ऐसे में हर घर की महिलाएं इस विशेष पूजन की तैयारी पहले से करती हैं. इस पूजा के दौरान सिंदूर यानी सिनोरा साथ में रखती हैं. सिनोरा हर महिला को शादी के बाद पुरोहित देते हैं. इसे महिलाएं जिंदगी भर संभाल कर
ज्येष्ठ माह की अमावस्या को बड़ सायत अमावस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. रोली, मौली, चावल, गुड़, भीगा हुआ चना, फूल, सूत, जल मिला कर बड़ पर लपेटते हैं और इसके बाद चारों ओर परिक्रमा लगाया जाता है. महिलाएं पूजा के बाद बड़ के पत्तों से गहने बनाकर पहनती हैं, या बाल में उसे लगाती है. फिर बड़ सायत अमावस की कहानी कही व सुनी जाती है. इससे पति दीर्घायु और स्वस्थ होता है.