कुरसी पर बैठने के लिए ओटी में भिड़े दो डॉक्टर
आपस में आधा घंटा तक लड़ते रहे सीनियर और जूनियर डॉक्टर पटना : पीएमसीएच अस्पताल में छोटे बच्चों की तरह दो डॉक्टर आपस में भिड़ गये. मामला इतना अधिक बढ़ गया कि अन्य विभाग के डॉक्टरों को आना पड़ गया, तब जाकर मामला शांत हुआ. घटना शुक्रवार की दोपहर एक बजे की है. राजेंद्र सर्जिकल […]
आपस में आधा घंटा तक लड़ते रहे सीनियर और जूनियर डॉक्टर
पटना : पीएमसीएच अस्पताल में छोटे बच्चों की तरह दो डॉक्टर आपस में भिड़ गये. मामला इतना अधिक बढ़ गया कि अन्य विभाग के डॉक्टरों को आना पड़ गया, तब जाकर मामला शांत हुआ.
घटना शुक्रवार की दोपहर एक बजे की है. राजेंद्र सर्जिकल ब्लाॅक के ओटी नंबर टू में जैसे ही सर्जरी विभाग के हेड डॉ अजीत बहादुर सिंह गये, उस दौरान एनेस्थेसिया विभाग के सीनियर रेजिटेंड डॉ सुभाष कुमार कुरसी लगा कर बैठे थे. इस दौरान डॉ अजीत ने कुरसी से उठने को कहा और पेशेंट देखने के लिए बोला. इस पर डॉ सुभाष जो कि डॉ अजीत से जूनियर हैं, वे उग्र हो गये और उन्होंने उठने से इनकार कर दिया.
इस पर सीनियर डॉक्टर नाराज हो गये और मेडिकल के नियम की बात बताने लगे. डॉ अजीत और डॉ सुभाष में इसे लेकर आधे घंटे तक विवाद होते रहा. हंगामे की खबर सुनते ही मौके पर एनेस्थेसिया विभाग के हेड पहुंचे और मामला को शांत कराया. वहीं डॉ अजीत बहादुर सिंह का कहना है कि मरीज के हित को देखते हुए मैंने कुरसी से उठने की बात कही. उन्होंने बताया कि सीनियर रेजिटेंड डॉ सुभाष की शिकायत मैंने उनके हेड से कर दी है.
संत माइकल के प्राचार्य व पूर्व उपप्रमुख उलझे
पटना : दीघा के संत माइकल के प्राचार्य फादर एडिशन जे आर्म्सस्ट्रांग व दीघा इलाके के पूर्व उपप्रमुख नीरज कुमार के बीच स्कूल परिसर में गरमा-गरमा बहस हुई. नीरज कुमार पर आरोप है कि उन्होंने प्राचार्य को देख लेने की धमकी भी दी थी. इसके बाद प्राचार्य ने घटना की जानकारी दीघा पुलिस को दी और नीरज कुमार के खिलाफ सनहा दर्ज करा दिया. पुलिस ने नीरज कुमार से पूछताछ की है और जांच कर रही है. नीरज पर एडमिशन को लेकर धमकी देने का आरोप है. हालांकि नीरज कुमार इन आरोपों से इनकार कर रहे हैं और बताया कि स्कूल के सामने के भूखंड पर बसे लोगों को वहां से हटा दिया गया और उस भूखंड को स्कूल ने अपने कब्जे में ले लिया.
इसके बाद उन्होंने 27 जून को जिलाधिकारी को एक पत्र रिसीव कराया कि उस जमीन की अमीन से नापी करायी जाये और अगर वह जमीन स्कूल की है, तो उसे सौंप दें और नहीं है तो जिनकी है, उन्हें दे दें. वे इसका विरोध कर रहे थे और इसी से उन पर झूठा आरोप लगा दिया गया. वे 28 जून को स्कूल परिसर में एक अभिभावक के बुलाने पर उनकी मदद करने गये थे. इसी बीच प्राचार्य ने उन्हें देख लेने की धमकी दी थी.