एक फेसबुकिया मुहिम जो सुलझा रही स्कूल, अस्पताल, सड़क व बिजली के मसले
पुष्यमित्र pushyamitra@prabhatkhabar.in पटना : किशनगंज जिले के बहादुरगंज प्रखंड के चहटपुर मदरसा के छह शिक्षकों को पिछले चार-पांच सालों से सैलरी नहीं मिल रही थी. इसके परिवार का बुरा हाल था. इनमें से दो तो रिटायर भी हो गये थे. एक का इस सदमे में इंतकाल हो गया कि वे अपने परिवार के लिए कुछ […]
पुष्यमित्र
pushyamitra@prabhatkhabar.in
पटना : किशनगंज जिले के बहादुरगंज प्रखंड के चहटपुर मदरसा के छह शिक्षकों को पिछले चार-पांच सालों से सैलरी नहीं मिल रही थी. इसके परिवार का बुरा हाल था. इनमें से दो तो रिटायर भी हो गये थे. एक का इस सदमे में इंतकाल हो गया कि वे अपने परिवार के लिए कुछ नहीं कर पाये.
दूसरे अजीमुद्दीन का हाल भी बुरा था, क्योंकि उन्हें बेटी की शादी करनी थी. जो कार्यरत थे, उनका हाल भी बहुत अच्छा नहीं था. वे बार-बार इलाके के एमपी, एमएलए और अधिकारियों के पास अपना दुख-दर्द सुनाने चले जाते थे. मगर वहां उन्हें सिर्फ आश्वासन मिलता, काम आगे नहीं बढ़ता. ऐसे में एक शिक्षक के भाई फिरोज ने उन्हें सलाह दी कि क्यों न फेसबुक ग्रुप खबर सीमांचल पर अपनी बात रखी जाये. हो सकता है, कोई नतीजा ही निकल जाये.
उनकी बात सुन कर शिक्षक तैयार हो गये. फिर फिरोज ने जो खुद खबर सीमांचल ग्रुप के सदस्य हैं, ग्रुप के एडमिन से सलाह कर इन शिक्षकों के दुख-दर्द की कहानी को ग्रुप में पोस्ट कर दिया.
पोस्ट के साथ उन्होंने उन चार अधिकारियों के नंबर भी डाल दिये, जिनकी वजह से यह काम सालों से अटका था और ग्रुप के सदस्यों से अनुरोध किया कि वे इन अधिकारियों को फोन कर पूछें कि इनका काम क्यों अटका है. ये अधिकारी थे, मदरसा बोर्ड के चेयरमैन, डीएम, डीइओ और डीपीओ. पोस्ट की अपील काफी इमोशनल थी, इसे पढ़ कर ग्रुप के सदस्यों ने इन अधिकारियों को फोन करना शुरू कर दिया. कहते हैं, पांच सौ के करीब लोगों ने बारी-बारी से इन अधिकारियों को फोन किया और उन पर इतना दबाव पड़ा कि उन्हें इस मुद्दे पर कार्रवाई करने पर विवश होना पड़ा. डीपीओ-1 ने मदरसे का दौरा किया. कागजात का अध्ययन किया और सभी शिक्षकों की सैलरी तो शुरू कर ही दी, उनका पेंशन और एरियर भी जारी कर दिया. खबर सीमांचल ग्रुप की इस मुहिम का नाम था ‘कॉल फॉर चेंज.’
हालांकि, यह कॉल फॉर चेंज मुहिम का पहला या इकलौता मामला नहीं था. यह ग्रुप पिछले तीन-चार सालों से लगातार जमीनी और जरूरी मुद्दों पर ऐसी मुहिम चलाता रहा है और इसका सकारात्मक परिणाम भी निकलता रहा है. ग्रुप के एडमिन हसन जावेद, जो एक स्वतंत्र पत्रकार हैं, कहते हैं, खबर सीमांचल पहले एक सिंपल फेसबुक ग्रुप था. 2011 से चल रहे इस ग्रुप का मकसद वैसा ही था, जैसा फेसबुक के दूसरे समूहों का होता है. खबरों का आदान-प्रदान, विचारों की अभिव्यक्ति, हंसी-मजाक और अपनी तसवीरों की शेयरिंग.
इस ग्रुप में सीमांचल के चार जिलों पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार के लोग जुड़े थे, किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के लोगों की बहुतायत थी. हां, ग्रुप में स्थानीय सूचनाओं की भरमार होती थी, जिससे किशनगंज के स्थानीय लोग और वहां के लोग जो बाहर रहा करते थे, उनका स्वभाविक आकर्षण इस ग्रुप के प्रति था और सदस्यों की संख्या हजारों में पहुंच गयी थी.
तभी बलिया के एक स्कूल में छात्रवृत्ति और प्रोत्साहन राशि के गबन का मामला सामने आया. और राय बनी कि इन बच्चों को इनका हक दिलाया जाये. जब अधिकारी को शिकायत की गयी, तो उन्होंने लिखित आवेदन देने कहा. आवेदन मिलने पर भी काम नहीं हुआ तो कॉल फॉर चेंज की रणनीति का जन्म हुआ. ग्रुप के लोगों ने सोचा कि हमलोग इतने सारे लोग हैं, अगर सारे लोग फोन करेंगे, तो जरूर दबाव बनेगा. अधिकारी का नंबर पोस्ट किया गया.
ग्रुप के सदस्य, जो एक सामान्य नागरिक से विदेशों में बड़ी कंपनियों में काम करनेवाले लोग तक थे, ने उक्त अधिकारी को फोन करना शुरू कर दिया. उस अधिकारी ने एक सार्वजनिक बैठक में स्वीकार किया कि उनके पास इतने फोन आये कि रिसीव करते-करते उनका हाल बुरा हो गया था. उन्हें नहाने-खाने तक का वक्त नहीं मिल पाता था. अगले दिन सुबह सात बजे ही वे स्कूल पहुंच गये और पूरे दिन बैठ कर उन्होंने मामले की जांच की. दो-तीन दिनों के अंदर बच्चों को उनके हक का पैसा मिल गया.
इस रणनीति की सफलता ने ग्रुप के लोगों को कॉल फॉर चेंज को एक मुहिम का रूप देने में मदद की. एडमिन हसन जावेद कहते हैं, तब से लेकर अब तक दर्जनों मामलों में इस मुहिम को अपना कर लोगों को उनका हक दिलाने में हमने मदद की है.
इनमें मलयेशिया में फंसे कोचाधामन के युवक को वापस लाना, स्कूलों में शिक्षकों को समय से पहुंचने पर मजबूर करना, स्वास्थ्य और बिजली विभाग की कर्मियों की लापरवाही उजागर कर उन्हें ढंग से काम करने पर विवश करना, मिड डे मील में कमीशनखोरी पर रोक लगाना जैसे कई मामले हैं, जिनमें उन्हें अनापेक्षित सफलता मिली. इसका नतीजा यह हुआ कि हमारे ग्रुप में जुड़ने के लिए लोगों में होड़ मच गयी. रोज दर्जनों रिक्वेस्ट आने लगे.
आज हमारे ग्रुप में सदस्यों की संख्या 50 हजार से अधिक है. आम लोग तो इस ग्रुप में हैं ही, चारों जिले के डीएम, एसी, पूर्णिया के डीआइजी समेत बड़ी संख्या में अधिकारी, नेता और व्यवसायी भी इसके सदस्य हैं. वे कहते हैं, कोचाधामन के मौजूदा विधायक को तो इस ग्रुप से ही लोगों में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद मिली. उन्होंने ग्रुप में उठनेवाली समस्याओं पर फोकस होकर काम किया और उपचुनाव में उन्हें शानदार जीत मिली. आज भी वे इस ग्रुप के सदस्य हैं.
हसन कहते हैं, कॉल फॉर चेंज मुहिम के सफल होने से उनके पास ढेर सारे मामले आने लगे. हर मामले में दबाव होता था कि वे इसे मुहिम का हिस्सा बनाएं. उनमें से कई मामले झूठे और कमजोर भी होते थे. ऐसे में उन्हें भय था कि अगरएक गलत मामला इस मुहिम का हिस्सा बन जायेगा, तो पूरी मुहिम बदनाम हो जायेगी.
उन्होंने तय किया कि जब तक ग्रुप का एडमिन पैनल मामले को अपनी तरफ से वेरिफाई नहीं कर लेगा और अधिकारियों से एक बार खुद बात नहीं कर लेगा, किसी मुद्दे को मुहिम का हिस्सा नहीं बनायेगा. ऐसे में कई दफा अधिकारियों से बातचीत में ही मामला सुलझने लगा. इसके बावजूद हर माह कम-से-कम 10 मामले तो ऐसे होते ही हैं, जो कॉल फॉर चेंज का हिस्सा बन जाते हैं.
हाल के दिनों में कॉल फॉर चेंज मुहिम की सबसे बड़ी सफलता सीमावर्ती क्षेत्रों में ग्रामीणों और एसएसबी के जवानों के बीच तनाव कम करना रहा है. हसन बताते हैं, पहले एसएसबी के जवानों की स्थानीय ग्रामीणों के साथ कई दफा छोटे-छोटे मुद्दे पर झड़प हो जाती थी. नेपाल और बांग्लादेश से सटे इस इलाके में सीमावर्ती क्षेत्रों में अक्सर आवाजाही हो जाती है, क्योंकि गांव आपस में काफी सटे-सटे हैं और लोगों के इस पार-उस पार रिश्ते भी हैं.
मगर बाहर से आने वाले एसएसबी के जवान इस बात को समझ नहीं पाते और छोटे-छोटे मामलों में लोगों को गिरफ्तार कर लेते. ऐसे में खबर सीमांचल के जरिये उन्होंने इन मुद्दों को उठाना शुरू किया. एसएसबी के जवानों को भी बात समझ आयी और पिछले कुछ महीनों से ऐसे मामले काफी कम हो गये हैं.
एसएसबी के इंस्पेक्टर संतोष यादव भी इसकी सराहना करते हैं और खबर सीमांचल को इस शांति का श्रेय देते हैं.फेसबुक के बाद अब खबर सीमांचल वाट्सएप पर आ गया है. चूंकि वाट्सएप पर सदस्यों की संख्या सीमित रहती है, ऐसे में खबर सीमांचल ने अलग-अलग विषयों पर अलग-अलग 20 समूह बनाये हैं. इन ग्रुपों में संबंधित अधिकारी भी शामिल हैं और उनका नियमित संवाद होता है. खुद अधिकारियों को भी फेसबुक और वाट्सएप पर चलनेवाले इस ग्रुप से बड़ी मदद मिल रही है, क्योंकि एक तो यह इलाका भौगोलिक रूप से काफी दुरूह है, फिर यहां कोई मीडिया समूह भी बहुत सक्रिय नहीं है. भौगोलिक कारणों से कई इलाकों में अखबार भी नहीं पहुंचते. ऐसे में खबर सीमांचल से उन्हें नियमित और पल-पल के अपडेट्स मिल जाते हैं, लोगों के मुद्दे समझ में आ जाते हैं और इस वजह से काम करने में सहूलियत भी होती है.
खबर सीमांचल के एक और एडमिन रिजवान अहमद कहते हैं कि रोचक है कि इस बीच फेसबुक पर खबर सीमांचल के नाम से दर्जनों ग्रुप्स, पेज और कम्युनिटी खड़ी हो गयी है. इनमें से हर किसी में एक हजार से पांच हजार मेंबर हैं. वहां भी ठीक-ठाक पोस्टिंग हो रही हैं. कई बार इनमें से असली खबर सीमांचल ढूंढ़ना मुश्किल हो जाता है. इसके बावजूद जिन्हें जरूरत होती है, वे इस पेज को तलाश ही लेते हैं. इसकी सबसे बड़ी पहचान सदस्यों की संख्या है, जो 50 हजार से अधिक है.
प्रमुख मुद्दे, जिनका समाधान हुआ-
सीमा पर स्थानीय लोगों और एसएसबी के बीच टकराव खत्म
मलयेशिया में फंसे कोचाधामन के युवक की सुरक्षित वापसी
चहटपुर मदरसा के शिक्षकों को बकाया वेतन, एरियर और पेंशन दिलाना
दर्जनों स्कूल के बच्चों को छात्रवृत्ति और प्रोत्साहन राशि दिलाना
कई स्कूलों में शिक्षकों को समय पर पहुंचने के लिए विवश करना
दिघलबैंक और टेढ़ागाछ प्रखंड के सभी स्कूलों में मिड-डे मील में कमीशनखोरी को बंद कराना
स्वास्थ्यकर्मियों और बिजली कर्मियों को ससमय सेवा देने पर मजबूर करना
खबर सीमांचल ग्रुप के 50 हजार से अिधक मेंबर िमल कर चला रहे कॉल फॉर चेंज
फेसबुक ग्रुप में सदस्यों की संख्या- 50,347
यूआरएल- www.facebook.com/groups/seemanchal/
ज्यादातर सदस्य- किशनगंज-अररिया जिलों केग्रुप में कौन-कौन लोग हैं- स्थानीय निवासी, देश-विदेश में रहनेवाले किशनंगज-अररिया के लोग, स्थानीय जनप्रतिनिधि, चार जिलों के डीएम-एसपी, डीआइडी समते कई शीर्ष अधिकारी
इस पिछड़े इलाके के लिए रिवाेल्यूशन है खबर सीमांचल
किशनगंज जैसे इंटिरियर और बैकवर्ड, सीमावर्ती संवेदनशील जिले में, जहां कई इलाकों में अखबार भी दिन के 12 बजे पहुंचता है, वहां खबर सीमांचल ने एक रिवोल्यूशन ला दिया है. इस ग्रुप में जिले के कोने-कोने के लोग जुड़े हैं. वे हर छोटी-बड़ी सूचना को अपडेट करते हैं.
चूंकि इस ग्रुप में प्रशासन के लगभग सभी एक्टिव अधिकारी जुड़े हैं, तो जैसे ही कोई बात खबर सीमांचल पर आती है, उसका समाधान तत्काल होता है. अभी टेढ़ागाछ ब्लॉक का एक मामला कॉल फॉर चेंज ने ही उठाया था, उसे देखने डीएम साहब खुद गये थे. सबसे अच्छी बात है कि ये छोटे-छोटे और जरूरी मुद्दे उठाते हैं.
मनीष कुमार तिवारी, सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी, किशनगंज