कॉलेजों में जितने चाहिए, उतने हैं शिक्षक

राहत. खुल सकते हैं पांच नये मेडिकल कॉलेज बेगूसराय, मधुबनी, महुआ (वैशाली), आरा और सीतामढ़ी में खुलेगा मेडिकल कॉलेज. पटना. राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में शिक्षकों की कमी को लेकर सरकार एमसीआइ की फटकार यों ही झेल रही है. आठ मेडिकल कॉलेजों में जितनी संख्या में डॉक्टरों की जरूरत है उतने ही कार्यरत भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 1, 2016 7:17 AM
राहत. खुल सकते हैं पांच नये मेडिकल कॉलेज
बेगूसराय, मधुबनी, महुआ (वैशाली), आरा और सीतामढ़ी में खुलेगा मेडिकल कॉलेज.
पटना. राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में शिक्षकों की कमी को लेकर सरकार एमसीआइ की फटकार यों ही झेल रही है. आठ मेडिकल कॉलेजों में जितनी संख्या में डॉक्टरों की जरूरत है उतने ही कार्यरत भी हैं.
कुछ मेडिकल कॉलेजों में स्वीकृत पदों से अधिक डॉक्टर तैनात हैं तो कुछ में जरूरत से कम हैं. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में पुराने आठ मेडिकल कॉलेजों में एमसीआइ के मानक के अनुसार नौ विभागों में 418 चिकित्सक शिक्षकों की जरूरत है.
जबकि, इसके एवज में फिलहाल मेडिकल कॉलेजों में 647 डॉक्टर कार्यरत हैं.यह संख्या इतनी है कि मुख्यमंत्री के सात निश्चय के तहत खोले जाने वाले पांच नये मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के लिए भी डॉक्टरों की कमी नहीं होगी. हाल ही में सरकार ने पदोन्नति देकर 150 शिक्षकों की कमी को पूरा कर लिया है. यह पहली बार हुआ है कि 1999 के बाद राज्य के पांच मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को स्थायी मान्यता मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया से मिली. कॉलेजों में कार्यरत चिकित्सक शिक्षकों की नियमित प्रोन्नति और डायनेमिक प्रोन्नति दे दी जाये तो मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 200-250 अतिरिक्त वरीय चिकित्सक उपलब्ध हो जायेंगे.
राज्य में सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की कुल संख्या आठ है. एमसीआइ के नये प्रावधान के अनुसार सरकार प्रत्येक चार साल पर असस्टिेंट प्रोफेसर को एसोसिएट प्रोफेसर में और एसोसिएट प्रोफेसर को तीन साल में प्रोन्नति देकर प्रोफेसर बना सकती है. इसी तरह से छह साल के बाद सरकार डायनेमिक एसीपी देकर भी प्रोन्नति दे सकती है.
वर्तमान में राज्य के सभी मेडिकल कालेजों में सर्जरी विभाग के लिए प्रोफेसरों की कुल आठ की आवश्यकता है जबकि सरकार के पास 17 प्रोफेसर उपलब्ध हैं. सरकार अगर नियमित या डीएसीपी देती है तो 20 एसोसिएट प्रोफेसर प्रोफेसर बन जायेंगे जिससे सर्जरी विभाग में प्रोफेसरों की कुल संख्या 37 हो जायेगी. जबकि, एमसीआइ को मात्र आठ प्रोफेसर चाहिए.

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