विभाग को नहीं पता कितने हैं रोगी

होने हैं 2300 मोतियाबिंद ऑपरेशन, एक भी रजिस्ट्रेशन नहीं पटना : स्वास्थ्य विभाग को अभी तक नहीं पता है कि पटना जिले में मोतियाबिंद के कुल कितने रोगी हैं. इसके लिए न तो कोई सर्वे किया गया है न ही स्थानीय अस्पतालों में ही इसका अध्ययन कराया गया. इन सबके बीच पटना जिला प्रशासन तीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 2, 2016 6:18 AM
होने हैं 2300 मोतियाबिंद ऑपरेशन, एक भी रजिस्ट्रेशन नहीं
पटना : स्वास्थ्य विभाग को अभी तक नहीं पता है कि पटना जिले में मोतियाबिंद के कुल कितने रोगी हैं. इसके लिए न तो कोई सर्वे किया गया है न ही स्थानीय अस्पतालों में ही इसका अध्ययन कराया गया.
इन सबके बीच पटना जिला प्रशासन तीन जून से ‘अॉपरेशन दृष्टि’ अभियान शुरू कर रहा है, जिसके तहत अगले छह महीने में 2300 बुजुर्गों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया जायेगा. रोगियों को घर से पटना के राजेंद्र नगर स्थित सुपर स्पेशियलिटी आइ हॉस्पिटल लाया जायेगा.
यहां पर इलाज के बाद चश्मा मुहैया करा कर वापस घर तक सरकारी वाहन से ही पहुंचाने की योजना है. इसका सारा खर्चा प्रशासन ही उठायेगा. यदि रोगियों की संख्या बढ़ी, तो फिर एक साल तक अभियान को जारी रखा जायेगा.
नेत्र सहायक करेंगे रोगियों की पहचान : पटना जिले के सभी प्रखंड को 100 मरीजों का अॉपरेशन कराने का लक्ष्य दिया गया है.
रोगियों का कोई डाटा बेस नहीं होने के कारण रोगियों को पहचानने की जिम्मेवारी नेत्र सहायक दी गयी है. नेत्र सहायकों को पता करना है कि किस इलाके में कितने और कौन-कौन मोतियाबिंद के रोगी हैं. नेत्र सहायक बुजुर्ग से और उनके घर वालों से पूछताछ करने के बाद जांच कर सही व्यक्ति की पहचान करेंगे और उन्हें इलाज के लिए चयनित करेंगे. इसमें धनरुआ, मसौढ़ी, दानापुर और पालीगंज प्रखंडों से 20 रोगियों का इलाज कराया जाना है. इन सभी रोगियों की पहचान कर ली गयी है.
बीडीओ से करना है संपर्क
यदि आपको भी किसी परिचित या जरूरतमंद की अांखों का ऑपरेशन कराना हो, तो अपने प्रखंड में प्रखंड विकास पदाधिकारी यानी बीडीओ से संपर्क कर सकते हैं. बीडीओ से दूरभाष के जरिये या फिर सीधे मिल कर ऑपरेशन कराने वालों की जानकारी दे सकते हैं. पटना के सभी 23 बीडीओ को डीएम ने आदेश जारी कर कहा है कि वे सभी जरूरतमंद लोगों का रोस्टर बना कर बारी-बारी से इलाज के लिए पटना लेकर आयेंगे.
नहीं है कोई डाटाबेस
हमारे पास मोतियाबिंद के रोगियों का कोई डाटा बेस नहीं है, क्योंकि इस बीमारी से पीड़ित रोगियों का कोई निबंधन नहीं कराया जाता है.
गिरींद्र शेखर सिंह, सिविल सर्जन, पटना

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