पटना : भाजपा ने बिहार सरकार के सीवान में पत्रकार राजदेव नंदन हत्याकांड की सीबीआई से जांच कराने का निर्णय विपक्ष के दबाव में आकर लेने का दावा करते हुए आज कहा कि प्रदेश की नीतीश कुमार सरकार अपराध मिटाने का भी एक ‘निश्चय’ लें क्योंकि इसके रहते कोई भी अन्य निश्चय :सात निश्चय: पूरे नहीं होंगे. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष की लगातार मांग पर अंतत: सीबीआई जांच के लिए राजी हो गये.
विपक्ष के दबाव में लिया फैसला
उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री ने हमारी मांग को स्वीकार कर लिया पर उन्हें पत्रकार के परिवार को न्याय मिले यह सुनिश्चित करना चाहिए तथा भविष्य में ऐसी घटना फिर से दोहरायी न सके. नीतीश कुमार को कानून का राज और सुशासन को कायम रखना चाहिए तथा प्रदेश से अपराध के खात्मे के लिए महागठबंधन सरकार को एक और निश्चय लेना चाहिए. शाहनवाज ने कहा कि बिहार में अपराध की घटना के घटित होते एक भी निश्चय :सात निश्चय: को जमीन पर नहीं उतारा जा सकता है.
सात निश्चय पर कसा तंज
उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार सरकार ने अगले पांच सालों के दौरान प्रत्येक गांव में बिजली, हर घर में पाइप के जरिये जलापूर्ति, शौचालय, सड़क और नाली, छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए 4 लाख रुपये का ऋण तथा महिलाओं को नौकरी में 35 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने का सात निश्चय किया है. शाहनवाज ने कहा कि बिहार को शराब मुक्त बनाने के साथ नीतीश सरकार को अपराधमुक्त भी बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए.
सत्ताधारी विधायक अपराध में संलिप्त
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बिहार की तुलना में अन्य प्रदेशों में अधिक आपराधिक घटनाओं के घटित होने की दलील पर शाहनवाज ने कहा कि किसी प्रदेश में नई सरकार के सत्ता में आने के छह महीने के भीतर इस तरह लगातार आपराधिक घटनाएं घटते हुए हमने नहीं देखा है. बिहार एक मात्र ऐसा प्रदेश है जहां सत्ताधारी विधायक अपराध में संलिप्त हैं और यह पिछले छह महीने के कार्यकाल के दौरान हुआ है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को जनादेश अपराध पर नियंत्रण के लिए दिया है न कि अपराध की घटना घट जाने पर कार्रवाई के लिए दिया है.
पत्रकार की हत्या की तुलना अन्य घटनाओं से क्यों ?
महागठबंधन :जदयू-राजद-कांग्रेस: की सरकार को ‘महाजंगलराज’ की संज्ञा देते हुए शाहनवाज ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अपने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के पद चिन्हों पर चलने का आरोप लगाते हुए कहा कि तेजस्वी ने गया में युवक की हत्या को पठानकोट में आतंकी हमले से तुलना की थी जबकि नीतीश एक पत्रकार की हत्या की तुलना देश से विजय माल्या के फरार होने से कर रहे हैं.