पटना : बहुचर्चित दरभंगा इंजीनियर हत्याकांड समेत ऐसे 17 संगीन मामलों के मुख्य आरोपित मुकेश पाठक को एसटीएफ की विशेष टीम आज दरभंगा के लहेरियासराय थाना लेकर पहुंची. जहां उससे पूछताछ की जा रही है. मीडिया रिपोट्स के मुताबिक मुकेश ने कबूल किया है कि सड़क निर्माण कंपनी सिंघला से भी उसने पच्चीस लाख रुपये रंगदारी ली थी. वहीं मुकेश पाठक की गिरफ्तारी के बाद मोतिहारी के गायत्री नगर में सुशील मिश्रा के घरपर छापेमारीकीसूचना है. जबकि पुलिस और एसटीएफकीटीम ने मुजफ्फरपुर के बैरिया से मुकेश के एक सहयोगी को गिरफ्तार किया है.साथ ही कई जगहों पर छापेमारी जारी है.
झारखंड के रामगढ़ से कल हुआ था गिरफ्तार
मुकेश पाठक को कल एसटीएफ की टीम ने झारखंड के रामगढ़ से गिरफ्तार किया था. सोमवार की सुबह एसटीएफ ने रामगढ़ में एक ट्रेन से उसे गिरफ्तार किया. एडीजी (मुख्यालय) सुनील कुमार ने अपने कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि मुकेश पाठक पर एक लाख का इनाम है. उस पर मोतिहारी, सीतामढ़ी, गोपालगंज, शिवहर, दरभंगा समेत अन्य जिलों में हत्या, फिरौती के लिए अपहरण जैसे कई जघन्य मामले दर्ज हैं.
जल्द दायर होगा चार्जशीट
पुलिस उसे जल्द ही रिमांड पर लेगी. इसके मामले में जल्द चार्जशीट दायर कर स्पीडी ट्रायल करवाया जायेगा. एडीजी ने कहा कि इस ऑपरेशन में शामिल सभी पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया जायेगा. उन्होंने एसटीएफ के आइजी कुंदन कृष्णन को इस सफलता के लिए खासतौर से बधाई दी. इंजीनियर हत्याकांड में पुलिस को इसकी काफी समय से तलाश थी.
मुकेश पाठक के अन्य साथी संतोष झा, निकेश दुबे समेत अन्य पहले से ही पुलिस की गिरफ्त में हैं. गिरफ्तारी के बाद मुकेश पाठक से पहले झारखंड के रामगढ़ में गहन पूछताछ की गयी. इसके बाद देर शाम तक इसे दरभंगा लाया गया. वहां कोर्ट में पेश करने के बाद इसे पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी. एडीजी ने कहा कि उसने हाल में भी एक-दो निर्माण कंपनियों को फोन कर रंगदारी मांगी दी था.
हालांकि, यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा कि उनके नाम क्या हैं. अपने पीपुल्स लीबरेशन आर्मी का अग्रणी कमांडर बताने वाले मुकेश की गिरफ्तारी से निर्माण कंपनियों से रंगदारी मांगने की वारदातें काफी हद तक बंद हो जायेंगी. उन्होंने कहा कि ऐसे किसी निर्माण कंपनी ने अभी तक राज्य से अपना काम नहीं समेटा है. जिस-जिस कंपनियों ने सुरक्षा की मांग की, उन्हें उचित संख्या में पुलिस बल मुहैया कराये गये हैं.
इन स्थानों पर दर्ज मामले
मुकेश पाठक के खिलाफ मुख्य रूप से जो 17 मामले दर्ज हैं. मोतिहारी के महिषी थाना (हत्या और फिरौती के चार कांड), मोतिहारी के कल्याणपुर थाना (फिरौती और हत्या), मोतिहारी सदर थाना (फिरौती), सीतामढ़ी थाने में फिरौती और हत्या के चार अलग-अलग मामले, शिवहर में जेल से भागने का मामला व महिला अत्याचार से जुड़े मामले के अलावा गोपालगंज में इंजीनियर की हत्या से जुड़े मामले प्रमुख हैं. इसके अलावा भी दूसरे थानों में छोटे-मोटे कई मामले दर्ज हैं.
शिनाख्त होने में हुई काफी परेशानी
मुकेश पाठक अपना वेश-भूषा बदलने में बेहद माहिर है. जब पुलिस ने इसे पकड़ा, तो यह किसी दूसरे गेटअप में था. पहले तो इसकी शिनाख्त करने में ही पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी. पुलिस की पकड़ से बचने के लिए जितने समय तक वह भागता रहा, वह रूप भी अलग-अलग तरह से बदलता रहा. इस कारण पुलिस को इसे एक बार पहचानने में काफी दिक्कत हुई.
पकड़ में आने के करीब दो घंटे बाद पुलिस ने काफी जतन करके इसकी पहचान को स्थापित किया. पहले तो मुकेश ने पुलिस को झांसा देने की पूरी कोशिश की, कभी अपने आप को किसी कंपनी का एजेंट, तो कभी किसी दुकान में काम करनेवाला बताया. लेकिन, जब पुलिस इसके झांसे में नहीं आयी, तब जाकर उसने अपनी सच्चाई उजागर की.
एक लाख रुपये का था इनाम, 17 संगीन मामले दर्ज, होगा स्पीडी ट्रायल
15 दिनों से लगातार ट्रेनों में ही कर रहा था सफर
26 दिसंबर, 2015 को दरभंगा में दो इंजीनियरों की हत्या के बाद मुकेश पहले तो नेपाल भागा रहा, फिर भारत आने के बाद वह कई राज्यों में घूमता रहा. किसी एक स्थान पर टिक कर नहीं रहने के कारण उसे पकड़ने में इतना समय लग गया. पुलिस ने उसकी तलाश के लिए ओड़िशा, गुजरात, विशाखापट्टनम, दिल्ली, यूपी समेत कई राज्यों में खाक छान चुकी थी.
पिछले 15 दिनों से वह लगातार ट्रेनों में ही सफर कर रहा था. किसी एक ट्रेन से उतर कर वह दूसरी ट्रेन में चढ़ जाता था, तो दूसरी से तीसरी में. उसने करीब तीन दर्जन ट्रेनें बदली होंगी. ऐसे में एसटीएफ को तीन-चार टीमें बना कर अलग-अलग ट्रेनों में र सर्च करते रहना पड़ा. आखिरकार एसटीएफ ने उसे रामगढ़ के पास एक ट्रेन मेंपकड़ा िलया.
निर्माण कंपनियों से रंगदारी वसूलने के चक्कर में नेपाल से लौट आया था
इंजीनियर हत्याकांड के बाद मुकेश पाठक लंबे समय के लिए नेपाल भाग गया था. वहां भी इसकी तलाश के लिए एसटीएफ ने नेपाल पुलिस की मदद से छापेमारी की थी. लेकिन, वह लगातार भागता रहा. इस कारण पकड़ में नहीं आया. लेकिन, बिहार में कुछ निर्माण कंपनियों से रंगदारी वसूलने के लिए वह भारत लौट आया था, जिसकी भनक पुलिस को लग गयी.
इसके बाद वह कई राज्यों के अलग-अलग स्थानों में लगातार भागता रहा. इसी बीच उसके गैंग के बड़ी संख्या में लोगों की गिरफ्तारी होने के बाद कमजोर हो गया था. इस कारण वह खुद रंगदारी के रुपये वसूलने और इसे लेकर कहीं दूर भागने के चक्कर में था.
फ्लैश बैक
20 जुलाई, 2015 को शिवहर अस्पताल से हुआ था फरार
मुजफ्फरपुर : संतोष झा का शूटर मुकेश पाठक 20 जुलाई, 2015 को पुलिस को चकमा देकर सदर अस्पताल, शिवहर से फरार हुआ था. अस्पताल में भरती के दौरान उसके ठीक हो जाने की खुशी में गुर्गों ने सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी को नशीला मिठाई खिला पाठक को अस्पताल से फरार होने में मदद की थी. उसके फरार होने में शूटर लाकेश, लंकेश और कालिया के नाम सामने आये थे. इसके बाद स्थानीय पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी. जिसके बाद ड्यूटी पर लगे जवानोंको आनन-फानन में निलंबित कर दिया गया.
जेल से भागने के बाद पूजा पाठक को सेंट्रल जेल भेज दिया : मुकेश पाठक पूजा पाठक से शादी के 21 महीने बाद ही सदर अस्पताल से फरार हो गया. इस बीच उसने शिवहर जेल में बंद पूजा पाठक से कोई संपर्क नहीं साधा.
पूजा पाठक की सुरक्षा को देखते हुए उसे शिवहर मंडल कारा से शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा भेज दिया गया. सेंट्रल जेल में पूजा पाठक के आने के बाद उसकी तबीयत खराब हुई और उसे इलाज के लिए एसकेएमसीएच में भरती कराया गया. जिसके बाद पूजा के गर्भवती होने की बात सामाने आयी. केंद्रीय कारा से हुई जांच में यह बात सामने आयी कि पूजा 18 जून, 2015 को गर्भवती हुई थी. जिस वक्त पूजा गर्भवती हुई थी, वह शिवह मंडल कारा में ही मुकेश पाठ के साथ थी. मुकेश और पूजा की शादी अक्तूबर 2013 में हुई थी.
शिवहर मंडल कारा में मुकेश की चलती थी बोली : शिवहर मंडल कारा में मुकेश पाठक की बोली चलती थी. जेल के अंदर महिला वार्ड में रहने के बाद भी मुकेश उससे मिलने आता था. पूर्व केंद्रीय जेल अधीक्षक इ. जितेंद्र कुमार ने जब पूजा के गर्भवती होने की जांच करने शिवहर मंडल कारा पहुंचे थे तो यह बात सामने आयी थी कि जेलर के कार्यालय में ही मुकेश और पूजा की मुलाकात करायी जाती थी. पूजा ने भी अपने दिये गये बयान में कहा कि उसे और मुकेश की पहली मुलाकात जेलर ने ही अपने कार्यालय में उपलब्ध करायी थी.