपने को खड़ा कर रहे हैं.

नीतीश ने पिलायी शराब

पासवान ने कहा कि नीतीश पर अपने और अपनी पार्टी के पिछले दस सालों के शासनकाल के दौरान बिहार में लोगों को शराब पिलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब कह रहे हैं शराबबंदी के बिहार मॉडल को लेकर पूरे देश में घूमेंगे. उन्होंने कहा कि नीतीश की हालत ‘मोर’ जैसी है. मोर नाचता है तो बहुत नाचता है पर जब वह अपना पेड देखता है तो उसका नाचना बंद हो जाता है. पासवान ने ताड़ी को नशा नहीं एक जूस बताते हुए इसके कारोबार पर बिहार की नीतीश कुमार सरकार द्वारा लगायी गयी रोक गलत है, वे कल इसके विरोध में पटना में धरना देंगे.

ताड़ीगरीबों की अजीविकाहै

उन्होंने ताडी का व्यवसाय करने वालों अधिकांश गरीब वर्ग के लोग परेशान हैं कि बहुत से लोग आत्महत्या करने को तैयार हैं.पासवान ने कहा कि ताडी को गरीब की आजीविका का साधन बताते हुए कहा कि इसके कारोबार पर रोक लगाये जाने के बजाय राज्य सरकार को उसका वैकल्पिक व्यवसाय पर गौर करना चाहिए. उन्होंने राजद प्रमुख लालू प्रसाद पर प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने इसकी बिक्री पर लगाए गए प्रतिबंध को अपने शासनकाल में :1991: वापस ले लिया था और वे अब इसको लेकर चुप्पी साधे हुए हैं. नीतीश कुमार से इतना डरे हुए क्यों हैं.

ताड़ी के समर्थन में रामविलास

पासवान ने लालू पर यह अभी आरोप लगाया कि उनकी चुप्पी की वजह नीतीश के उन्हें यह लालच दे दिये जाने कि उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद बिहार का राज-काज उनके लिए छोड़ देंगे हो सकती है. उन्होंने ताड़ी की बिक्री पर राजद शासनकाल में लगाये प्रतिबंध की चर्चा करते हुए कहा कि उस समय भी उन्होंने इसका विरोध किया था और उनके संसदीय क्षेत्र हाजीपुर में चुनाव के दौरान उस समय लोग ताड़ी के बारे में नारा लगाया करते थे कि एक रुपये में तीन ग्लास, जीतेगा भाई रामविलास.

गांधी ने कहा था नीरा

पासवान ने कहा कि वे ताड़ी को शराब की श्रेणी में नहीं मानते और उसकी तुलना शराब से नहीं की जा सकती बल्कि वह जूस :पेय पदार्थ: है. ताड़ी खेती है. फलों की बागवानी की तरह किसान ताड के पेड से ताड़ी उतारते हैं.उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उसे नीरा कहा था और ताड़ी की तुलना शराब से नहीं की जा सकती. पासवान ने कहा कि ताड़ी के कारोबार पर इस रोक के खिलाफ अपनी लड़ाई को वे उस समय तक जारी रखेंगे जब तक राज्य सरकार उसपर लगायी गयी रोक को वापस ले.

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है ताड़ी

उन्होंने कहा कि वे ताड़ी और उसके उत्पाद नीरा की परिभाषा को लेकर बहस में नहीं पड़ना चाहते पर चुनौती देते हैं कि सूर्योदय के पहले एक व्यक्ति जो कि ताड़ी का सेवन करता है और दूसरा व्यक्ति जो कि उसका सेवन नहीं करता है. इसकी तुलना में अगर स्वास्थ्य बढिया नहीं हो जाये तो वे राजनीति छोड़ देंगे. पासवान ने कहा कि उनकी जब आंख में तकलीफ हुई थी तो डाक्टर ने उन्हें ताड़ी पीने की सलाह दी थी पर उन्हें उसका स्वाद अच्छा नहीं लगा इसलिए वे उसे नहीं पीया.

नीतीश ने ताड़ी को लेकर दिया था बयान

उल्लेखनीय है कि बिहार में गत 5 अप्रैल से लागू पूर्णशराबबंदी के तहत ताड़ी के खिलाफ की जा रही कार्रवाई के विरोध में जारी बयानबाजी के बीच गत 14 अप्रैल को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के यह स्पष्ट किए जाने कि ताड़ी पर कोई रोक नहीं है बल्कि उसकी बिक्री को लेकर 1991 में जारी अधिसूचना का अनुपालन किया जा रहा है. ताड़ीके बारे में जो निर्णय 1991 का है वही निर्णय आज भी लागू है. उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के 1991 के उक्त निर्णय के अनुसार ताडी की दुकानें किसी हाट-बाजार के स्थान पर, किसी हाट-बाजार के प्रवेश स्थल पर, शहरी क्षेत्रों में किसी स्नानागार, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, धार्मिक स्थान, फैक्टरी, पेट्रोल पम्प, रेलवे स्टेशन, रेलवे यार्ड, बस स्टैंड, अनुसूचित जाति या मजदूर कालोनी, राष्ट्रीय उच्च पथ या राज्य उच्च पथ अथवा जनता द्वारा उपयोग किए जाने वाले स्थानों से 50 मीटर की दूरी के भीतर और ग्रामीण इलाके में इन्हीं स्थानों से 100 मीटर की दूरी के भीतर या किसी गांव के सघन आबादी वाले क्षेत्र में नहीं खोली जा सकतीं.

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