बिहार कैबिनेट का फैसला : पंचायत सरकार भवन के लिए 720 करोड़ रुपये स्वीकृत
पटना : बिहार सरकार द्वारा आज कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये. कैबिनेट सचिव ने बताया कि अनियमित मानसून, बाढ़, सुखाड़ जैसे आपात स्थिति में से निबटने के लिए के लिए डीजल सब्सिडी और आकस्मिक फसल योजना के तहत किसानों को 170 करोड़ रुपये की मदद की जायेगी. कैबिनेट ने इसकी मंजूरी […]
पटना : बिहार सरकार द्वारा आज कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये. कैबिनेट सचिव ने बताया कि अनियमित मानसून, बाढ़, सुखाड़ जैसे आपात स्थिति में से निबटने के लिए के लिए डीजल सब्सिडी और आकस्मिक फसल योजना के तहत किसानों को 170 करोड़ रुपये की मदद की जायेगी. कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दी है. डीजल सब्सिडी के लिए 145.71 करोड़ रुपये और आकस्मिक फसल योजना के लिए 24.28 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं. इस राशि से किसानों को धान की बिचड़ा की सिंचाई के लिए दो पटवन और धान की सिंचाई के लिए तीन पटवन पर लाभ मिलेगा.
पंचायत सरकार भवन के लिए 720 करोड़ रुपये स्वीकृत
कैबिनेट सचिव ने बताया कि बताया कि राज्य में पंचायतों में पंचायत सरकार भवन के लिए 720 करोड़ रुपये खर्च किया जायेगा. इसमें पंचायतों में फर्नीचर, उपयोगी सामग्री और मानव बल पर खर्च किया जायेगा. उन्होंने बताया कि पंचायती राज व्यवस्था को क्रिया शील और उत्तरदायी बनाने के लिए विश्वबैंक की ऋण सहायता मद से 70 प्रतिशत राशि और राज्य सरकार द्वाराऔर 30 प्रतिशत राशि केंद्र की ओर से खर्च किया जायेगा.
एक करोड़ रुपये से अधिक के सैरात अबई-टेंडर से
उन्होंने बताया कि अब एक करोड़ रुपये से अधिक की सैरात की बंदोबस्ती के लिए ई-टेंडर अनिवार्य कर दिया गया है. एक करोड़ से कम की राशि की सैरात की बंदोबस्ती भी विभाग चाहे तो ई-टेंडर से बंदोबस्ती कर सकता है. उन्होंने बताया कि एक करोड़ से पांच करोड़ रुपये तक की बंदोबस्ती के लिए पांच हजार रुपये शुल्क का प्रावधान किया गया है वहीं पांच करोड़ रुपये से अधिक की सैरात की बंदोबस्ती के लिए 15 हजार रुपये शुल्क तय किया गया है.
हर घर को मिलेगा जल
मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चित योजना के तहत 3338 पंचायतों में पेयजल पीएचइडी द्वारा पहुंचाया जायेगा. बाकी के पंचायतों में एक वार्ड पर 101.66 लाख रुपये की खर्च से पेयजल मुहैया कराने का निर्णय लिया गया. इस योजना की देख रेख वार्ड सदस्य करेंगे. 14 वें वित्त आयोग से मिली राशि से चालीस प्रतिशत और पांचवें राज्य वित्त आयोग से 45 प्रतिशत राशि खर्च होगी. शेष राशि राज्य सरकार वहन करेगी.