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दो सालों से किसानों को नहीं मिली फसल बीमा राशि

पटना : दो साल से राज्य के किसानों को फसल बीमा की रााशि का भुगतान नहीं किया गया है. किसानों को फसल बीमा का लाभ फसल क्षति के बाद अविलंब दूसरी खेती के लिए देने का प्रावधान है. सहकारिता विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 2014 में किसानों को 380 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित […]

पटना : दो साल से राज्य के किसानों को फसल बीमा की रााशि का भुगतान नहीं किया गया है. किसानों को फसल बीमा का लाभ फसल क्षति के बाद अविलंब दूसरी खेती के लिए देने का प्रावधान है.
सहकारिता विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 2014 में किसानों को 380 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है. वहीं 2015 में रबी फसल के लिए लगभग 19 लाख किसानों के आठ करोड़ से अधिक की राशि लंबित है. अधिकारी ने बताया कि 2015 में ओलावृष्टि से किसानों के फसल तबाह हो गये थे. ओलावृष्टि के बाद कृषि विभाग ने सर्वेक्षण कर आपदा प्रबंधन विभाग को बताया था कि राज्य के सभी 38 जिलों में 1943575 किसानों के फसल तबाह हुए थे. आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा कृषि इपनूट सब्सिडी के तहत 30 जून 2015 तक 1661165 किसानों को राहत दी थी. किसानों को उम्मीद थी कि उसे जल्द ही फसल बीमा का भी लाभ मिलेगा, लेकिन ऐस हुआ नहीं. विभागीय अधिकारी ने बताया कि सात साल के फसलों की कटनी प्रयोग के आधार उपज की कमी के आधार पर किसानों को बीमा का लाभ मिलता है.
डीजल सब्सिडी को 170 करोड़ की आज कैबिनेट से मिलेगी मंजूरी
चालू वित्तीय साल में किसानों को खरीफ और रबी फसल की खेती के लिए170 करोड़ रुपये की सब्सिडी पर आज कैबिनेट की मुहर लगेगी. कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस साल राज्य सरकार ने खरीफ और रबी दोनों फसलों के लिए डीजल सब्सिडी स्वीकृत कर लिया है.
किसानों को धान के लिए पांच पटवन और अन्य खरीफ फसलों के लिए तीन पटवन के लिए 30 रुपये प्रति लीटर डीजल सब्सिडी मिलेगी. पिछले साल एक लीटर पर 35 रुपये डीजल सब्सिडी दिया गया गया था. एक एकड़ धान की खेती के लिए किसानों को दस लीटर डीजल पर सब्सिडी दी जायेगी.
सात साल की औसत उपज से जितना कम उपज होता है उस कमी की भरपाई बीमा कंपनी द्वारा किया जाता है. फिलहाल बीमा कंपनियों द्वारा इसकी गणना में पेंच के कारण बीमा राशि के भुगतान की समस्या उत्पन्न हो गयाी है.
विभागीय प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने बताया कि 2014 के लिए बीमा कंपनियों ने किसानों को बीमा राशि की भुगतान के लिए 380 करोड़ रुपये का दावा किया है. 2015 के लिए तो अब तक दावा भी नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि विभाग ने निर्णय लिया है कि 2014 के किसानों की सूची को वेब साइट पर जारी किया जायेगा. जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे दावा के पांच प्रतिशत किसानों की जांच कर ही बीमा राशि के भुगतान की अनुमति दें. मीणा ने कहा कि नये सत्र से बीमा किसानों की पूरी सूची वेबसाइट पर अपलोड किया जायेगा, ताकि आमलोग देख सकें कि सही किसान बीमा का लाभ ले रहा है अथवा नहीं.

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