पटना : वीआर एजुकेशनल ट्रस्ट के प्रमुख व वीआर कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ अमित कुमार उर्फ बच्चा राय की चल-अचल संपत्ति की जांच पुलिस ने शुरू कर दी है. एजुकेशनल ट्रस्ट और बच्चा के पर्सनल बैंक एकाउंट को पुलिस ने फ्रीज कर दिया है. इधर एफआइआर में अप्राथमिक अभियुक्त के रूप में पूर्व विधायक व लालकेश्वर की पत्नी उषा सिन्हा का नाम जुड़ जाने के बाद पुलिस उनकी और उनके खास लोगों की तलाश कर रही है. सोमवार को इसके लिए रामकृष्ण नगर, पटना सिटी इलाके में पुलिस ने छापेमारी की है.
हालांकि, उषा सिन्हा अपने कॉलेज में अवकाश पर चल रही हैं, लेकिन वह अब तक पुलिस के सामने नहीं आयी हैं. पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय उनके लोगों को उठाने में जुटी है. पुलिस पहले करीबियों के जरिये सबूत जुटाने में लगी है. करीबियों के बयान, दस्तावेज, गवाह, मोबाइल फोन के कॉल डिटेल, बैंक एकाउंट में मौजूद राशि सब पुलिस के जांच के दायरे में है.
शपथ पत्र के मुताबिक, दो साल बाद 1973 में गोरखपुर से स्नातक और इसके अगले साल 1974 में इसी विवि से बीएड की परीक्षा पास की. उषा सिन्हा 1976 में अवध विवि से दो पोस्ट ग्रेजुएट की परीक्षा पास की, जबकि पोस्ट ग्रेजुएट का पाठयक्रम दो साल का होता है और अवध विवि की स्थापना 1975 में हुआ है. हाल के दिनों जब मगध विवि के प्राचार्यों की नियुक्ति का घोटाला सामने आया था, उस समय भी उषा सिन्हा की पीएचडी डिग्री पर सवाल उठे थे. शपथ पत्र के मुताबिक उषा सिन्हा ने 1984 में मगध विवि बोधगया से पीएचडी की डिग्री हासिल की है.
लालकेश्वर ने बिना जांच कराये दे दी 200 स्कूल-कॉलेजों को मान्यता
2015 सत्र की मान्यता के लिए प्रदेश भर से दो सौ स्कूल और कॉलेज ने समिति के पास संबंद्धता के लिए आवेदन दिया था. आवेदन साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स तीनों ही संकायों के लिए दिया गया था. इन स्कूल और कॉलेजों ने आवेदन, 2015 अक्तूबर में दिया. इन स्कूल और काॅलेजों की जांच भी बोर्ड ने नहीं करवायी गयी और सभी को मार्च, 2016 तक कई बैठकों में दे दिया गया.
संबंद्धता लेन के लिए आवेदन के साथ स्कूल और कॉलेज को फी भी देना होती है. समिति की मानें, तो आवेदन के लिए स्कूल और कॉलेज को फी भी अदा करनी पड़ती है. पांच सौ तक के नामांकन के लिए 75 हजार, पांच सौ से 750 सौ तक के नामांकन के लिए एक लाख और 750 सौ से अधिक नामांकन के लिए एक लाख 50 हजार रुपये आवेदन के समय देना पड़ता है.
संबंद्धता के लिए तीन स्तरों पर जांच कराने का प्रावधान है. पहला, स्तर डीइओ द्वारा होता है. दूसरा स्तर प्राइवेट एजेंसी करती है. तीसरा स्तर पर कॉलेज और स्कूल के आवेदन की जांच बोर्ड अपने स्तर पर करता है. इन तीनों ही स्तर पर जांच करने में छह महीने के ऊपर लग जाते हैं. बोर्ड सूत्रों की मानें, तो जिन दो सौ स्कूल और कॉलेज को संबंद्धता दी गयी, उसके लिए जांच प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. लालकेश्वर प्रसाद के आदेश पर डीइओ के फर्जी हस्ताक्षर करवा कर जांच प्रक्रिया पूरा कर दी गयी. वहीं, एजेंसी जांच नहीं करवायी गयी.
लालकेश्वर के करीबी हिलसा के पूर्व प्रमुख गिरफ्तार
हिलसा (नालंदा). टॉपर घोटाले में एसआइटी की टीम ने सोमवार को स्थानीय बिहारी रोड से हिलसा के पूर्व प्रमुख अनिल कुमार और उनके पुत्र शिवलोक कुमार को गिरफ्तार कर लिया. हिलसा की पूर्व विधायक प्रो उषा सिन्हा और उनके पति डॉ लालकेश्वर प्रसाद इसी विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं. डॉ लालकेश्वर प्रसाद करायपरशुराय थाना (वर्तमान में चिकसौरा थाना) के निरिया गांव के निवासी है, जबकि प्रो उषा सिन्हा का मायके भी इसी थाना क्षेत्र के सांध गांव में है. बोर्ड अध्यक्ष का पदभार ग्रहण के बाद डॉ लालकेश्वर प्रसाद ने अपने चहेते हिलसा के पूर्व प्रमुख अनिल कुमार को बोर्ड कार्यालय में प्रतिनियोजित करवा दिया था. उस समय अनिल कुमार मुंगेर जिले के एक हाइस्कूल में नियोजित शिक्षक के रूप में पदस्थापित थे.