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नीतीश का खुलासा, यूपी चुनाव से पहले जदयू और आरएलडी विलय मामला

पटना : जदयू और अजीत सिंह के आरएलडी के बीच विलय की संभावना के खत्म होने की मीडिया में चर्चा के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि विलय की पहल आरएलडी की ओर से की गयी थी, इसलिए इसका उत्तर वही लोग दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि विलय को लेकर […]

पटना : जदयू और अजीत सिंह के आरएलडी के बीच विलय की संभावना के खत्म होने की मीडिया में चर्चा के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि विलय की पहल आरएलडी की ओर से की गयी थी, इसलिए इसका उत्तर वही लोग दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि विलय को लेकर अगर कोई चाहे भी तो यह बहुत सहज और आसान नहीं है. पार्टियां चाह भी ले तो विलय करने की प्रक्रिया बहुत लम्बी है. इसलिए ऐसा नहीं है कि आप चाह भी लें तो विलय हो जायेगा. नीतीश ने कहा कि इसलिए हमने प्रारंभ से कहा है कि अधिक से अधिक एकता :मैक्सिमम पॅासिबल यूनिटी: होनी चाहिए जिसमें गठबंधन, तालमेल और आपसी समझ भी शामिल है. लेकिन जो कुछ भी हो कार्यक्रम पर आधारित होना चाहिए जिसके लिए प्रयासरत हैं और रहेंगे.

हम पीएम पद के दावेदार नहीं-नीतीश

नीतीश ने कहा कि भाजपा से इतर लोगों को एकजुट करने की बात करना भी बहुत लोगों को नागवार गुजर रहा है और इसको लेकर तरह-तरह की बात आज उठायी जा रही है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश ने कहा कि उन्होंने हाल में पटना में आयोजित अपनी पार्टी के एक सम्मेलन में स्पष्ट कर दिया था कि हमारी कोई दावेदारी :प्रधानमंत्री पद के लिए: नहीं है. एकता और एकजुटता की पूरी कोशिश करेंगे और उनकी समझ से यह कोशिश करना राजनैतिक आवश्यकता और देश के हित में है.

शरद पवार ने प्रशंसा की-नीतीश

राकांपा प्रमुख शरद पवार के नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर समर्थन किये जाने के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि पवार जी देश के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं और उन्होंने उनके बारे में जो कहा उसे प्रशंसा ही माना जाये और इसके लिए उनके वह शुक्रगुजार हैं. नीतीश ने कहा कि आपस में तालमेल, एकता और गठबंधन सहित यथा संभव एकता की ओर बढ़ना चाहिए तथा भाकपा के उस बयान कि कोई भी एकता होनी चाहिए, वह कार्यक्रम पर आधारित होना चाहिए, पूरे तौर पर सहमत हैं. नीतियों के बारे में स्पष्टता होनी चाहिए.

केंद्र सरकार का काम ठीक नहीं

उन्होंने कहा, ‘‘एक बात तो स्पष्ट है कि आज केंद्र में बैठी सरकार जो कर रही है वह लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है. देश में अहिष्णुता का दौर बढी हुआ है और जिस प्रकार से जो कुछ भी हो रहा है उसके मद्देनजर लोगों को जो उनकी नीतियों और कार्यकलापों से सहमत नहीं है उनकी आपस में एकजुटता होनी चाहिए और हमलोग इसके हिमायती हैं.’ उन्होंने कहा कि संविधान के राज्य के नीति निर्देशक तत्वों में यह वर्णित है कि शराबबंदी राज्य सरकार द्वारा लागू की जायेगी। इस सिलसिले में कुछ लोग उच्चतम न्यायालय गये थे। उच्चतम न्यायालय द्वारा संविधान की व्याख्या करते हुये स्पष्ट किया गया था कि शराब पीना या शराब का व्यापार करना मौलिक अधिकार नहीं है.

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