शास्त्र भी दहेज का विरोध करते हैं : सुरेश चंद्र शास्त्री

लक्ष्मी का अनादर करना छोड़ें, लक्ष्मी रूपी बहू को स्वीकार करें फुलवारीशरीफ : कोई भी धर्मग्रंथ या शास्त्र दहेज लेने या देने का संदेश नहीं देता है. हम शादी-विवाह में भगवान का कथा कराते हैं, लेकिन कथा का संदेश अपने जीवन में नहीं उतारते हैं. ऐसी भक्ति और पूजा से भगवान कभी प्रसन्न नहीं हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 11, 2016 7:18 AM
लक्ष्मी का अनादर करना छोड़ें, लक्ष्मी रूपी बहू को स्वीकार करें
फुलवारीशरीफ : कोई भी धर्मग्रंथ या शास्त्र दहेज लेने या देने का संदेश नहीं देता है. हम शादी-विवाह में भगवान का कथा कराते हैं, लेकिन कथा का संदेश अपने जीवन में नहीं उतारते हैं. ऐसी भक्ति और पूजा से भगवान कभी प्रसन्न नहीं हो सकते.
ये बातें मंगलवार को भागवत कथा के चौथे दिन पूज्य शांतिदूत महंत सुरेश चंद्र शास्त्री महाराज ने कहीं. उन्होंने कहा कि राधे-राधे का जयकारे लगाने से भगवान प्रसन्न नहीं होंगे, बल्कि हमें लक्ष्मी के अनादर करने से बचना होगा. भगवान का प्रसाद जिस तरह हम श्रद्धा से स्वीकार करते है, ठीक उसी तरह बहू को लक्ष्मी मान कर स्वीकार कीजिए. उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण के साथ भले ही राधा का नाम हमेशा जुड़ा रहता है. लेकिन, किसी भी धर्मग्रंथ में राधा का जिक्र नहीं है.
महाभारत या भगवद् गीता दोनों में से किसी भी धर्मग्रंथ में राधा का नाम नहीं आता है. फिर भी श्रीकृष्ण भक्ति की सरिता राधा के बगैर नहीं बहती है. उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण के बारे में जितना भी जानिए, कम ही लगेगा. हिंदू देवी-देवताओं में श्रीकृष्ण का दर्जा सबसे अलग है. कृष्ण को जन्म भले ही देवकी ने दिया हो , लेकिन उनका पालन-पोषण यशोदा ने किया .

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