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महज 30 हजार बीमा की राशि के लिए हुआ घोटाला
बच्चेदानी घोटाला. पैसों के लालच में किया आॅपरेशन राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत प्रति ऑपरेशन डॉक्टर को 30 हजार रुपये देने की थी योजना पटना : राज्य में 2012 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाय) के तहत जो गर्भाशय ऑपरेशन घोटाला हुआ है, इसके पीछे महज 30 हजार रुपये की बीमा राशि हड़पने का […]
बच्चेदानी घोटाला. पैसों के लालच में किया आॅपरेशन
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत प्रति ऑपरेशन डॉक्टर को 30 हजार रुपये देने की थी योजना
पटना : राज्य में 2012 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाय) के तहत जो गर्भाशय ऑपरेशन घोटाला हुआ है, इसके पीछे महज 30 हजार रुपये की बीमा राशि हड़पने का मामला है.
जिन डॉक्टरों ने बिना जरूरत के भी महिलाओं का ऑपरेशन करके गर्भाशय निकालने का काम किया है, उनमें महज प्रति ऑपरेशन की दर से 30 हजार रुपये प्राप्त करने की लालच थी. इसी चक्कर में इन्होंने कई फर्जी नाम-पता वाली महिलाओं के ऑपरेशन भी कर दिये. यानी कागज पर ही इन महिलाओं का ऑपरेशन करके गलत तरीके से बीमा की राशि हड़प ली. कुछ मामलों में तो पुरुषों के नाम पर ही राशि निकाल ली गयी है.
हालांकि इस पूरे घोटाले में संबंधित बीमा कंपनी भी उतनी ही दोषी है. क्योंकि बिना बीमा कंपनी के मिलीभगत से फर्जी नाम और पते पर राशि की निकासी नहीं हो सकती है. राज्य मानवाधिकार आयोग ने सिर्फ कुछ रुपयों के लिए किसी महिला के साथ इस तरह के किये कार्य को पूरी तरह से अमानवीय और बर्बरतापूर्ण बताया है.
राज्य आयोग ने महिलाओं के साथ किये गये इस तरह के कृत्य को मानवाधिकार का पूरी तरह से हनन बताते हुए स्वास्थ्य विभाग को मुआवजा देने का आदेश दिया है. साथ ही दोषी डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने के लिए एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) को लिखने के लिए भी कहा है.
विभाग ने कई दोषी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की पहल भी कर दी है. परंतु अभी भी कई डॉक्टर बचे हुए हैं, जिन पर कार्रवाई की जायेगी. बीमा के रुपये प्राप्त करने के लिए बिना जरूरत और फर्जी तरीके से 709 महिलाओं का ऑपरेशन कर दिया गया था. इसमें 123 मामले पूरी तरह से फर्जी हैं.
उम्र निर्धारण के लिए मेडिकल जांच
गर्भाशय घोटाले में 168 महिलाएं ऐसी भी हैं, जिनके उम्र का पता नहीं चल सका है. इस कारण इन्हें मुआवजा की सही राशि नहीं मिल पायेगी. इस कारण इन महिलाओं का उम्र दस्तावेजों के आधार पर पता लगाने के लिए राज्य आयोग ने कहा है. इसके बाद भी उम्र का पता नहीं चलने पर इनकी मेडिकल जांच कराने के लिए कहा गया है. उम्र का निर्धारण करने के लिए मेडिकल में बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट किया जाता है.
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