अब बजट में प्लान और नन प्लान का झंझट खत्म
पटना : राज्य में नये वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट का स्वरूप काफी बदला रहेगा. नये वित्तीय वर्ष के आगामी बजट में प्लान और नन प्लान के बीच किसी तरह का बंटवारा नहीं होगा. सभी विभागों के बजट में भी योजना और गैर-योजना आकार की बाध्यता नहीं रहेगी. हर विभाग अपने-अपने स्तर या जरूरत के […]
पटना : राज्य में नये वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट का स्वरूप काफी बदला रहेगा. नये वित्तीय वर्ष के आगामी बजट में प्लान और नन प्लान के बीच किसी तरह का बंटवारा नहीं होगा. सभी विभागों के बजट में भी योजना और गैर-योजना आकार की बाध्यता नहीं रहेगी.
हर विभाग अपने-अपने स्तर या जरूरत के मुताबिक पैसे खर्च कर सकते हैं. सरकार विभागों को भी जो रुपये आवंटित करेगी, उसमें भी किसी तरह के योजना आकार की चर्चा नहीं होगी. इस वित्तीय वर्ष से विभागों के भी पैसे एक साथ आवंटित किये जायेंगे. इन्हें सिर्फ अपने-अपने यहां खर्च का शीर्ष या किस मद में रुपये खर्च कर रहे हैं, इसकी श्रेणी बनाकर आवंटित रुपये को खर्च करेंगे. इसमें योजना और गैर-योजना जैसा कोई विभाजन नहीं होगा. कुल आवंटित राशि में ही योजना, वेंतन, पेंशन, ब्याज, आकस्मिक निधि समेत अन्य मदों में रुपये खर्च करके इसका उल्लेख किया जायेगा.
बजट में इस तरह के बदलाव के पीछे बजट की प्रक्रिया और खर्च के विभाजन को सरलीकृत करना है. केंद्र सरकार भी अपने बजट में यही बदलाव करने जा रही है. वहां के योजना और गैर-योजना जैसा बंटवारा नहीं रहेगा.
रुपये को उनकी जरूरत के हिसाब से श्रेणी में बांट कर खर्च किया जायेगा. जिस मद के जो रुपये होंगे, उस मद में उन्हें खर्च किया जायेगा.
आगामी वित्तीय वर्ष 2017-18 से काफी बदल जायेगा राज्य के बजट का स्वरूप
इस कारण से खत्म हुये प्लान और नन प्लान
केंद्र ने प्लानिंग कमीशन (योजना आयोग) को खत्म कर दिया है. इसके स्थान पर नीति आयोग का गठन कर दिया गया है. साथ ही 12वां योजना आयोग का कार्यकाल वित्तीय वर्ष 2016-17 में ही समाप्त हो रहा है. इसके बाद से योजना आयोग का अस्तित्व ही देश से समाप्त होने जा रहा है. इस कारण योजना और गैर-योजना आकार का कोई मतलब नहीं रह गया है.
राज्य के बजट से प्लान और नन प्लान को खत्म करने के ये प्रमुख कारण हैं. इसके अलावा यह देखा जाता था कि प्लान और नन-प्लान को लेकर भ्रांति बन गयी थी. प्लान को ही मुख्य और अहम खर्च माना जाता था. नन प्लान को गैर-जरूरी या अतिरिक्त खर्च माना जाता था. इससे कई अहम कार्य नहीं हो पाते थे. मसलन भवन या सड़ की मरम्मति का काम नन-प्लान का हिस्सा माना जाता है. वहीं, सड़क निर्माण प्लान का हिस्सा है. विभाग सड़कों के प्लान खर्च को बढ़ाने के चक्कर में सड़कों की मरम्मति की तुलना में इनके निर्माण पर ज्यादा जोर देते थे.
बजट का विभाजन सिर्फ राजस्व और पूंजीगत व्यय पर
प्लान और नन प्लान खत्म होने के बाद से बजट में आवंटित राशि के खर्च का विभाजन राजस्व (रेवेन्यू) और पूंजीगत (कैपिटल) व्यय के रूप में होगा. इसमें मुख्य रूप से जिस राशि से परिसंपत्ति का निर्माण नहीं किया जाता है, वह राजस्व व्यय है. जबकि परिसंपत्ति का निर्माण होने वाली राशि को पूंजीगत व्यय कहते हैं.
बजट में राशि खर्च करने को इसके लिए कोड भी निर्धारित किये गये हैं. 2 और 3 से शुरू होने वाले तमाम खर्च रेवेन्यू व्यय माने जायेंगे, जबकि 4 और 5 से शुरू होने वाले तमाम खर्च पूंजीगत व्यय माने जायेंगे. आगामी वित्तीय वर्ष का बजट इन बातों के आधार पर काफी बदला-बदला रहेगा.