पटना : बिहार में विपक्षी दल भाजपा ने राज्य की राजधानी पटना में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र के निर्माण में ‘‘वित्तीय अनियमितता” का आज आरोप लगाया और करोडों रुपये की परियोजना की एक उच्च स्तरीय जांच की मांग की. भाजपा के संसदीय बोर्ड के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि परियोजना की कल्पना दिल्ली के विज्ञान भवन की तर्ज पर की गयी थी. इसे बिहार में राजग सरकार के दौरान मंजूरी दी गयी थी लेकिन पांच हजार लोगों के बैठने की क्षमता वाले सम्मेलन केंद्र की आधारशिला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आठ फरवरी 2014 को रखी.
निर्माण में अनियमितता का आरोप
बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता सुशील मोदी ने संवाददाताओं को बताया कि डीडीएफ कंसल्टेंट ने राजधानी पटना के बीचोंबीच सम्मेलन केंद्र की एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की थी. उन्होंने कहा, ‘‘कंसल्टेंट ने 490 करोड रुपये की एक संशोधित अनुमान पेश किया था. जब इमारत निर्माण विभाग :बीसीडी: ने मूल अनुमान को संशोधित करने के बारे में सवाल किये जो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया. जब उसे चेतावनी दी गई कि उसकेे बोली लगाने पर रोक लगा दी जायेगी उसने परियोजना का 587.68 करोड रुपये का एक दूसरा संशोधित अनुमान दिया. बीसीडी वर्तमान में तेजस्वी यादव के पास है जो राज्य के उप मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद के पुत्र हैं.
उच्चस्तरीय जांच की मांग
सुशील मोदी ने कहा कि इसके बाद डीडीएफ कंसल्टेंट पर सात जनवरी 2015 को बिहार में किसी भी परियोजना में बोली लगाने से रोक लगा दी गई. यद्यपि महागठबंधन के शपथ लेने के केवल 20 दिन बाद ही राज्य सरकार ने रोक लगायी गई कंपनी के कार्य को संतोषजनक बताना शुरू कर दिया और छह जनवरी 2016 को उस पर से रोक शर्त हटा दी. उन्होंने सवाल किया, ‘‘ऐसा क्या हुआ कि राज्य सरकार जिसने पहले कंपनी को अनियमितताओं के आधार पर काली सूची में डाला था सरकार के शपथ लेने के एक महीने के भीतर ही उस पर से रोक हटा ली?” उन्होंने कहा कि कंसल्टेंट को फिर से काली सूची में डाला जाना चाहिए और इस मामले की एक उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए.