पर्यावरण प्रदूषित होने से मानवीय सभ्यता पर खतरा: जगन्नाथ मिश्र

पटना : पूर्व मुख्यमंत्री व मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ जगन्नाथ मिश्र ने कहा कि मानव का प्राकृतिक परिवेश यानी पर्यावरण खतरे में है. यह खतरा कोई छोटा-मोटा नहीं है, बल्कि मानवीय सभ्यता पर आसन्न ऐसा खतरा है जो पूरी सभ्यता को एक दिन लील सकता है. मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान द्वारा पर्यावरण दिवस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 6, 2016 7:17 AM
पटना : पूर्व मुख्यमंत्री व मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ जगन्नाथ मिश्र ने कहा कि मानव का प्राकृतिक परिवेश यानी पर्यावरण खतरे में है. यह खतरा कोई छोटा-मोटा नहीं है, बल्कि मानवीय सभ्यता पर आसन्न ऐसा खतरा है जो पूरी सभ्यता को एक दिन लील सकता है.
मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान द्वारा पर्यावरण दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि पर्यावरण व पारिस्थितिकी से जुड़े मुद्दे वास्तव में काफी जटिल व उलझाने वाले हैं. पर्यावरण व पारिस्थितिकी संकट मौजूदा दौर के ऐसे विषय हैं जिन पर दुनिया भर में सबसे अधिक बहस हो रहे हैं. विकास के क्रम में मनुष्य ने प्राकृतिक परिवेश का ऐसा यांत्रिकीकरण किया है कि मनुष्य खुद की ही प्रकृति के सामने एक चुनौती के रूप में खड़ा हो गया है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण का अर्थ है मानव के चारों तरफ प्राकृतिक आवरण या परिवेश. पर्यावरण के ही वृहत्तर अवधारणा को पारिस्थतिकी कहा जाता है. पारिस्थतिकी के दो आयाम हैं. पहला प्रकृति व जीवों के बीच संबंध व दूसरा प्रकृति में पाये जानेवाले विभिन्न जीवों के मध्य संबंध. गोष्ठी में डा़ कलानाथ मिश्र, रामउदार झा, बाबू नारायण झा, सहित अन्य लोगों ने अपने विचार रखे.

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