तोड़ने नहीं, रिपोर्ट तैयार करने गयी थी टीम !
संतोषा अपार्टमेंट. कार्रवाई के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट देने की तैयारी में जुटा नगर निगम फोटो, वीडियो और अब तक दिये गये नोटिस के साथ एफआइआर की रिपोर्ट देंगे कोर्ट में पटना : शुक्रवार पूरे लाव-लश्कर के साथ संतोषा के अवैध निर्माण को तोड़ने गयी निगम की टीम का मन कार्रवाई को लेकर […]
संतोषा अपार्टमेंट. कार्रवाई के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट देने की तैयारी में जुटा नगर निगम
फोटो, वीडियो और अब तक दिये गये नोटिस के साथ एफआइआर की रिपोर्ट देंगे कोर्ट में
पटना : शुक्रवार पूरे लाव-लश्कर के साथ संतोषा के अवैध निर्माण को तोड़ने गयी निगम की टीम का मन कार्रवाई को लेकर आधा-अधूरा था. लगभग 200 पुलिसकर्मी और लगभग तीन दर्जन पुलिस-निगम के अधिकारी मौजूद रहने के बावजूद निगम की टीम संतोषा के एक गेट को पार नहीं कर पायी, यह खुद में सवाल है. वहां मौजूद पुलिस अधिकारी इस बात का इंतजार करते रहे कि निगम और ड्यूटी पर आये मजिस्ट्रेट गेट खोलवाने के लिए सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दें.
फिर हम लोग आगे बढ़ें. बावजूद इसके उनको इसका निर्देश नहीं दिया गया. वहीं दूसरी तरफ नगर आयुक्त अभिषेक सिंह ने कहा कि हम किसी स्तर के जान-माल का नुकसान नहीं चाहते थे. अब हम अपनी कार्रवाई की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को भेज देंगे, इसलिए उस समय पूरी कार्रवाई के फोटो व वीडियो ग्राफी तैयार की जा रही थी. यानी नगर निगम सिर्फ अपने रिपोर्ट तैयार करने पर ही केंद्रित था, न कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सख्ती से पालन करवाने में.
पूरी रिपोर्ट है तैयार, अगले आदेश पर होगी कार्रवाई : नगर आयुक्त ने बताया कि हम लोग शुक्रवार को हुई कार्रवाई की फोटो, वीडियो के साथ रिपोर्ट भेज रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने पर फ्लैट खाली करने का नोटिस नगर निगम ने 16 मार्च, 24 मई, 27 जून और पांच जुलाई को संतोषा के आवंटियों को दिया था. अपार्टमेंट में नोटिस को साटा भी गया था. लेकिन, संतोषा के लोगों ने इसका कोई जवाब नहीं दिया. निगम इस सारी बातों को अपनी रिपोर्ट में लगा कर कोर्ट में पेश करेगा.
सोमवार को कोर्ट के फैसले का इंतजार
इधर फ्लैट के लोगों ने संतोषा मामले के सेटलमेंट करने की मुख्यमंत्री से गुहार लगायी है. संतोषा निवासी संजीव गोयल ने कहा कि हमलोग मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं कि जो पैसा मुआवजा के रूप में कोर्ट में जमा है, उसे सरकार अपने विकास के कामों के लगा लें और हम लोगों का सेटलमेंट कर दिया जाये. उन्होंने बताया कि संभावना है कि सोमवार को हम लोगों ने जो सुप्रीम कोर्ट में आइए फाइल की है, उस पर कोई फैसला आये. इसके बाद ही हमलोग कोई निर्णय ले सकेंगे.
निगम पर सवाल
सवाल : जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला मार्च में आया, तो जुलाई में अवैध हिस्सा तोड़ने की कार्रवाई क्यों की गयी?
जवाब : नियमत: किसी भी निर्माण को तोड़ने या खाली कराने के लिए तीन नोटिस देना जरूरी है. हमने तीसरा नोटिस 27 जून को दिया था. उसमें कहा गया था कि छह जुलाई तक अवैध हिस्सा खाली कर दें, लेकिन अवैध आवंटी नहीं हटे तो मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ी.
आवंटियों पर सवाल
सवाल : आदेश में साफ था कि अवैध आवंटियों को भुगतान सुप्रीम कोर्ट से ही मिलेगा, फिर भी उन्होंने चार महीने तक भुगतान क्यों नहीं लिया?
जवाब : असल में ये लोग मुआवजा लेने के बजाय राज्य सरकार से सेटलमेंट कराने की गुहार लगाते रहे, इसलिए मुआवजा लेने में तेजी नहीं दिखायी. उन्हें लगा कि निगम जब तोड़ने आयेगा, तो इस बात का मुद्दा बनाया जायेगा कि हमें अब तक मुआवजा नहीं मिला.