तत्काल टिकट पर दलालों का साइबर कब्जा
पटना: टिकट बुकिंग में दलालों पर नकेल कसने के लिए रेल मंत्रालय ने ऑनलाइन इ-टिकट को लेकर नियमों में बदलाव तो जरूर किया, लेकिन तत्काल टिकट कटाने के मामले में इसका फायदा अब भी आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है. हां, इसका फायदा दलाल जरूर उठा रहे हैं और इसके एवज में यात्रियों […]
पटना: टिकट बुकिंग में दलालों पर नकेल कसने के लिए रेल मंत्रालय ने ऑनलाइन इ-टिकट को लेकर नियमों में बदलाव तो जरूर किया, लेकिन तत्काल टिकट कटाने के मामले में इसका फायदा अब भी आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है. हां, इसका फायदा दलाल जरूर उठा रहे हैं और इसके एवज में यात्रियों से मनचाहा पैसा वसूल रहे हैं. इसके अलावा आम लोगों के टिकट काउंटर तक पहुंचते-पहुंचते कंफर्म टिकट खत्म हो जाते हैं. इन सबकी वजह है कंफर्म टिकटों पर ताबड़तोड़ साइबर कब्जा. जानकारों की मानें, तो यह कब्जा यात्रियों की तरफ से कम, उन दलालों की तरफ से ज्यादा हो रहा है, जो आधा-आधा दर्जन फर्जी इ-मेल आइडी बनाकर काउंटर खुलते ही एक साथ ज्यादातर कंफर्म टिकटें अपने कब्जे में कर रहे हैं. यहीं वजह है कि खुलने के डेढ़-दो मिनट के भीतर ही तत्काल के टिकट भी खत्म हो रहे हैं और काउंटर पर खड़ा व्यक्ति खुद को ठगा सा महसूस होने लगता है.
तीन करोड़ से अधिक रजिस्टर्ड यूजर्स
जानकारी के अनुसार आइआरसीटीसी के तीन करोड़ से अधिक रजिस्टर्ड यूजर्स हैं. हर दिन 20 हजार नये यूजर इससे जुड़ते है. इनमें से 30 फीसदी भी घर बैठे तत्काल टिकट बुक नहीं करा पाते हैं. पिछले साल आइआरसीटीसी ने सर्वरों की संख्या बढ़ायी थी. उसके बाद टिकट बुकिंग का आंकड़ा तो बढ़ा, लेकिन इसका फायदा आम लोगों को नहीं दलालों को ही मिल रहा है. विशेषज्ञों की मानें, तो दलालों के मजबूत वेब नेटवर्क का फायदा उनको मिलता है. उनके द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले ट्रिक से बुकिंग जल्दी हो जाती है जबकि आम लोग सर्वर व इंटरनेट नेटवर्क में ही उलझ कर रह जाते हैं. दलालों से बढ़ी परेशानी:टिकट दलालों ने कई नाम से पर्सनल आइडी बना रखे हैं. ग्राहकों की मांग पर वे उनके आइडी से सीधे ई-टिकट बना रहे हैं. इसके बदले में 200 या 300 रुपये तक अतिरिक्त लिए जा रहे हैं. पर्सनल आइडी होने की वजह से उन्हें टिकट लेने से कोई नहीं रोक पा रहा.
यह है रेलवे का अनुमान
रेलवे ने इस नियम को लागू करते समय बताया था कि टिकट बुकिंग से संबंधित आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि 90 प्रतिशत उपभोक्ता महीने में छह टिकट बुक करते हैं. ऐसा लगता है कि शेष 10 फीसदी उपभोक्ता टिकटों की दलाली कर रहे थे. रेलवे कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठा पायी है, इसका जवाब अभी अधिकारियों के पास नहीं है. आइआरसीटीसी के मुताबिक इस सिस्टम में अभी बदलाव हो रहा है और इसे आम लोगों से जोड़ कर दलालों की पहुंच से दूर किया जायेगा.
ट्रेनों में है नो रूम
गरमी की छुट्टी मई मध्य से लेकर जून मध्य तक रहती है. समर वैकेशन का लुत्फ उठाने हर परिवार अपनी पॉकेट के मुताबिक कहीं-न-कहीं घूमने जरूर जाता है, लेकिन अब वैसे परिवारों के सामने मुश्किल आनेवाली है. हर ट्रेन में 15 जून तक की टिकट वेटिंग आ चुकी है और वेटिंग में टिकट लेने वालों का टिकट कंफर्म होगा या नहीं, इसको लेकर परेशानी बढ़ गयी है. यह हाल, कोलकाता, दिल्ली, पुणे, मुंबई सहित हर ट्रेन की है. जहां का टिकट लीजिए वेटिंग में ही मिलेगा.
दिल्ली जानेवाली ट्रेनें
महानंदा, नॉर्थ इस्ट, सीमांचल, श्रमजीवी, ब्रह्मपुत्रा, पूर्वा एक्सप्रेस, संपूर्ण क्रांति, मगध, राजधानी आदि ट्रेनों के स्लीपर में वेटिंग 200 से अधिक है और एसी में 50 से अधिक वेटिंग चल रही है. दिल्ली के आसपास आगरा, हरिद्वार, नैनीताल, अमृतसर, ऋषिकेश, गंगोत्तरी, उत्तर काशी, जयपुर, अजमेर शरीफ आदि घूमने के लिए अच्छे शहरों में शामिल हैं. दिल्ली पहुंचने के बाद लोग यहां से गाड़ी बुक कर इन जगहों पर घूमने के लिए जाते हैं.
जम्मू जानेवाली ट्रेनें
जम्मू की ओर पटना से अर्चना व हिमगिरी एक्सप्रेस महत्वपूर्ण ट्रेनें हैं. इन ट्रेनों में भी वेटिंग चल रही है. जम्मू जानेवालों लोगों में सबसे अधिक भीड़ मां वैष्णो देवी के दरबार की होती है. हिमगिरी से जाने वाले कुछ लोग अंबाला उतर कर शिमला, देहरादून, केदारनाथ, बद्रीनाथ भी घूमने जाते हैं.
मुंबई की ओर जानेवाली ट्रेनें
पटना-लोकमान्य तिलक, भागलपुर लोकमान्य तिलक, पाटलिपुत्र लोकमान्य तिलक इस रूट की महत्वपूर्ण ट्रेनें हैं. इन सभी में वेटिंग चल रही है. वहीं पाटलिपुत्र-पुणे में भी वेटिंग है. इन ट्रेनों के माध्यम से लोग शिरडी, औरंगाबाद, नागपुर, जबलपुर, नासिक, खंडाला, लोखनवाला और मुंबई के आस-पास की जगहों पर घूमने जाते हैं.
न्यू जलपाईगुड़ी की ओर की ट्रेनें
इन रूटों में महानंदा, राजधानी, कामख्या, एलटीटी एक्सप्रेस, ब्रहमपुत्रा, नाॅर्थ इस्ट व कैपटल एक्सप्रेस महत्वपूर्ण ट्रेनें हैं. इन सभी ट्रेनों में केवल कैपिटल में सीटें खाली हैं, लेकिन वह भी जून माह में. मई में तो किसी भी ट्रेन में जगह नहीं है. यहां से लोग सिलिगुड़ी, गंगटोक, दार्जिलिंग, सिक्किम लोग घूमने जाते हैं.
ये भी हैं विकल्प
गाड़ी संख्या 02791/02792 सिकंदराबाद–पटना–सिकंदराबाद सुपरफास्ट सुविधा स्पेशल ट्रेन सिकंदराबाद से 29 अप्रैल व 27 मई को तथा पटना से एक मई व 29 मई को चलेगी. गाड़ी संख्या 02791 सिकंदराबाद–पटना सुपरफास्ट सुविधा स्पेशल ट्रेन सिकंदराबाद से शुक्रवार को 08.35 बजे खुल कर शनिवार को 16.10 बजे पटना पहुंचेगी. वापसी में, गाड़ी संख्या 02792 पटना–सिकंदराबाद सुपरफास्ट सुविधा स्पेशल ट्रेन पटना से रविवार को 13.30 बजे खुल कर सोमवार को 21.25 बजे सिकंदराबाद पहुंचेगी. यह सुपरफास्ट सुविधा स्पेशल ट्रेन पटना और सिकंदराबाद के बीच अप एवं डाउन दिशा में मुगलसराय, छेबकी, मानिकपुर, सतना, जबलपुर, इटारसी, बेतुल, अमला, नागपुर, सेवाग्राम, चन्द्रपुर, बल्लारशाह, रामागुंडम एवं काजीपेट स्टेशनों पर रुकेगी.
गाड़ी सं. 03135/03136 कोलकाता-छपरा-आसनसोल समर स्पेशल ट्रेन यह समर स्पेशल ट्रेन कोलकाता और छपरा के बीच कोलकाता से सोमवार एवं छपरा से मंगलवार को चलेगी. गाड़ी संख्या 03135 कोलकाता-छपरा स्पेशल ट्रेन कोलकाता से 25 अप्रैल, 02, 09, 16, 23 30 मई और 06 जून, 2016 को (सोमवार) को 20.05 बजे खुल कर अगले दिन मंगलवार को 10.00 बजे छपरा पहुंचेगी. वापसी में गाड़ी संख्या 03136 छपरा-आसनसोल समर स्पेशल ट्रेन छपरा से 26 अप्रैल, 03, 10, 17, 24 31 मई एवं 07 जून को (मंगलवार) को 11.15 बजे खुल कर उसी दिन 21.05 बजे आसनसोल तक ही जायेगी. यह समर स्पेशल ट्रेन कोलकाता और छपरा बर्द्धमान, दुर्गापुर आसनसोल, चितरंजन, मधुपुर, जसीडीह, झाझा, किउल, बरौनी, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर एवं सोनपुर स्टेशनों पर रुकेगी, जबकि वापसी में यह ट्रेन आसनसोल तक ही जायेगी.
बदलेंगे परदे मिलेंगे बहुरंगी चादर-तकिया
रेलवे बोर्ड के निर्णय के बाद अब पूर्व मध्य रेल के एसी कोच के परदों को दोबारा से डिजाइन किया जायेगा. साथ ही यात्रियों को मिलनेवाली सफेद चादर व तकिया का कलर भी बदला जायेगा. इसको लेकर रेलवे एक माह के अंदर टेंडर के काम को पूरा कर लेगा. अधिकारियों के मुताबिक नये चादर व बेडशीट को पहले राजधानी सुपरफास्ट में लाया जायेगा. उसके बाद संपूर्णक्रांति, पटना-पुणे, लोकमान्य तिलक, मगध जैसे ट्रेनों में भी धीरे-धीरे लागू किया जायेगा.
यह है योजना : यात्रियों को इस्तेमाल के लिए दो चादर, एक तकिया, एक कंबल और एक छोटा तौलिया दिया जाता है. नयी योजना के तहत तौलिया को छोड़ कर सभी रंगीन होगी और इसकी क्वालिटी भी पहले से बेहतर होगी. कपड़ों के डिजाइन को3 एप्रूवल के लिए भेजा गया है. इसके बाद उसी कपड़े का तकिया और चादर हो जायेगा. अधिकारियों की टीम इसको लेकर काम कर रही है कि किस कलर से कोच में बदलाव किया जाये, जिससे यात्रियों को असुविधा नहीं हो और देखने में भी बेहतरीन लगे.