अब खेल-खेल में बच्चे करेंगे पढ़ाई

रेडिनेशन प्रोग्राम की पायलट प्रोजेक्ट के तहत पटना के वार्ड 21 व 60 के 20 स्कूलों में शुरुआत होगी. 18 जुलाई से शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जायेगी. 25 से एक माह का कोर्स शुरू होगा, तीन माह बाद मूल्यांकन होगा. अगले साल से राज्य भर में शुरू होगा. शिकोह अलबदर पटना : राज्य के अल्पसंख्यक, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2016 7:43 AM
रेडिनेशन प्रोग्राम की पायलट प्रोजेक्ट के तहत पटना के वार्ड 21 व 60 के 20 स्कूलों में शुरुआत होगी. 18 जुलाई से शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जायेगी. 25 से एक माह का कोर्स शुरू होगा, तीन माह बाद मूल्यांकन होगा. अगले साल से राज्य भर में शुरू होगा.
शिकोह अलबदर
पटना : राज्य के अल्पसंख्यक, स्लम इलाकों व झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले गरीब बच्चों के लिए रेडिनेशन प्रोग्राम चलेगा. प्राथमिक स्कूलों के इन बच्चों के लिए चलने वाले इस प्रोग्राम में बच्चों को एडमिशन के बाद सीधे किताबें नहीं पढ़ायी जायेगी, बल्कि बच्चों को एक महीने तक स्कूल, शिक्षक व अन्य बच्चों के प्रति सहज बनाया जायेगा.
खेलकूद, कहानी, कविता, चित्रकला के जरिये उन्हें सिखाया जायेगा. पाटलट प्रोजेक्ट योजना के तहत इसकी शुरुआत पटना के दो वार्ड के स्कूलों से होने जा रही है. वार्ड संख्या 21 (अदालतगंज-कमला नेहरू नगर) के 11 स्कूल और वार्ड संख्या 60 (चौक- पटना सिटी) के नौ स्कूल में इसकी शुरुआत की जा रही है. एक महीने तक चलने वाले इस प्रोग्राम की शुरुआत 25 जुलाई या एक अगस्त से होगी. इससे पहले इन स्कूलों के शिक्षकों की 18 जुलाई से एक सप्ताह की ट्रेनिंग होगी. ट्रेनिंग में उन्हें बताया जायेगा कि कैसे बच्चों को पढ़ना है और उन्हें स्कूल के प्रति सहज बनाना है, ताकि बच्चा हर दिन स्कूल आने के लिए तैयार रहे.
इसके लिए कोर्स मेटेरियल तैयार कर लिया गया है. एक महीने के बाद उन बच्चों को किताबों से जोड़ा जायेगा. इस पर अंतिम रूप से शनिवार को शिक्षा विभाग में आयोजित बैठक में सहमति बनी. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डाॅ डीएस गंगवार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इस पर अंतिम रूप से सहमती बनी. दोनों वार्डों के स्कूलों के बच्चों के लिए एक महीने की रेडिनेशन प्रोग्राम चलाने के बाद उन्हें अगले दो महीने स्टेप बाइ स्टेप पढ़ाया जायेगा और तीन महीने के बाद उनका मूल्यांकन किया जायेगा.
शिक्षकों को दी जायेगी इसकी विशेष ट्रेनिंग
प्रधान सचिव डाॅ डीएस गंगवार ने बताया कि इसकी सफलता के अनुसार राज्य की दूसरी जगहों पर भी इसे लागू किया जायेगा. इसको लेकर जन शिक्षा निदेशालय और एससीइआरटी ने अपना प्रजेंटेशन दिया. उन्होंने बताया कि प्रजेंटेशन में कैसे एक महीने और उसके बाद बच्चों को पढ़ाना है, उसके बारे में दिखाया गया. बच्चा घर के माहौल से अलग स्कूल में नियमित आये, इसको लेकर भी उनकी समस्याएं स्कूल में दूर होंगी और शिक्षकों को इसके लिए ट्रेनिंग भी दी जायेगी.
गरीब इलाकों के लिए तैयार की गयी योजना
यह प्रोजेक्ट मुख्य रूप से अल्पसंख्य, स्लम समेत गरीब इलाकों में शुरू किया जायेगा. इस काम में शिक्षा विभाग को बिहार शिक्षा परियोजना, एससीइआरटी, जन शिक्षा समेत किलकारी, यूनिसेफ, प्रथम, निदान भी सहयोग कर रहे हैं.
इन सभी संस्थाओं की टीम बच्चों के विकास पर नजर रखेगी और इसे आगे बढ़ायेगी. बैठक में एससीइआरटी के निदेशक संजीवन सिन्हा, बिहार शिक्षा परियोजना के निदेशक संजय कुमार सिंह, जन शिक्षा के निदेशक विनोदानंद झा, यूनिसेफ के कंसल्टेंट (सलाहकार) आरएस सिंह, ए. पांड्या समेत अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि, 20 स्कूलों के प्रधानाध्यापक, प्रतिनिधि व विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे.

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