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बिहार के वित्त मंत्री ऐतिहासिक भवनों को ध्वस्त करने के पक्ष में नहीं

पटना : पिछले कुछ दशकों में ऐतिहासिक धरोहर की पहचान रखने वाले भवनों के नुकसान पर दुख जताते हुए बिहार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने डच काल के समय के पटना कलेक्ट्रेट समेत अन्य ऐतिहासिक इमारतों को बचाने और उनको ध्वस्त करने के बजाय संस्कृति और पर्यटन से जोड़ने का सुझाव दिया है. […]

पटना : पिछले कुछ दशकों में ऐतिहासिक धरोहर की पहचान रखने वाले भवनों के नुकसान पर दुख जताते हुए बिहार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने डच काल के समय के पटना कलेक्ट्रेट समेत अन्य ऐतिहासिक इमारतों को बचाने और उनको ध्वस्त करने के बजाय संस्कृति और पर्यटन से जोड़ने का सुझाव दिया है.

विरासत को बचाने की हो पहल

उन्होंने कहा कि यहां तक कि 60 के दशक तक पटना एकसुंदर शहर था और पुरानी इमारतों से लेकर सरकारी बंगले, निजी घर, कोठी और मेंशन इस शहर के आकर्षण के अंग थे. दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम लोगों ने समय के साथ ऐतिहासिक डाक बंगला समेत उनमें से कई इमारतों को खो दिया है. रियल एस्टेट में अचानक हुई वृद्धि और तेज शहरीकरण से शहर की विरासत को गहरा झटका लगा है. सिद्दीकी ने कहा कि मेरा मानना है कि पुरानी, ऐतिहासिक इमारतों को भावी पीढ़ी के लिए बचा कर रखा जाना चाहिए. दूसरी ओर पुराना कलेक्ट्रेट ना सिर्फ उस काल के अनूठे स्थापत्य कला का नमूना है बल्कि इसकी दीवारों में डच और ब्रिटिश इतिहास दर्ज है.

ऐसी इमारतों को बचाया जाये

उन्होंनेकहा कि इस तरह की इमारतों को गिराया नहीं जाना चाहिए बल्कि इसे पुन:उपयोग में लाना चाहिए और सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर से जुड़े पर्यटन को बढ़ावा देने की गतिविधियों और बिहार की अर्थव्यवस्था से जोडा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस तरह हम अपने अतीत को भी बचा लेंगे, राजस्व प्राप्त करेंगे और भविष्य की तरफ बढ़ेंगे. यह हर तरफ से लाभ देने वाली स्थिति है और इस तरह रख-रखाव के अभाव में जिन इमारतों को आम तौर पर बोझ की तरह देखा जाता है, वे हमारे लिये संपत्ति बन जायेंगी.

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