हस्तकरघा उद्योग पर राज्य सरकार का ध्यान नहीं : मोदी

पटना : सरकार की नीतियों से जहां बिहार में चावल उद्योग मरणासन्न है, वहीं हस्तकरघा उद्योग की भी सुध लेने की उसे फुरसत नहीं है. सूबे के हस्तकरघा उद्योग की बदहाली को ले कर उक्त बातें बुधवार को पूर्व उपमुख्य मंत्री व भाजपा विधान मंडल दल के नेता सुशील मोदी ने कही. उन्होंने कहा है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2016 7:17 AM
पटना : सरकार की नीतियों से जहां बिहार में चावल उद्योग मरणासन्न है, वहीं हस्तकरघा उद्योग की भी सुध लेने की उसे फुरसत नहीं है. सूबे के हस्तकरघा उद्योग की बदहाली को ले कर उक्त बातें बुधवार को पूर्व उपमुख्य मंत्री व भाजपा विधान मंडल दल के नेता सुशील मोदी ने कही. उन्होंने कहा है कि पिछले चार साल से बिहार के हजारों बुनकरों के विद्युत अनुदान का करोड़ों रुपये राज्य सरकार पर बकाया है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक फरवरी, 2014 से विद्युत करघा बुनकरों को प्रति यूनिट बिजली पर देय डेढ़ रुपये अनुदान को बढ़ा कर सरकार ने तीन रुपये तो कर दिया, मगर भुगतान नहीं किया गया.
होिमयोपैथी दवा उद्योग में लटका ताला : नंद किशोर यादव
नीतीश कुमार की हठ की वजह से राज्य में होमियोपैथ दवा उद्योग पर ताला लग गया है. उक्त बातें बुधवार को भाजपा नेती नंद किशोर यादव ने कही. उन्होंने कहा है कि सूबे में शराबबंदी का फैसला तो सर्वदलीय है और भाजपा भी इस फैसले के साथ है, पर उत्पाद नीति का खामियाजा अब होम्योपैथी उद्योग पर पड़ना शुरू हो गया है.
सीएम ने अहंकार में देश का किया अपमान : प्रेम कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने अहंकार के कारण योग एवं देश का अपमान किया, जिसके लिए उन्हें सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए. सीएम से उक्त मांग बुधवार को विस में प्रतिपक्ष के नेता प्रेम कुमार ने की.
उन्होंने कहा है कि आज दुनिया के 190 देशों में 50 करोड़ लोगों ने योग में हिस्सा लेकर भारत का मान्य बढ़ाया है, जिसका नीतीश ने विरोध कर योग एवं देश का अपमान किया है. संयुक्त राष्ट्र संघ की मान्य एक ओर बिहार में जहां कोई बड़ा उद्योग नहीं आ पाया है, वहीं दूसरी ओर सरकार की बेरुखी से दर्जन से अधिक जिलों में कार्यरत परंपरागत हस्तकरघा उद्योग भी दुर्दशाग्रस्त हैं.
भागलपुर, बांका, बिहारशरीफ, गया, सीवान, खगड़िया, मुजफ्फरपुर और पटना आदि जिलों में हजारों बुनकर विद्युत करघा का उपयोग करते हैं. पहले बुनकरों को प्रति यूनिट बिजली पर डेढ़ रुपये अनुदान दिया जाता था, मगर पहली फरवरी, 2014 से लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने इसे बढ़ा कर तीन रुपये कर दिया. अनुदान राशि बढ़ाये जाने के बावजूद बुनकरों को न तो बिजली का समायोजित विपत्र दिया गया और न ही अनुदान की नकद राशि दी गई.
फरवरी, 2014 के पूर्व से लेकर आज तक करीब चार साल से बुनकरों के विद्युत अनुदान मद में 10 करोड़ से ज्यादा राशि सरकार पर बकाया है. डीपो से धागा की खरीद पर केन्द्र सरकार बुनकरों को 10 प्रतिशत अनुदान देती है, मगर राज्य सरकार की ओर से धागा- कार्ड उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण बिहार के बुनकर इस अनुदान से वंचित हैं.

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