ओवरलोडेड गाडियां बंद नहीं हुईं तो,कभी भी ढह सकता है महात्मा गांधी सेतु

पटना:महात्मा गांधी सेतु पर ओवरलोडेड वाहनों के परिचालन पर रोक नहीं लगी, तो किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है. शुक्रवार को पाया संख्या 46 के निकट स्लैब धसने के बाद भी ओवरलाेडेड गाड़ियों का चलना जारी है. स्लैब के धंसने की जानकारी मिलने के बाद निरीक्षण करने आये सड़क परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 13, 2016 2:30 AM
पटना:महात्मा गांधी सेतु पर ओवरलोडेड वाहनों के परिचालन पर रोक नहीं लगी, तो किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है. शुक्रवार को पाया संख्या 46 के निकट स्लैब धसने के बाद भी ओवरलाेडेड गाड़ियों का चलना जारी है. स्लैब के धंसने की जानकारी मिलने के बाद निरीक्षण करने आये सड़क परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों ने यह आकलन किया है. महात्मा गांधी सेतु के पायों की निरीक्षण कर रही आइआइटी रूड़की के इंजीनियरों की टीम ने भी माना है कि ओवरलोडेड गाड़ियों के परिचालन पर रोक नहीं लगी, तो पुल पर किसी भी दिन आवागमन बंद हो सकता है और उत्तर बिहार से जोड़नेवाली यह लाइफ लाइन ध्वस्त हो सकता है. हालांकि, टीम ने यह कहा है कि सेतु के पायों की स्थिति में कोई गड़बड़ी नहीं है. आइआइटी रूड़की की टीम ने कहा है कि सेतु पर यातायात चालू रह सकता है, बशर्ते भारी वाहनों के परिचालन पर रोक लगे. फिलहाल पुल पर मरम्मत का कोई भी काम नहीं हो रहा है.
जायका को मिला निरीक्षण का जिम्मा : गांधी सेतु की मरम्मत को लेकर जापान की एजेंसी जायका को निरीक्षण का जिम्मा मिला था. जायका की टीम ने सेतु का दो बार निरीक्षण किया. टीम ने सेतु के ऊपरी स्ट्रक्चर को बदलने के संबंध में केंद्र को रिपोर्ट सौंपी. गांधी सेतु के ऊपरी स्ट्रक्चर को बदलने को लेकर सेतु के पायों की जांच आइआइटी रूड़की के विशेषज्ञ कर रहे हैं. अगर ऊपरी स्ट्रक्चर को बदला गया, तो कम-से-कम चार साल लगेगा. यह काम पार्ट वाइज होगा.
एक लाख वाहन प्रतिदिन गुजरते हैं पुल से : सड़क परिवहन मंत्रालय दिल्ली से आये अधीक्षण अभियंता ने रविवार को सेतु का निरीक्षण किया. जानकारों के अनुसार स्पैन में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं पायी गयी. ऐसे उत्तर व दक्षिण बिहार की लाइफ लाइन महात्मा गांधी सेतु को लेकर अब लोगों में संशय की स्थिति हो रही है. बार-बार सेतु के किसी हिस्से में गड़बड़ी को लेकर तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं. यह भी बताते चलें कि महात्मा गांधी सेतु का निर्माण जिस तकनीक से हुआ, उस तकनीक पर बने अन्य पुल ध्वस्त हो चुके हैं. ऐसे महात्मा गांधी सेतु के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत के साथ इंजीनियरों की नजर सेतु पर है.
महात्मा गांधी सेतु पर रोजाना छोटे-बड़े लगभग एक लाख वाहनों का परिचालन होता है. महात्मा गांधी सेतु के सुपर स्ट्रक्चर के बदले जाने की चर्चा के बाद सेतु के पायों की वास्तविक स्थिति का आकलन करने के लिए आइआइटी रूड़की के विशेषज्ञ निरीक्षण कर रहे हैं. विशेषज्ञ द्वारा सेतु के सभी पाये के समीप की मिट्टी व कंक्रीट का संग्रह कर उसकी जांच के लिए रूड़की भेजा जा रहा है, ताकि जांच में यह पता चल सके कि सेतु के सुपर स्ट्रक्चर के बदलने के बाद वाहनों के आवागमन से पड़ने वाले दबाव के लिए पाये सक्षम हैं या नहीं.
पश्चिमी लेन में पहले आया झुकाव
महात्मा गांधी सेतु के पश्चिमी लेन में स्पैन संख्या 44 के समीप पहले झुकाव आया था. झुकाव की जानकारी मिलने के बाद उस लेन पर परिचालन बंद कर दिया गया. इसके बाद पूर्वी लेन के स्पैन संख्या 34 व 35 में झुकाव होने की शंका व्यक्त की गयी थी. हालांकि, ऐसी कोई बात नहीं थी. पुल पर प्रत्येक दिन लगभग एक लाख छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं. पुल की स्थिति को लेकर पिछले तीन साल से भारी वाहन के परिचालन की अनुमति नहीं है. स्पैन संख्या 44 के समीप गड़बड़ी होने से ऊपर बने स्ट्रैच को काटने का काम पूरा हो गया. सेतु के ऊपरी स्ट्रक्चर को बदलने की चर्चा के बाद काटे गये स्ट्रैच को फिर से बनाने का काम बंद है. वहां पर पूर्वी लेन में वाहनों का आवागमन हो रहा है.

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