पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री सह पथ निर्माण मंत्री तेजस्वी यादव ने राष्ट्रीय राजमार्ग की प्रदेश में सबसे बुरी स्थिति होने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि केंद्र सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में ‘एनएच विंग’ के लिए संसूचित लक्ष्यों में भी बिहार के हितों की उपेक्षा की गयी है. यहां आज संवाददाता सम्मेलन के दौरान पथ निर्माण विभाग की उपलब्धियों और आगे की कार्य योजना से अवगत कराते हुए तेजस्वी ने एनएच के मामले में बिहार की सबसे बुरी स्थिति है और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वर्ष 2016-17 में ‘एनएच विंग के लिए संसूचित लक्ष्यों में भी बिहार के हितों की घोर उपेक्षा की है.
बिहार के साथ नाइंसाफी
उन्होंने कहा कि जहां महाराष्ट्र एनएच विंग का एनएच अवार्ड करने का लक्ष्य 4243 किमी है, वहीं बिहार का मात्र 212 किमी है. यह देश के कुल 11500 किमी के लक्ष्य का मात्र 2 प्रतिशत है. क्या यह बिहार और यहां के 10 करोड लोगों के साथ की गयी नाइंसाफी नहीं है. तेजस्वी ने आरोप लगाया कि 7000 किमी एनएच चौड़ीकरण निर्माण कार्योंं को पूरे करने के लक्ष्य में भी बिहार के साथ अन्याय किया गया है. जहां महाराष्ट्र का यह लक्ष्य 1346 किमी रखा गया है, वहीं बिहार का मात्र 184 किमी है. एनएच विंग द्वारा वर्ष 2016-17 के लिए भेजी गयी 9200 करोड की वार्षिक योजना में से मात्र 1023 करोड़ की ही योजना स्वीकृत की गयी है.
बिहार के हितों की घोर उपेक्षा
उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस विषय पर भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को एक पत्र लिखा है एवं इसकी प्रति बिहार कोटे के सभी केंद्रीय मंत्रियों, राज्य मंत्रियों, सभी राज्यसभा एवं लोकसभा सदस्यों को भी दी है. उन्होंने आरोप लगाया कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016-17 में एनएचएआई का एनएच अवार्ड करने का लक्ष्य 15000 किमी एवं एनएच निर्माण का लक्ष्य 8000 किमी निर्धारित किया गया है, जिसमें एनएचएआइ द्वारा बिहार को क्रमश: 328 किमी एवं 166 किमी मात्र का लक्ष्य मिला है. इस प्रकार एनएचएआई द्वारा भी बिहार के हितों की घोर उपेक्षा की गई है.
केंद्र पर राशि आवंटित नहीं करने का आरोप
तेजस्वी ने कहा कि प्रधानमंत्री के बिहार के लिए दिये गये स्पेशल पैकेज में वर्णित तीनों पुलों महात्मा गांधी सेतु के समानान्तर 4 लेन पुल, कोसी नदी पर फुलौत के नजदीक एनएच 106 पर पुल एवं सोन नदी पर पांडुका में नए पुलों के निर्माण का कार्य भी डीपीआर बनाने की निविदा आमंत्रित से आगे नहीं बढ़ा है. इसी प्रकार पिछले कुछ वर्षों में एसएच से एनएच में उत्क्रमित लगभग 1800 किमी से अधिक पथों का कार्य भी डीपीआर बनाने की निविदा आमंत्रित करने तक ही सीमित है. उन्होंने आरोप लगाया कि एनएच के रुप में उत्क्रमित होने के बाद न्यूनतम चौड़ाई के अनुसार सड़क का निर्माण करने के लिए भारत सरकार द्वारा वर्षों न तो राशि उपलब्ध करायी जाती है और न ही अन्य ठोस कार्रवाई की जाती है. इसलिए ऐसी पथों को यातायात लायक बनाये रखने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने यह नीतिगत निर्णय लिया है कि जब तक ऐसी पथों के निर्माण के लिए निविदा आमंत्रित कर कार्य प्रारंभ करने के लिए एजेंसी को कार्यादेश निर्गत नहीं किया जाता है तब तक सड़क भारत सरकार :एनएच विंग अथवा एनएचएआइ को नहीं दी जायेगी.
रेलवे ने आरओवी का काम शुरू नहीं किया-तेजस्वी
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा पिछले पांच वर्षों में 27 एवं नई सरकार बनने के बाद 26 आरओबी निर्माण के लिए 50 प्रतिशत राज्यांश देने की लिखित सहमति देने पर भी रेलवे द्वारा एक भी नये आरओबी में निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है. उन्होंने कहा इस विषय पर रेल मंत्री को कई पत्र लिखे हैं और व्यक्तिगत रूप से भी मई में उनसे मिले थे. तेजस्वी ने कहा कि उन्होंने रेल मंत्री से अनुरोध किया था कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग एवं रेल मंत्रालय के बीच हस्ताक्षरित एमओयू की तर्ज पर बिहार सरकार और रेलवे के बीच भी एमओयू हस्ताक्षरित किया जाय. यद्यपि रेल मंत्री ने बैठक के दौरान इस पर गंभीरता से विचार करने का आदेश रेलवे बोर्ड को दिया था लेकिन पथ निर्माण विभाग एवं रेल मंत्रालय के पदाधिकारियों की बैठक में रेलवे ने इस ‘वाजिब अनुरोध’ को सिरे से खारिज कर दिया.