पटना : पटना उच्च न्यायालय ने फर्जी कागजात के आधार पर जमानत हासिल करने वाले मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी है. जस्टिस शिवाजी पांडेय की कोर्ट ने मंगलवार को यह आदेश जारी किया. कोर्ट ने 277 किलोग्राम गांजा के साथ गिरफ्तार हुए तीन लोगों की जमानत भी रद्द कर दी. कोर्ट ने इनमें से एक वैशाली के सुबोध कुमार सिंह का बेल बांड तोड़ते हुए उसकी गिरफ्तारी के लिए एसपी को लिखा है. कोर्ट ने इसी मामले में दो अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए असम सरकार से अनुरोध किया है.
प्रैक्टिस संबंधी जानकारी दें अधिवक्ता- हाइकोर्ट
कोर्ट ने पटना उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे सभी वकीलों से एक महीने के अंदर अपने प्रैक्टिस करने संबंधी जानकारी कोर्ट को उपलब्ध कराने का आदेश दिया है. फर्जी जमानत मामले में एडवोकेट रणविजय कुमार सिंह का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है. कोर्ट को जानकारी मिली है कि रणविजय कुमार सिंह नामक वकील की मौत तीन साल पहले हो चुकी है. इसके बावजूद उनके नाम से करीब दर्जन भर याचिकाएं फाइल की गयी हैं. कोर्ट ने कहा कि फर्जी दस्तावेज के आधार पर यहां जमानत लेने का गिरोह काम कर रहा है. ऐसे लोगों की पहचान जरूरी है. सीबीआइ को दिये निर्देश में कोर्ट ने पूरी छानबीन कर तीन महीने में स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा.
सीबीआइ को जांच का निर्देश
सुनवाई के दौरान सीबीआइ के वकील विपिन कुमार सिन्हा भी मौजूद थे. श्री सिन्हा ने कोर्ट से कहा कि वकीलों के प्रैक्टिस के प्रूफ के लिए कागजात की जांच जरूरी है. इससे फर्जी तरीके से याचिकाएं दाखिल करने की समस्या खत्म हो जायेगी. गौरतलब है कि पटना पुलिस ने 277 किलोग्राम गांजा के साथ तीनलोगों को पकड़ा था. इसमें सुबोध कुमार सिंह वैशाली के और नूर आलम तथा प्रमोद सहनी असम के निवासी थे. इन लोगों ने पहले जब्ती दस्तावेज में बरामद गांजा को सात किलोदर्शाते हुए जमानत याचिका दायर कर दी. सात किलो बरामदगी के आधार पर तीनों आरोपितों को जमानत मिल गयी. बाद में केंद्र सरकार के उत्पाद अधिकारियों की नजर इस मामले पर गयी तो उन्होंने जस्टिस शिवाजी पांडेय के कोर्ट में पुन: याचिका दायर कर कहा कि जब्ती सात किलो की नहीं 277 किलोग्राम गांजा की हुई है. इसके बाद कोर्ट ने तहकीकात शुरू की तो पता चला किफर्जी दस्तावेज तैयार कर जमानत याचिका दायर की गयी है.