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मैट्रिक में 60% से कम रिजल्ट देने वाले शिक्षकों पर होगी कार्रवाई

पटना : राज्य के साठ फीसदी से कम रिजल्ट देने वाले सरकारी स्कूलों के शिक्षकों पर सरकार कड़ी कार्रवाई करने जा रही है. इस वर्ष करीब छब्बीस सौ स्कूलों में मैट्रिक का रिजल्ट 30 से 50 फीसदी ही रहा है. वहां के शिक्षकों पर कार्रवाई होगी, चाहे वे पुराने वेतनमान वाले शिक्षक हों या फिर […]

पटना : राज्य के साठ फीसदी से कम रिजल्ट देने वाले सरकारी स्कूलों के शिक्षकों पर सरकार कड़ी कार्रवाई करने जा रही है. इस वर्ष करीब छब्बीस सौ स्कूलों में मैट्रिक का रिजल्ट 30 से 50 फीसदी ही रहा है. वहां के शिक्षकों पर कार्रवाई होगी, चाहे वे पुराने वेतनमान वाले शिक्षक हों या फिर नियोजित . मैट्रिक की परीक्षा में जिनके स्कूल के बच्चे अच्छा रिजल्ट नहीं दे सके हैं और वे खुद भी परफॉर्म नहीं कर सके हैं, उनकी जिम्मेवारी तय की जायेगी.

उन्हें संबंधित स्कूल से हटाकर दूसरे स्कूलों में भी भेजा जायेगा. इसके लिए शिक्षा विभाग स्कूल वार मैट्रिक रिजल्ट की समीक्षा करवा रहा है. इसके लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को टास्क दिया गया है. बिहार बोर्ड को कहा गया है जिन स्कूलों के रिजल्ट 60 फीसदी से नीचे हैं, ऐसे सभी स्कूलों में देखा जायेगा कि रिजल्ट क्यों खराब हुआ? अगर स्कूल में पर्याप्त शिक्षक हैं और शिक्षकों के रहते उसी विषय में ज्यादातर छात्रों का रिजल्ट खराब हुआ है तो शिक्षकों पर जवाबदेही तय की जायेगी और उन्हें वहां से हटाया तक जा सकेगा. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के हाइ व प्लस टू स्कूलों में मैट्रिक का रिजल्ट बेहतर हुआ है तो वहां के शिक्षकों को शहरों में भी लाने की कार्रवाई की जायेगी. इसके लिए शिक्षा विभाग आवश्यकता पड़ने पर नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति नियमावली में संशोधन कर सकता है.
नियमावली में संशोधन के बाद शिक्षा विभाग नियोजित शिक्षकों को एक जगह से दूसरी जगह भेज सकता है. वहीं, किसी स्कूल में पुराने वेतनमान वाले शिक्षकों के विषय में ज्यादा बच्चे पास नहीं किये होंगे तो उन्हें भी वहां से हटाया जायेगा और सरकार उनके वेतन बढ़ोतरी पर भी रोक लगा सकती है.
शिक्षकों की तय की जायेगी जिम्मेवारी
मैट्रिक का रिजल्ट क्यों खराब हुआ है, इसकी जांच करायी जा रही है. जब सरकार शिक्षकों के मान-सम्मान का ख्याल रख रही है और अगर वे परफॉर्म नहीं करेंगे तो उनकी जिम्मेवारी तय की जायेगी. जो शिक्षक परफॉर्म नहीं कर रहे हैं उन्हें उस स्कूल से हटाया जायेगा.
अशोक चौधरी, शिक्षा मंत्री
इंटर टॉपर घोटाला : विवेक का सुराग अब तक नहीं, 8 खाते फ्रीज, लगेगा इश्तेहार
पटना : बिहार बोर्ड के पूर्व चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद के दामाद विवेक रंजन की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की छापेमारी जारी है. लेकिन पुलिस उसका सुराग लगा नहीं पायी है. उसका सटीक लोकेशन नहीं मिल पा रहा है. अब तक दो दर्जन से अधिक उसके रिश्तेदार व मित्र-दोस्त के घर पुलिस दबिश दे चुकी है. उसकी गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी हो चुका है, अब उसकी तलाश में इश्तेहार के लिए भी कोर्ट में आवेदन पुलिस ने दिया है. वहीं पुलिस ने िववेक के आठ खातों को फ्रीज कर िदया है.
दरअसल विवेक रंजन की गिरफ्तारी के लिए एसआइटी लगातार छापेमारी कर रही है. अब तक बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, वाराणसी तक पुलिस दौड़ लगा चुकी है लेकिन वह पकड़ा नहीं जा सका है. इसके बाद पुलिस ने उसके घर इश्तेहार चस्पा करने के लिए कोर्ट से आदेश मांगा है. इश्तेहार के बाद कुर्की-जब्ती की प्रक्रिया तेज हो वीआर कॉलेज का पूरा जायेगी. पुलिस ने विवेक की तलाश के साथ-साथ बिहार बोर्ड में हुए प्रिटिंग घोटाले की पड़ताल को तेज कर दिया है. इसमें कुछ और लोगों के नाम सामने आ सकते हैं जो इस घोटाले में शामिल हैं. पुलिस प्रकाशन केंद्र मथुरा से पूछताछ कर सकती है. यहां बतां दें कि प्रिटिंग घोटाले में कुछ कागज को सीज किया जा चुका है. अभी कुछ और कागजों की तलाश जारी है. अगर प्रिटिंग टेंडर हासिल करने में फर्जीवाड़ा के कुछ और सबूत हाथ लगे तो आरोपितों का फंसना तय है.
विवेक के आठ बैंक अकाउंट फ्रीज : पुलिस ने विवेक रंजन के आठ बैंक अकाउंट बैंक से संपर्क करके फ्रीज करा दिया है. इन खातों से लेन-देन नहीं हो सकेगा. ये वो अकाउंट हैं जिसके पासबुक पुलिस को उसके घर से हाथ लगे थे. छापेमारी के दौरान पुलिस ने पासबुक सीज किया था.
एसआइटी का यह मानना है कि फरारी के दौरान पैसे की ज्यादा जरूरत पड़ती है. ऐसे में अगर विवेक अपने अकाउंट से पैसे नहीं निकाल पायेगा तो वह वापस पटना आयेगा. फिर उसकी गिरफ्तारी आसानी से की जा सकेगी. इसके अलावा यह भी पता लगाया जा रहा है कि उसके नाम से कोई और एकाउंट तो नहीं है, जिसके बारे में पुलिस को पता नहीं चल सका है. फिलहाल जांच जारी है.
अररिया के भी कॉलेजों की कॉपियों का मूल्यांकन हुआ था पटना के विशेष केंद्र पर
पटना : वैशाली जिले के कई कॉलेजों के नाम अब तक इंटर रिजल्ट को मैनेज करने में आया है, लेकिन अब अररिया के भी कई कॉलेजों के इसमें शामिल होने की बात सामने आ रही है. समिति के अनुसार अररिया के इंटर की उत्तर पुस्तिकाओं को मूल्यांकन के लिए दरभंगा भेजा गया था, लेकिन अररिया के कोड एक से कोड 28 तक की उत्तर पुस्तिकाएं पटना लायी गयी थीं. पहले ये उत्तर पुस्तिकाएं कुर्जी स्थित एक उच्च विद्यालय में लायी गयीं. बाद में इस स्कूल से उत्तर पुस्तिकाओं को हटा कर बालक उच्च विद्यालय, राजेंद्र नगर स्पेशल मूल्यांकन केंद्र पर ले जाया गया. इसको लेकर संबंधित स्कूल के प्राचार्य ने पटना जिलाधिकारी के पास शिकायत भी की थी.
80 हजार है कॉपियों की संख्या : अररिया जिले से इस बार कुल 52 स्कूलों और कॉलेजों से परीक्षार्थी इंटर की परीक्षा में शामिल हुए. इनमें 28 कोड तक के स्कूलों और कॉलेजों की उत्तर पुस्तिकाओं को मूल्यांकन के लिए पटना लाया गया. इनमें लगभग 10 स्कूल और काॅलेज शामिल हैं.
उत्तर पुस्तिकाओं की 80 हजार संख्या है. समिति के कर्मचारियों ने बताया कि पहले अररिया जिले के सारे कॉलेजों और स्कूलों की उत्तर पुस्तिकाओं को दरभंगा ही भेजा जाना था, लेकिन पूर्व अध्यक्ष के आदेश के बाद एक से 28 कोड तक के कॉलेज की काॅपियों को पटना लाया गया. पहले तो इसके लिए पटना के कई उच्च विद्यालयों को मूल्यांकन केंद्र बनाया गया. उन केंद्रों पर अररिया के इन कोड की उत्तर पुस्तिकाओं को रखा भी गया. मार्च के अंतिम सप्ताह में उत्तर पुस्तिकाओं को पटना के कई स्कूलों में डाला गया, लेकिन दो दिन बाद अप्रैल के पहले सप्ताह में अररिया की उत्तरपुस्तिकाओं को हटा कर लालकेश्वर प्रसाद के आदेश पर बालक उच्च विद्यालय, राजेंद्र नगर भेज दिया गया.
मूल्यांकन केंद्र बनाया, फिर किया गया कैंसिल : इंटर और मैट्रिक के मूल्यांकन में इस बार कई स्कूलों को पहले मूल्यांकन केंद्र बनाया गया, लेकिन बाद में उन्हें लालकेश्वर प्रसाद के अादेश पर कैंसिल कर दिया गया. मैट्रिक के मूल्यांकन के लिए पटना के कई स्कूलोें में उत्तर पुस्तिकाओं को डाला भी गया. इसी में से एक कुर्जी स्थित श्री चंद्र उच्च माध्यमिक विद्यालय का भी नाम है.
इस विद्यालय में मैट्रिक के मूल्यांकन के लिए 78 हजार 998 उत्तर पुस्तिकाओं को डाला गया. उत्तर पुस्तिकाओं को दो अप्रैल को डाला गया. वहीं चार अप्रैल को बोर्ड में केंद्राधीक्षकों के साथ लालकेश्वर प्रसाद की बैठक थी. बैठक में मूल्यांकन संबंधित सामग्री केंद्राधीक्षकों को दी गयी, लेकिन इसमें कई केंद्राधीक्षकों ने बताया कि उनके मूल्यांकन केंद्रों को कैंसिल कर दिया गया है.

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