सड़कों से हटेंगी 33000 गाड़ियां

प्रशासनिक पहल. 15 साल पुराने कॉमर्शियल वाहनों को हटाने की तैयारी पटना : दिल्ली में वायु प्रदूषण जब खतरनाक स्तर पर पहुंचा तो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्ती दिखाते हुए पुरानी डीजल गाड़ियों पर रोक लगा दी थी. पटना में जब प्रदूषण के मामले में डरावनी रिपोर्ट आयी, तो यह जिम्मा प्रशासन ने उठाया. अब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 10, 2016 6:53 AM
प्रशासनिक पहल. 15 साल पुराने कॉमर्शियल वाहनों को हटाने की तैयारी
पटना : दिल्ली में वायु प्रदूषण जब खतरनाक स्तर पर पहुंचा तो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्ती दिखाते हुए पुरानी डीजल गाड़ियों पर रोक लगा दी थी. पटना में जब प्रदूषण के मामले में डरावनी रिपोर्ट आयी, तो यह जिम्मा प्रशासन ने उठाया.
अब 15 साल पुरानी व्यावसायिक गाड़ियों पर पूरी तरह रोक लगाने का आदेश जारी किया गया है. 15 जून से ऐसी सभी गाड़ियों के इस्तेमाल पर रोक लगायी गयी है और उस दिन से ही बड़े स्तर पर अभियान चलाने का फैसला किया गया है. इस अभियान तहत लगभग 33 हजार गाड़ियां सड़कों से हटायी जायेंगी. इसके दायरे में व्यावसायिक परिवहन वाली गाड़ियां आयेंगी.
पटना के डिवीजनल कमिश्नर आनंद किशोर ने राजधानी में प्रदूषण को कम करने के लिए पर्यावरण समिति की बैठक में फैसला लिया है कि 15 साल पुरानी गाड़ियां नहीं चलेंगी. उन्होंने डीएम, एसएसपी और डीटीओ को इसके लिए कार्ययोजना बनाने का निर्देश भी जारी किया है. उनके निर्देश के बाद डीएम एसके अग्रवाल ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है. डीएम एक-दो दिनों में डीटीओ और एसएसपी के साथ बैठक करेंगे और टीम बना कर उन्हें प्रभावी कार्रवाई की रणनीति के मुताबिक काम सौंपा जायेगा.
इस संबंध में कमिश्नर आनंद किशोर ने कहा कि 15 जून से राजधानी में जांच अभियान चलाया जायेगा. मजिस्ट्रेट, पुलिस पदाधिकारी और ट्रैफिक पुलिस गाड़ियों को चेक करेंगे. उधर ऑटो मेंस यूनियन ने 15 वर्ष पुराने वाहनों पर रोक का स्वागत किया है, पर ऑटो की जगह इ-रिक्शे को परमिट देने के निर्णय का कड़ा विरोध किया है. कहा है कि इसके खिलाफ आंदोलन होगा.
अभी केवल फोटो खींच कर दिये जाते हैं सर्टिफिकेट
पटना में न तो डीटीओ और न ही आरटीओ दफ्तर में कमर्शियल वाहनों के प्रदूषण की जांच के लिए कोई व्यवस्था है. फिटनेस टेस्ट के दौरान विभिन्न एंगल से गाड़ी का फोटो खींच कर सर्टिफिकेट दे दिया जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार सिर्फ धुएं का रंग देख कर गुणवत्ता तय होती है.
डीजल वाहनों में केवल धुएं के रंग की जांच की जाती है.
अगर वह ज्यादा काला हो, तो हानिकारक माना जाता है. इसमें हाइड्रोकार्बन की मात्रा ज्यादा होती है. साथ ही कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड भी रहती है. ये सभी कैंसर के कारण माने जाते हैं.
बन रही है रणनीति
इसके लिए व्यापक रणनीति बनायी जायेगी. हम आकलन करेंगे कि ऐसी कितनी गाड़ियां हैं, जो अभी सड़कों पर चल रही हैं. इसके लिए टीम बनायी जायेगी और प्रभावी कार्रवाई होगी. टीम को इससे संबंध में आवश्यक निर्देश दिये गये हैं. किसी भी स्थिति में लापरवाही नहीं होगी.
– संजय कुमार अग्रवाल, डीएम, पटना
निर्देश मिलते ही अमल
15 साल पुरानी गाड़ियां राजधानी से बाहर करने लेकर जिलाधिकारी की ओर से जैसे ही कार्रवाई का आदेश आयेगा, हम कार्रवाई करेंगे. इन गाड़ियों को अब दोबारा से परमिट भी नहीं दिया जायेगा. साथ ही लगातार इसे लेकर छापेमारी की जायेगी.
– सुरेंद्र झा, डीटीओ, पटना

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