पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से मछुआरों को जल्द अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग की है. रविवार को मछुआरा दिवस पर आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि मछुआरों की निषाद, मल्लाह समेत अन्य जातियों को एसटी में शामिल करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने अब तक मंजूर नहीं किया है. केंद्र सरकार उस पर कुंडली मार कर बैठी हुई है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मछुआरा समाज के लोगों को इसके लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि यूपी में चुनाव होनेवाला है, बिहार में तो बाद में होगा. इसमें जोर लगा दीजिए. जो लोग वोट मांगने आते थे और तरह-तरह की बातें करते थे, उनसे कहिए कि इसे पहले मंजूर तो करा दें, तभी वोट देंगे. हो सकता है केंद्र सरकार एसटी का दर्जा दे दे.
हाल में ही केंद्रीय मंत्रिपरिषद के हुए विस्तार की ओर इशारा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हम यूपी में जहां-जहां जा रहे हैं, वहां के लोगों का उद्धार हो रहा है. वहां के लोग कुछ-न-कुछ बन जा रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव में सक्रिय रहे मुकेश सहनी और भाजपा का नाम लिये बगैर नीतीश कुमार ने कहा कि काम करते जाइए और लोग उसे भूलते जायेंगे. कुछ ऊपर से टपक जाते हैं और तरह-तरह की बात करते हैं, तो लोग उनके झांसे में आ जाते हैं.
सीएमनीतीश नेकहा, कुछ लोग तो कहते थे कि मछुआरा समाज को ज्यादा टिकट देंगे, क्या हुआ? कितना टिकट मि ला? मंत्री (मदन सहनी) तो हमही न बनाये. ऐसे लोग वोट लेने के लिए राम का भी नाम लेते हैं. कहते हैं, राम को नदी तो मल्ला ह ने ही तो पार कराया था, इसलिए दोनों साथ-साथ हैं. जैसे कि राम उनकी पार्टी के मेंबर हों. ऐसे लोगों से सचेत रहना होगा. चुनाव के समय उनके लोग आते थे न, कैसे बड़ी -बड़ी बाते करते थे? मछुआरों के लिए हितैषी बन जाते थे. तरह-तरह के वादे भी करते थे. मुछआरा समाज के लोग भी उनकी बातों में आ जाते थे.
बिहार सरकार ने अतिपिछड़ा समाज के मल्लाह, निषाद समेत उसकी उपसमूहों व नोनिया जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को पांच सितंबर, 2015 को ही अनुशंसा की थी. पांच सितंबर को ही राज्य कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गयी और तत्काल केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव को स्पीड पोस्ट से अनुशंसा भी भेजी गयी. राज्य सरकार ने मल्लाह, निषाद और उनकी उपजातियां बिंद, बेलदार, चांई, तियर, खुलवट, सुरहिया, गोढ़ी, वनपर और केवट के साथ-साथ नोनिया जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की अनुशंसा भेजी थी.