लोहा व्यवसायी हत्याकांड: आखिर क्या थी उस चार्जशीट की कॉपी में, जिसे छुपा रही थी पुलिस

हाजीपुर पुलिस पर उठ रहे सवाल पटना : सुशील कुमार वार्ष्णेय पहली बार हाजीपुर नगर थाने नहीं गये थे. वे अक्सर ही जाते थे, लेकिन हमेशा उन्हें केस के आइओ की फजीहत सहनी पड़ती थी. सुशील पिछले साल कंपनी के कर्मचारी अजय कुमार उर्फ पप्पू के साथ हुई 11 लाख रुपये की लूट के मामले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 7, 2016 6:26 AM
हाजीपुर पुलिस पर उठ रहे सवाल
पटना : सुशील कुमार वार्ष्णेय पहली बार हाजीपुर नगर थाने नहीं गये थे. वे अक्सर ही जाते थे, लेकिन हमेशा उन्हें केस के आइओ की फजीहत सहनी पड़ती थी. सुशील पिछले साल कंपनी के कर्मचारी अजय कुमार उर्फ पप्पू के साथ हुई 11 लाख रुपये की लूट के मामले में जो चार्जशीट पुलिस ने दाखिल की थी, उसकी कॉपी मांग रहे थे. लेकिन, केस का आइआे उन्हें बार-बार टहला रहा था.
कभी पैसे की डिमांड, तो कभी आनाकानी. कई बार थाने की दौड़ लगाने के बाद सोमवार को सुशील घर से ठान कर निकले थे कि आज कॉपी लेकर ही हाजीपुर से लौटेंगे, पर तकदीर को शायद कुछ और ही मंजूर था. सवाल यह है कि आखिर पुलिस उन्हें चार्जशीट की कॉपी क्यों नहीं देना चाहती थी, पुलिस पर किसी का दबाव था, पुलिस अपना कुछ काला चिट्ठा छुपाना चाहती थी या फिर बड़ा व्यवसायी समझ कर मोटा पैसा ऐंठना चाहती थी. यह जांच का विषय है.
एफआइआर की कॉपी के लिए आइओ मांग रहा था पैसा : पीयूष नंदन का आरोप है कि हाजीपुर नगर पुलिस लूट के मामले को शुरू से ही लीपापोती कर रही है. पुलिस ने लूट के मामले को गबन बता कर उनके ही कर्मचारी पप्पू को जेल भेज दिया था. जेल से छूटने के बाद पप्पू उनके फैक्टरी में दोबारा काम करता है. पीयूष का कहना है कि लूट के मामले में हमें पहले भी पप्पू पर शक नहीं था और अब भी नहीं है, पर पुलिस ने जबरदस्ती उसे जेल भेजा था.
इसके बाद एफआइआर की कॉपी के लिए चाचा हमेशा थाने जाते थे, पर उन्हें कॉपी नहीं दी गयी. आरोप है कि आइओ उनसे पैसा मांग रहा था. उन्होंने कहा कि मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए कि आखिर थाने से लौटते समय मेरे चाचा को किसने मारा है.

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