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CM नीतीश को आवंटित दो बंगले पर बढ़ा विवाद, पढ़ें

पटना : बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज एक बार फिर नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा है. इस बार मसला है, मुख्यमंत्री को आवंटित दो बंगला. सुशील मोदी ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि अकेले रहने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जहां दो बंगले आवंटित किये गये हैं, वहीं […]

पटना : बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज एक बार फिर नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा है. इस बार मसला है, मुख्यमंत्री को आवंटित दो बंगला. सुशील मोदी ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि अकेले रहने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जहां दो बंगले आवंटित किये गये हैं, वहीं पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव का चैम्बर विभाग के सलाहकार को सौंप दिया गया है. क्या नीतीश कुमार को भरोसा नहीं है कि वे पांच साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे, इसीलिए पूर्व मुख्यमंत्री का आवास भी अभी से ही आवंटित करा लिए हैं? क्या सरकार के इन अजीबोगरीब फैसलों से हैरानी नहीं हो रही है?

आखिर दो बंगले का औचित्य क्या है ?

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के लिए जब पहले से ही 1, अणे मार्ग स्थित बंगला निर्धारित है तो फिर नीतीश कुमार के लिए 7, सर्कुलर रोड स्थित दूसरा बंगला आवंटित करने का क्या औचित्य है? 7, सर्कुलर रोड स्थित बंगला तो उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर आवंटित किया गया था, मगर अब तो वे पांच साल के लिए पूर्णकालिक मुख्यमंत्री हैं. सुशील मोदी ने सवाल करते हुए पूछा कि परिवारवाद की राजनीति से परहेज करने व केवल एक पुत्र के साथ रहने वाले नीतीश कुमार को आखिर दो-दो बंगले क्यों चाहिए?

सुशील मोदी ने खड़े किये सवाल

सुशील मोदी ने कहा कि परिवारवाद की राजनीति करने वाले लालू प्रसाद और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती राबड़ी देवी जहां पूर्व मुख्यमंत्री हैं, वहीं उनके दो पुत्र सरकार में मंत्री हैं, अगर ये चार लोग एक बंगले में रह सकते हैं तो फिर नीतीश कुमार को दो बंगले क्यों चाहिए? पुराने विधायक आवासों को तोड़ देने और नये के निर्माण में विलम्ब की वजह से जहां विधायकों व वरीय मंत्रियों तक को आवास उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, ऐसे में अकेले रहने वाले मुख्यमंत्री को दो-दो बंगले आवंटित करने का सरकार का फैसला क्या हैरान करने वाला नहीं है?

सलाहकार को चैंबर क्यों ?

इसी प्रकार पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव का चैम्बर विभाग के सलाहकार को आवंटित करने का सरकार का फैसला भी अजीबोगरीब है. क्या सरकार ने पथ निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विभाग में प्रधान सचिव का पद समाप्त कर दिया है? जनता के समक्ष सरकार को वस्तुस्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

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