पटना : बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने आज कहा कि राज्य सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए संवेदनशील और कृत संकल्पित है. यहां आज आयोजित यूनिसेफ के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार ने आधारभूत संरचना के विकास पर बहुत काम किया है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए हमलोग प्रयासरत हैं. मुख्यमंत्री ने अपने सात निश्चय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को शामिल किया है. सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने को लेकर संवेदनशील और कृतसंकल्पित है.
बच्चों के स्कूल छोड़ने का प्रतिशत घटा
उन्होंने प्रदेश में बच्चों के स्कूल छोड़ने की चर्चा करते हुए कहा कि वर्ष 2006 में बच्चों के स्कूल छोड़ने का प्रतिशत 11.4 था जो कि 2014-15 में घटकर 2.1 प्रतिशत हो गया. चौधरी ने कहा कि वर्ष 2007 में जहां प्राथमिक स्तर पर स्कूलों में नामांकन 86 प्रतिशत था वह वर्ष 2015 में बढ़कर 99.9 प्रतिशत हो गया है, उच्च प्राथमिक स्तर पर यह 32.7 से बढ़कर 87.6 प्रतिशत हो गया है. उन्होंने कहा कि हम इस मामले में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से बेहतर हैं.
बिहार में छात्र शिक्षक अनुपात बेहतर
शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस प्रकार से प्रदेश में छात्र और शिक्षकों का अनुपात भी बेहतर हुआ है. वर्ष 2004-05 में 78 छात्र-छात्राओं पर जहां एक शिक्षक उपलब्ध थे वहीं 2014-15 में यह संख्या 50 हो गयी. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार विश्व बैंक की सहायता से 2020 तक शिक्षकों को प्रशिक्षण देने पर 2200 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. चौधरी ने कहा कि पूरे प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी. हमने शिक्षा के क्षेत्र में अनियमितता को समाप्त करने के लिए ‘ऑपरेशन क्लीन’ की शुरुआत कर दी है.
शिक्षा पर खर्च ज्यादा
समारोह को संबोधित करते हुए यूनिसेफ की बिहार इकाई के प्रमुख यामीन मजुमदार ने कहा कि विश्व बैंक के आंकडों के अनुसार 2010 में वैश्विक स्तर पर शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 4.9 प्रतिशत खर्च किया जाता था जबकि भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करता है. वहीं, बिहार सरकार ने शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए 2016-17 के बजट में 15.31 प्रतिशत राशि का प्रावधान किया है.