अभी केवल फोटो खींच कर दिये जाते हैं सर्टिफिकेट

पटना में न तो डीटीओ और न ही आरटीओ दफ्तर में कमर्शियल वाहनों के प्रदूषण की जांच के लिए कोई व्यवस्था है. फिटनेस टेस्ट के दौरान विभिन्न एंगल से गाड़ी का फोटो खींच कर सर्टिफिकेट दे दिया जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार सिर्फ धुएं का रंग देख कर गुणवत्ता तय होती है. डीजल वाहनों में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 10, 2016 6:55 AM
पटना में न तो डीटीओ और न ही आरटीओ दफ्तर में कमर्शियल वाहनों के प्रदूषण की जांच के लिए कोई व्यवस्था है. फिटनेस टेस्ट के दौरान विभिन्न एंगल से गाड़ी का फोटो खींच कर सर्टिफिकेट दे दिया जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार सिर्फ धुएं का रंग देख कर गुणवत्ता तय होती है. डीजल वाहनों में केवल धुएं के रंग की जांच की जाती है.
अगर वह ज्यादा काला हो, तो हानिकारक माना जाता है. इसमें हाइड्रोकार्बन की मात्रा ज्यादा होती है. साथ ही कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड भी रहती है. ये सभी कैंसर के कारण माने जाते हैं.
बन रही है रणनीति
इसके लिए व्यापक रणनीति बनायी जायेगी. हम आकलन करेंगे कि ऐसी कितनी गाड़ियां हैं, जो अभी सड़कों पर चल रही हैं. इसके लिए टीम बनायी जायेगी और प्रभावी कार्रवाई होगी. टीम को इससे संबंध में आवश्यक निर्देश दिये गये हैं. किसी भी स्थिति में लापरवाही नहीं होगी.
– संजय कुमार अग्रवाल, डीएम, पटना
निर्देश मिलते ही अमल
15 साल पुरानी गाड़ियां राजधानी से बाहर करने लेकर जिलाधिकारी की ओर से जैसे ही कार्रवाई का आदेश आयेगा, हम कार्रवाई करेंगे. इन गाड़ियों को अब दोबारा से परमिट भी नहीं दिया जायेगा. साथ ही लगातार इसे लेकर छापेमारी की जायेगी.
– सुरेंद्र झा, डीटीओ, पटना

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