शिथिल पड़ी छात्रवृत्ति घोटाले की जांच
पटना : पटना जिले में प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच शिथिल पड़ गयी है. घोटाले का खुलासा हुए दो माह होने को हैं, लेकिन अब तक मामला वहीं का वहीं है. मामले में खुलासे के पहले दिन हुई तीन लोगों की गिरफ्तारी से ज्यादा कुछ हो नहीं सका है. गौरतलब है कि घोटाले की पहली […]
पटना : पटना जिले में प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच शिथिल पड़ गयी है. घोटाले का खुलासा हुए दो माह होने को हैं, लेकिन अब तक मामला वहीं का वहीं है. मामले में खुलासे के पहले दिन हुई तीन लोगों की गिरफ्तारी से ज्यादा कुछ हो नहीं सका है.
गौरतलब है कि घोटाले की पहली कड़ी में एक करोड़ 38 लाख रुपये और दूसरी कड़ी में 45 लाख 25 हजार रुपये की राशि के गबन का खुलासा हुआ था. इसके बाद बैंकों से तीन साल की पूरी रिपोर्ट मांगी गयी थी, उसमें भी काफी देरी हो रही है. एक बैंक एजेंसी को छोड़ किसी ने अब तक रिपोर्ट भी नहीं दी है.
इतना ही नहीं, सिटी एसपी के नेतृत्व में बनी स्पेशल जांच दल ने किसी को गिरफ्तार करना तो दूर, पूछताछ भी नहीं की है. इसका कारण यह है कि ज्यादातर फर्जी खाताधारियों ने गलत पते का इस्तेमाल किया है. डीडीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि घाेटाले के पीछे बैंकों की भी लापरवाही है. उन्होंने बैंकों की भूमिका पर सवाल उठाया. इसके बाद जिला कल्याण शाखा ने बैंकों से सारे मसलों पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा, पर बैंकों की पूरी रिपोर्ट अब तक नहीं मिल सकी है.
हालांकि प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले में दूसरी जांच रिपोर्ट आने के बाद इसकी जांच का दायरा बढ़ गया था. 2013 से 2015 तक के छात्रवृत्ति वितरण की जांच होनी है. डीडीसी अमरेंद्र कुमार ने इसकी जांच कराने की अनुशंसा डीएम एसके अग्रवाल से की थी. लेकिन इस पर पहल नहीं शुरू हो सकी है.