नीतीश कुमार का एलान, मिलेंगे मुक्त बाल मजदूरों को 25-25 हजार
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रत्येक मुक्त बाल श्रमिकों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 25 हजार रुपये दिये जाने की घोषणा करते हुए कहा कि यह राशि मुक्त बाल श्रमिकों के बैंक खाते में डाली जायेगी जिससे उनके मन में आत्मविश्वास जगेगा. विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर आज यहां […]
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रत्येक मुक्त बाल श्रमिकों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 25 हजार रुपये दिये जाने की घोषणा करते हुए कहा कि यह राशि मुक्त बाल श्रमिकों के बैंक खाते में डाली जायेगी जिससे उनके मन में आत्मविश्वास जगेगा. विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर आज यहां आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ‘बेव बेस्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम’ एवं ‘मीडिया कैम्पेन’ का शुभारंभ करते हुए कहा कि मुक्त बाल श्रमिकों को अभी 18 सौ रुपये नकद दिया जाता है, जो जल्द ही तीन हजार होने जा रहा है.
मुक्त बाल श्रमिकों 25 हजार की राशि
उन्होंने कहा कि प्रत्येक मुुक्त बाल श्रमिकों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 25 हजार रुपये दिया जायेगा. यह राशि उनके नाम के बैंक एकाउंट में जमा करायी जायेगी। इससे उनके मन में आत्मविश्वास जगेगा. नीतीश ने कहा कि बाल श्रम से मुुक्त कराये गये बच्चे आगे क्या कर रहे हैं, उस पर ठीक ढंग से निगरानी रखने के लिये ‘बेव बेस्ड चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम’ की शुरुआत की जा रही है तथा बाल श्रम निषेध के लिये जन जागरुकता के लिये ‘मीडिया कैम्पेन’ की शुरुआत की जा रही है. इन सभी से वातावरण का निर्माण होगा.
लोगों में आयी है जागृति
उन्होंने कहा कि वैसे तो बाल श्रम के लिये कानून है. बच्चों से काम लेना यहां तक कि घरेलू काम लेना भी गुनाह है तथा इसके लिये सजा का प्रावधान है. फिर भी बच्चों को काम पर लगाया जाता है. हाल के दिनों में लोगों में जागृति आयी है, बाल श्रम के खिलाफ वातावरण बन रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल श्रम के मुख्य शिकार बच्चे कमजोर तबके, अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब परिवार के बच्चे, अनाथ बच्चे आदि है. बाल श्रम में लगे बच्चों को मुक्त करने में गैर सरकारी संस्थानों की भी अहम भूमिका है. सरकार की मदद से मुक्त बच्चों को घर तक पहुंचाया जाता है. प्रमुख स्थलों से रेलवे स्टेशन, बस अड्डा आदि पर निगरानी रखने से बाल श्रमिकों को पकडा जा सकता है.
बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान
उन्होंने कहा कि बाल श्रम की मूल समस्या शिक्षा का अभाव और गरीबी है. मुक्त बाल श्रमिक दोबारा पुराने रास्ते पर नहीं जाये इसके लिये निगरानी करना जरूरी है. ‘ट्रैकिंग सिस्टम’ एक अच्छा प्रयोग है. उन्होंने कहा कि स्थिति में सुधार नहीं होने पर बाल श्रम का हल नहीं हो सकता है. नीतीश ने कहा कि बिहार में बाल श्रमिकों के लिये आयोग का गठन किया गया है, पर ऐसी नौबत न आये, इस पर जोर दिया गया है. बच्चों के शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया है.
समिति का गठन
इस अवसर पर बाल श्रमिकों द्वारा प्रस्तुत की गयी ‘चार्टर ऑफ डिमांड’ को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार करते हुए नीतीश ने कहा कि इसके क्रियान्वयन के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जायेगा. समारोह को सहकारिता मंत्री आलोक कुमार मेहता, समाज कल्याण मंत्री कुरी मंजू वर्मा, शिक्षा मंत्री शोक चौधरी, श्रम मंत्री विजय प्रकाश ने भी संबोधित किया.