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स्मोक मीटर उपलब्ध नहीं कैसे करें गाड़ियों की जांच

पटना : ध्वनि व वायु प्रदूषण पर नियंत्रण को लेकर राज्य सरकार के स्तर पर कई प्रयास किये गये. लेकिन, उन प्रयासों को जमीन पर लागू नहीं किया जा सका है. सीएम नीतीश कुमार ने प्रदूषण पर रोक लगाने के उद्देश्य से पंद्रह साल पुरानी डीजल गाड़ियों को राजधानी से हटाने का निर्देश दिया था. […]

पटना : ध्वनि व वायु प्रदूषण पर नियंत्रण को लेकर राज्य सरकार के स्तर पर कई प्रयास किये गये. लेकिन, उन प्रयासों को जमीन पर लागू नहीं किया जा सका है. सीएम नीतीश कुमार ने प्रदूषण पर रोक लगाने के उद्देश्य से पंद्रह साल पुरानी डीजल गाड़ियों को राजधानी से हटाने का निर्देश दिया था.
पुरानी डीजल गाड़ियां हटनी तो दूर, कई रूट पर केरोसिन तेल मिश्रित डीजल से खुले आम ऑटो चलाये जा रहे हैं.धुआं छोड़ती गाड़ियां लोगों को बीमार कर रही है. खास बात है कि इन पर रोक लगाने को लेकर जिला परिवहन कार्यालय (डीटीओ) के पास कोई योजना भी नहीं है. डीएम ने डीटीओ व यातायात पुलिस को निर्देश दिया कि प्रदूषण पर रोक लगायी जाये, लेकिन डीटीओ ऑफिस में स्मोक मीटर नहीं होने से यह काम नहीं हो पा रहा.
खटारा गाड़ियों को भी फिटनेस सर्टिफिकेट : राजधानी में खुलेआम ऐसी गाड़ियां घूमती है, जो जर्जर स्थिति में हैं और धुआं देती हैं. इसके बावजूद इन गाड़ियों को फिटनेस सर्टिफिकेट मिल जाता है.
परिवहन कार्यालय के पास प्रदूषण जांच करने वाली मशीन नहीं होने से इन गाड़ियों की जांच नहीं हो पाती है.एक एडीटीओ और तीन एमवीआइ की कमी : डीटीओ कार्यालय में एक एडीटीओ व तीन एमवीआइ की कमी है. इसके चलते नियमित जांच व ऑफिस का काम बाधित हो रहा है. तय स्ट्रेंथ से पांच लिपिक कम होने से फाइल वगैरह समय पर तैयार नहीं हो पाती है. इस कमी को दूर करने के लिए अधिकारियों ने कई बार चिट्ठी भी लिखी है.

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