पटना : जदयू ने केंद्रीय विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की नियुक्ति में अत्यंत पिछड़ा वर्ग का 27 प्रतिशत आरक्षण समाप्त करने पर आज कहा कि इस सरकार ने आरएसएस-मनुवादी एजेंडे की शुरुआत मानव संसाधन विकास मंत्रालय के माध्यम से कर दी है.
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व बिहार विधानसभा में उपनेता श्याम रजक ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नरेंद्र मोदी सरकार पर शिक्षा के स्रोतों को बंद करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस सरकार ने आरएसएस-मनुवादी एजेंडे की शुरुआत मानव संसाधन विकास मंत्रालय के माध्यम से कर दी है.
रजक ने आरोप लगाया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय को लिखे पत्र के माध्यम से प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर में अत्यंत पिछड़ा वर्ग का 27 प्रतिशत आरक्षण समाप्त करने का आदेश निर्गत किया है. यह आरक्षण समाप्त करने का प्रथम चरण है. इसके बाद धीरे-धीरे एससी-एसटी का भी आरक्षण समाप्त कर दिया जायेगा.
उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस और प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों के नामांकन और नियुक्ति के मामले में ओबीसी का आरक्षण समाप्त कर दलितों को गुलामी की ओर भेजने का प्रयास कर दी है. इससे पीएम मोदी और भाजपा की नियत झलकती है. एक तरफ प्रोन्नति में आरक्षण को समाप्त कर दिया गया. दूसरी ओर इस हिटलरी व अंबेडकर के विचारों के विरोधी फरमान से दलित हाशिये पर चल गये हैं.