सात दिनों में 50% सर्वे दो दिन में 100% कैसे
बड़ा सवाल. 15 से 21 जून के बीच हुए हाउस टू हाउस सर्वे की रफ्तार रही धीमी, अब दो दिनों की मोहलत पटना : मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना के तहत 15 से 21 जून के बीच हाउस टू हाउस सर्वे के तहत महज 50 प्रतिशत काम ही पूरा हो सका. सात दिनों में निगम […]
बड़ा सवाल. 15 से 21 जून के बीच हुए हाउस टू हाउस सर्वे की रफ्तार रही धीमी, अब दो दिनों की मोहलत
पटना : मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना के तहत 15 से 21 जून के बीच हाउस टू हाउस सर्वे के तहत महज 50 प्रतिशत काम ही पूरा हो सका. सात दिनों में निगम को निगम क्षेत्र के करीब चार लाख मकानों का सर्वे करना था, लेकिन सर्वे के अंतिम दिन मंगलवार तक 208189 फार्म ही भरा जा सका. अब सर्वे का काम पूरा नहीं हो पानी के कारण नगर आवास विकास विभाग ने इसकी अविध दो दिन बढ़ा कर 23 जून तक कर दी. ऐसे में अब शेष बचे 50 फीसदी घरों का सर्वे महज दो दिनों में पूरा करना होगा.
फॉर्म भी कम अपलोड : निगम को निर्देश दिया गया था कि रोजाना सर्वे किये गये फाॅर्म को विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करना है, लेकिन शत प्रतिशत फाॅर्म अपलोड नहीं किया जा सका है. सात दिनों में सिर्फ 45947 फॉर्म ही अपलोड हो सका है. इसमें सबसे अधिक पटना सिटी अंचल में फॉर्म अपलोड किया गया है, जबकि सबसे अधिक फॉर्म अपलोड नूतन राजधानी अंचल में किया गया है. नूतन राजधानी अंचल में भी लक्ष्य के अनुरूप नहीं सर्वे हुआ है और नहीं फॉर्म अपलोड किया गया है.
24 जून तक बढ़ा काम: नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा कराये जा रहे घर-घर सर्वे कार्य को तीन दिनों के
लिए और समय दिया गया है. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सर्वे का काम मंगलवार को ही पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. राज्य में 140 नगर निकाय हैं. सर्वे का काम करीब 30-35 लाख परिवारों का सर्वे किया जायेगा. सर्वे में सबसे अधिक लंबित मामले पटना नगर निगम
क्षेत्र में ही लंबित है. सोमवार को
विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने सर्वे कार्य की समीक्षा करने के बाद तीन दिनों के अंदर लक्ष्य को पूरा करने का और समय दे दिया. यह माना जा रहा है कि अभी तक करीब 25 फीसदी सर्वे का काम नहीं हुआ है. सभी निकायों के नगर आयुक्त व कार्यपालक अधिकारियों को निदेश दिया गया है कि 24 तक हर हाल में सर्वे का काम पूरा हो जाना चाहिए.
क्यों समय पर पूरा नहीं हो पाया सर्वे
सर्वे में कई तरह की परेशानियां सामने आयीं. एक तो पर्याप्त संख्या में सर्वेयर नहीं मिले, वहीं जिला प्रशासन की मदद से उपलब्ध कराये गये कई सर्वेयर आये ही नहीं. सर्वेयरों को आइ-कार्ड तक मुहैया नहीं कराया गया, जिसके चलते कई घरों में उनको पहचानक के अभाव में प्रवेश तक नहीं मिल सका. कई अपार्टमेंट में सर्वे कर्मियों को सर्वे करने से रोक दिया गया. कई लोगों ने घरों का दरवाजा नहीं खोला. सर्वे को लेकर सरकारी स्तर पर जागरूकता का अभाव दिखा.