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जून में नयी उद्योग नीति, जरूरी हुआ तो सिंगल विंडो सिस्टम की होगी समीक्षा : CM नीतीश

पटना : राज्य में नयी अौद्योगिक प्रोत्साहन नीति जून में आ जायेगी. इसकी घोषणा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को उद्यमी पंचायत में की. संवाद में आयोजित उद्यमी पंचायत में उन्होंने कहा कि वर्तमान में चल रही औद्योगिक प्रोत्साहन नीति जून, 2016 में खत्म हो रही है. 30 जून से नयी अौद्योगिक प्रोत्साहन नीति की […]

पटना : राज्य में नयी अौद्योगिक प्रोत्साहन नीति जून में आ जायेगी. इसकी घोषणा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को उद्यमी पंचायत में की. संवाद में आयोजित उद्यमी पंचायत में उन्होंने कहा कि वर्तमान में चल रही औद्योगिक प्रोत्साहन नीति जून, 2016 में खत्म हो रही है.
30 जून से नयी अौद्योगिक प्रोत्साहन नीति की आवश्यकता है. 2006 से 2016 तक औद्योगिक प्रोत्साहन नीति के लाभ व परिणामों के देखते हुए नयी औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2016 का निर्माण होगा. उन्होंने कहा कि उद्यमियों के सुझावों पर उद्योग विभाग संबंधित विभागों से मिल कर तेजी से काम करेगा. उद्योग विभाग को उद्यमियों से काफी फिडबैक मिला है. उद्यमियों की बात सुनने से अगर महसूस होता है कि कोई निर्णय होना चाहिए, तो तुरंत निर्णय लिया जायेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन के लिए सिंगल विंडो सिस्टम अपनाया गया है. अगर इसमें रिव्यू करने की आवश्यकता हुई, तो इसकी समीक्षा की जायेगी. हम चाहते हैं कि इफेक्टिव सिंगल विंडो सिस्टम कार्यरत हो, ताकि उद्यमियों को क्लीयरेंस में किसी तरह की कठिनाई नहीं हो. उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह के स्तर पर विचार मंथन चल रहा है.
औद्योगिक प्रोत्साहन नीति में संशोधन की आवश्यकता होगी, तो कानून में संशोधन किया जायेगा. उन्होंने कहा कि प्रस्ताव आने के काफी समय के बाद प्रस्ताव मुझ तक पहुंच पाता है. उन्होंने एसआइपीबी के लिए अनुमोदन में तेजी लाने के लिए अधिकारियों को टास्क भी दिये. औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2011 की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसे आदर्श मान कर हरियाणा में इसे अपनाया जा रहा है.
हर सेक्टर के लिए कॉमन पॉलिसी
मुख्यमंत्री ने कहा कि निवेश के दृष्टिकोण से हमारे यहां बहुत बड़ा निवेश नहीं आया है. इसके बाद भी हमारा ग्रोथ डबल डिजिट में रहा है. 2006 से अब तक बिहार में उद्यमियों को सब्सिडी के रूप में तीन हजार करोड़ रुपये दिये गये हैं. चीनी मिल, फूड प्रोसेसिंग, आइटी, टूरिज्म व स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश की काफी संभावनाएं हैं.
जिस उद्योग में निवेश की संभावनाएं हैं, उसी पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हर सेक्टर के लिए एक कॉमन पॉलिसी बनायेंगे. सरकार रोजगार देनेवाली उद्योगों को रियायत देना चाहती है. उद्योग के लिए भूमि का समाधान कैसे हो, इसके लिए सभी उद्यमियों को भी प्रयास करना चाहिए. सीएम ने उद्यमियों से कहा, बिहार में उद्योग लगे, इसके लिए आप लोगों को भी चिंतन व आत्ममंथन करना चाहिए और सुझाव देना चाहिए. आपके प्रस्ताव पर सरकार निर्णय लेगी.
राइस मिल इंडस्ट्री के खिलाफ नहीं
नीतीश कुमार ने कहा कि प्रदूषण फैलानेवाले उद्योग से सरकार किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगी. ऐसे उद्योग हमें नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि धान का प्रोक्योरमेंट 20 लाख टन है, यह साधारण बात नहीं है. राइस मिलरों ने धान लेकर चावल लौटाया नहीं. उन्होंने किसानों का चावल पचा लिया है, तो उन पर एक्शन हो रहा है. उन्होंने कहा कि हमलोग राइस मिल इंडस्ट्री के खिलाफ नहीं हैं. सरकार की पॉलिसी ऐसी बन रही है, जो उद्योग को बढ़ाने में सहायक होगी. उद्यमियों को भी यह देखना होगा कि वे कोई ऐसा काम नहीं करें, जिससे सरकार की बदनामी हो.
महीने के पांचवें सोमवार को उद्यमी पंचायत
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार महीने के पांचवें सोमवार को उद्यमी पंचायत लगायेगी. इसमें उद्यमी और उद्योग संघों द्वारा उठायी गयी समस्याओं के निराकरण पर विचार होता है व निवेश को बढ़ावा देने के लिए परामर्श प्राप्त किया जाता है. इससे पहले आठ उद्यमी पंचायत हो चुकी है. इसमें खाद्य प्रसंस्करण, उद्योग, हेल्थ केयर, प्लास्टिक उद्योग, निजी औद्योगिक क्षेत्र, एग्रीकल्चर इक्यूपमेंट एंड अपरच्यूनिटी, होटल और रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ बिहार, एसोसिएशन ऑफ बुद्धस्टि ट्रेवल एंड टूरज्मि, गारमेंट एंड टेक्सटाइल सेक्टर के लोगों ने अपनी बातें रखीं.
पांच जून से लोक शिकायत निवारण अधिनयिम
मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच जून से लोक शिकायत निवारण अधिनियम लागू हो रहा है. शिकायतों की सुनवाई के साथ ही उसका निराकरण का भी अधिकार जनता को प्राप्त होगा. आरटीआइ, आरटीपीएस, न्यायालय से संबंधित मामले और नौकरी से संबंधित मामले को छोड़ कर कोई भी शिकायत के निवारण का अधिकार लोगों को प्राप्त होगा.
इथनॉल बनाने से चीनी उद्योग को होता मुनाफा
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री का बयान आया है कि इथनॉल बनाया जाये. हमने अनुमति मांगी, तो केंद्र सरकार ने सुरक्षा को ध्यान में रख कर इसकी अनुमति नहीं दी. अगर इथनॉल बनाने की इजाजत मिलती, तो बिहार में चीनी उद्योग मुनाफे में रहता और किसानों को भी ज्यादा कीमतें मिलतीं.

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