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चार सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज आठ वर्षों से बंद

हर कॉलेज में 60 विद्यार्थियों का प्रति वर्ष होने वाला नामांकन भी ठप पड़ा हुआ है, मानक पूरा करने का दिया गया निर्देश पटना : सरकार मुख्यमंत्री निश्चय योजना के तहत राज्य में पांच नये मेडिकल कॉलेज खोलने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है. पटना, बेगूसराय, दरभंगा, भागलपुर व बक्सर स्थित राज्य के पांच […]

हर कॉलेज में 60 विद्यार्थियों का प्रति वर्ष होने वाला नामांकन भी ठप पड़ा हुआ है, मानक पूरा करने का दिया गया निर्देश
पटना : सरकार मुख्यमंत्री निश्चय योजना के तहत राज्य में पांच नये मेडिकल कॉलेज खोलने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है. पटना, बेगूसराय, दरभंगा, भागलपुर व बक्सर स्थित राज्य के पांच पुराने आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पतालों में से चार में आठ वर्षों से ताले लटके हुए हैं. शिक्षकों के अभाव और पदों के सृजन नहीं होने के कारण केंद्रीय आयुर्वेदिक चिकित्सा परिषद ने 2008 में सभी कॉलेजों में नामांकन पर रोक लगा दी.
तब से अब तक सरकार की ओर से मानकों को पूरा करने की दिशा में पहल ही नहीं की गयी है. हर कॉलेज में 60 विद्यार्थियों का प्रति वर्ष होने वाला नामांकन भी ठप पड़ा हुआ है. इन कॉलेजों में शैक्षणिक गतिविधियां शुरू रहती तो अब तक 1920 विद्यार्थियों का आयुर्वेदिक चिकित्सक की डिग्री हासिल हो गयी रहती. राज्य में पटना, बेगूसराय, दरभंगा, भागलपुर व बक्सर में आयुर्वेदिक कॉलेज है. पटना को छोड़कर शेष सभी जिलों में स्थापित किये गये आयुर्वेदिक कॉलेजों को राज्य सरकार ने 1985 में निजी क्षेत्र से सरकारी क्षेत्र में अधिग्रहित कर लिया गया था.
तब किसी काउंसिल के नियम प्रावधानों का चक्कर नहीं था. वर्ष 2005 में केंद्रीय चिकित्सा परिषद ने राज्य सरकार को मानकों को पूरा करने का निर्देश दिया. सरकार द्वारा मानकों का पूरा नहीं करने के कारण वर्ष 2008 में इन सभी चार सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पतालों में नामांकन पर रोक लगा दी. इधर भारत सरकार ने राज्य के इन कॉलेजों को 31 दिसंबर 2015 तक अपने न्यूनतम मानक की स्थिति को लेकर सूचित करने का निर्देश दिया था. पटना आयुर्वेदिक कॉलेज को छोड़कर किसी के बारे में सूचित नहीं किया गया है.
भागलपुर आयुर्वेदिक कॉलेज में दो चिकित्सक शिक्षक, दरभंगा आयुर्वेदिक कॉलेज में कुल चार शिक्षक, बक्सर आयुर्वेदिक कॉलेज में दो शिक्षक और नौ मेडिकल ऑफिसर और बेगूसराय आयुर्वेदिक कॉलेज में कुल 19 शिक्षक कार्यरत हैं. इन कॉलेजों में मानकों को पूरा करने वाले भी शिक्षक नहीं हैं.
एलोपैथिक चिकित्सा में नर्स से लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पतालों तक के लिए सभी स्तर के कर्मचारियों के लिए उनकी नियुक्ति व सेवा शर्त नियमावली तैयार हो चुकी है. राज्य के आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पतालों के लिए अभी तक सरकार द्वारा नियमावली ही तैयार नहीं की गयी है.
इसका नतीजा है कि सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं हो रही है. इसके अलावा सरकार द्वारा पुराने आयुर्वेदिक कॉलेजों के लिए अभी तक पदों का सृजन भी नहीं किया है.
इधर आयुष चिकित्सा के निदेशक डॉ श्याम सुंदर ने बताया कि इन चारों आयुर्वेदिक कालेजों को संचालित करने के पहले 60 बेड का अस्पताल संचालित करना आवश्यक है. इसके लिए पारामेडिकल स्टाफ की आवश्यकता है. अस्पताल को संचालित करने के लिए कर्मियों के पदों का सृजन करना आवश्यक है. उनकी नियुक्ति का प्रस्ताव तैयार किया गया है.
हर मेडिकल कॉलेज अस्पताल को संचालित करने के लिए न्यूनतम 60 बेड का अस्पताल होना चाहिए. साथ ही कॉलेज में 14 विभागकाय चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, शालक्य, द्रव्यगुण, रस शास्त्र, स्वास्थ्य वृत्त, रोग निदान, शरीर क्रिया विज्ञान, बाल रोग विभाग, स्त्री व प्रसूति रोग विभाग, पंचकर्म विभाग, मौलिक सिद्धांत और अगद तंत्र विषयों में शिक्षकों की आवश्यकता है.
आयुर्वेदिक कॉलेज को संचालित करने के लिए हर विभाग में एक प्राध्यापक या एक रीडर और एक व्याख्याता की आवश्यकता है. यानी एक कॉलेज में शैक्षणिक गतिविधियां संचालित करने के लिए 14 विभागों में न्यूनतम 28 शिक्षकों की आवश्यकता हैं. इसके अलावा हर कॉलेज में सात-सात आवासीय चिकित्सकों की तैनाती भी की जानी चाहिए. जबकि मनिहारी साइड में आठ किलोमीटर फोर लेन बनेगा.

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